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MP News : मप्र लोक सेवा आय़ोग (mppsc) ने राज्य वन सेवा परीक्षा 2024, हैंडलूम, असिस्टेंट प्रोफेसर के हिंदी, अंग्रेजी, इतिहास जैसे विषयों के रिजल्ट इंटरव्यू के बाद भी क्यों रोके हुए हैं। अब यह सवाल उम्मीदवारों को बड़ा बैचेन करने लगा है। यह रिजल्ट अभी से नहीं बल्कि मार्च अंतिम सप्ताह से तैयार रखे हैं, लेकिन जारी नहीं हुए। अब इसकी जो संभावित वजह सामने आ रही है वह चौंकाने वाली है।
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वजह, हाईकोर्ट में चल रहा राज्य सेवा परीक्षा 2025 का केस
जबलपुर में राज्य सेवा परीक्षा 2025 को लेकर दो याचिकाएं 9253 और 11444/2025 लगी है। इसमें मप्र राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 के रूल 4 के विविध प्रावधान की संवैधानिकता को ही चुनौती दी गई है। यह रूल कहता है कि यदि किसी उम्मीदवार ने आरक्षण संबंधी किसी तरह की छूट ली है (इसमें यात्रा व्यय लेना और परीक्षा शुल्क की छूट लेना शामिल नहीं) तो फिर उसे प्री, मेंस, इंटरव्यू के बाद की मेरिट बनने के दौरान अपने संबंधित आरक्षण वर्ग यानी एसटी, एससी, ओबीसी में ही रखा जाएगा और उसे अनारक्षित कैटेगरी में मेरिट अंकों के आधार पर शिफ्ट नहीं किया जाएगा। इस नियम को ही चैलेंज कर दिया गया, जिसमें 25 मार्च 2025 को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट चीफ जस्टिस की बैंच ने प्री के रिजल्ट घोषित करने पर रोक लगा दी, फिर 2 अप्रैल को कैटेगरी वाइस कटआफ अंक मंगे और मेंस पर स्टे लगा दिया और अब 15 अप्रैल को कैटेगरी अंक आने के बाद इस नियम को लेकर जवाब मांगा है और 6 मई को सुनवाई होगी।
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इस केस से बाकी रिजल्ट का क्या लेना-देना अब यह सवाल
अब सवाल है कि यह केस तो 2025 राज्य सेवा के लिए है, फिर इसका अन्य रिजल्ट से क्या लेना-देना। बात सही है लेकिन पूरे नियम को ही चुनौती दे दी गई है। उसकी संवैधानिकता ही संकट में आ चुकी है, क्योंकि इसमें मूल नोटिफिकेशन जो 7 नवंबर 2000 का है, उसे भी चुनौती दी गई है। यदि यह निरस्त होता है तो फिर इस आधार पर हर परीक्षा में खासकर जिनके रिजल्ट होल्ड है और आने की क्रम में हैं, उन पर सवाल हो सकते हैं। ऐसे में रिजल्ट हो गया और मेरिट सामने आ गई तो आयोग बाद में और मुश्किल में आ जाएगा। इसी बात को लेकर आयोग के अंदर गहन विचार चल रहा है और सभी ने फिलहाल हाथ खड़़े कर रखे हैं, इसलिए मामला आयोग के अंदर बुरी तरह अटका हुआ है, ना सरकार और ना ही आयोग के जिम्मेदार इस मामले में आगे बढऩे के लिए तैयार है।
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फिर आयोग ने कुछ रिजल्ट तो जारी किए हैं- दूसरा सवाल
फिर सवाल आता है कि 25 मार्च के बाद की बात करें जब हाईकोर्ट ने इसमें पहला निर्देश जारी किया था इसके बाद आयोग ने असिस्टेंट प्रोफेसर सांख्यिकी, संगीत, पर्यावरण विज्ञान, विधि के साथ ही सहायक पंजीयक का भी रिजल्ट जारी किय है। वो कैसे आ गए।
जवाब- तो इसका जवाब कि इनमें पद ही गिनती के हैं और इसमें आरक्षित कैटेगरी से अनारक्षित में आने का कोई सवाल खड़ा नहीं हो रहा, इसके चलते आयोग ने इसके रिजल्ट दे दिए, लेकिन बाकी में यह पेंच फंसा है जैसे-
1- असिस्टेंट प्रोफेसर सांख्यिकी- रिजल्ट 7 अप्रैल को आया, इसमें केवल 5 पद थे जिसमें अनारक्षित के दो पद थे, इसमें कैटेगरी संबंधी कोई मामला नहीं बना, क्योंकि दो ही पद थे।
2- असिस्टेंट प्रोफेसर पर्यावरण विज्ञान- रिजल्ट 8 अप्रैल को आया, इसमें केवल एक ओबीसी पोस्ट
3- असिस्टेंट प्रोफेसर विधि- रिजल्ट 9 अप्रैल को आया, क्योंकि सभी 29 पद एसटी वर्ग से ही है
4- संहायक पंजीयक- रिजल्ट 7 अप्रैल को आया, क्योंकि केवल 1 पद ओबीसी का
5- असिस्टेंट प्रोफेसर संगीत- रिजल्ट 15 अप्रैल को आया, क्योंकि अनारक्षित में केवल दो पद।
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परीक्षा नियम का विवाद क्यों इतना गंभीर है
मप्र राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 क्यों इतना कठिन है। दरअसल नवंबर 2000 में तत्कालीन सीएम दिग्विजय सिंह की सरकार के समय यह नियम बना कि आरक्षित वर्ग को कई तरह की छूट दी जाती है (शुल्क व व्यय के अतिरिक्त उम्र की छूट, पास होने के कटआफ की छूट आदि), ऐसे में यदि एक आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार उम्र या कटआफ जैसी छूट भी लेता है (परीक्षा शुल्क व व्यय को छूट नहीं माना गया) तो फिर उसे मेरिट में अंकों के आधार पर अनारक्षित में नहीं जाना चाहिए। उसी वर्ग में रहना चाहिए। इसी नियम के आधार पर हमेशा भर्ती चली आ रही है। इस पर किसी ने कोई आपत्ति नहीं ली।
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कमलनाथ सरकार के समय इसमें एक बदलाव हुआ जो रद्द किया
कमलनाथ सरकार ने जब ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिया, तो साथ ही परीक्षा नियम 2015 के रूल में 17 फरवरी 2020 को चेंज किया और कर दिया कि मेरिट के आधार पर भी कोई भी आरक्षित वर्ग का व्यक्ति अनारक्षित में नहीं जाएगा और वह अपने ही वर्ग में रहेगा। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और याचिका 542/2021 के तहत इसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद फिर 20 दिसंबर 2021 में इस नियम को बदलकर पूर्ववत कर दिया गया, वहीं ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी कर दिया।
इंद्रा साहनी केस में साफ है मेरिट से तय होगा रिजल्ट
इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंद्रा साहनी केस को अहम आधार बनाया गया है। इसमें साफ तौर पर सुप्रीम कोर्ट ने मेरिट को प्राथमिकता देते हुए कहा है कि अनारक्षित की सूची मेरिट यानी प्राप्त अंकों के आधार पर ही बनेगी और इमसें आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार अंकों के आधार पर प्राथमिकता पाकर अंदर आएगा। याचिकाकर्ता ममता डेहरिया, सुनीत यादव ने यही मुद्दा उठाते हुए कहा कि मप्र राज्य परीक्षा नियम 2015 भारत के संविधान की धारा 14, 16 और सुप्रीम कोर्ट के इंद्रा साहनी केस और मप्र आरक्षण नियम 1994 को खारिज कर रहा है। इस तरह उन्होंने इस 2015 के नियम को ही चुनौती दी है और इसमें मेरिट से बनने वाली रिजल्ट सूची पर सवाल खड़ा किया है।
नियम 2015 खत्म करने की मांग
याचिका में परीक्षा नियम 2015 को ही चुनौती दी गई है और इसे खारिज करने की मांग उठी है। साथ ही नवंबर 2000 के गजट नोटिफेकशन को भी खारिज करने की मांग इसमें की गई है। यही नहीं राज्य सेवा परीक्षा 2025 के लिए जारी नोटिफिकेशन जिसमें इस नियम 2015 का हवाला है उसे ही रद्द करने की मांग की गई है, यानी यह हुआ तो पूरी प्रक्रिया ही जीरो हो जाएगी।
इतने लोगों को आरक्षित से अनारक्षित में किया है
मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा जो हाईकोर्ट में कैटेगरी वाइज कटआफ प्री 2025 का बताया है इसमें साथ ही यह बताया कि अनारक्षित में जो 1140 कुल उम्मीदवार चुने गए हैं, इसमें मेरिट के आधार पर एससी के 42, एसटी के 5, ओबीसी के 381 और ईडब्ल्यूएस के 262 उम्मीदवार शामिल है।
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कैटेगरी वाइज कटआफ यह रहा-
-यूआर- 158
-एससी- 142
-एसटी- 128.
-ओबीसी मेल- 154
-ओबीसी फीमेल- 152
-13 फीसदी प्रोवीजनल में
-यूआर के लिए 152 व ओबीसी का 150
(मूल 87 फीसदी रिजल्ट में प्री में 3866 और 13 फीसदी में 828 मेंस के लिए पास घोषित हुए हैं)
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आयोग से कोई जवाब नहीं मिला
इस संबंध में द सूत्र ने आयोग के सचिव प्रबल सिपाहा से बात करने की कोशिश की, मैसेज किया लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। इसी तरह आयोग के ओएसडी डॉ. रविंद्र पंचभाई ने भी जवाब नहीं दिया।