इंदौर में आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया एक कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। इस दौरान उन्होंने दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार सहित शिक्षा माफिया की कमर तोड़ने जैसी कई बातें बताईं। उन्होंने बताया कि दिल्ली चुनाव के नतीजों से भाजपा व कांग्रेस से ज्यादा खुश तो शिक्षा माफिया थे। उन्हें लगा, उनका राज फिर लौट आया है। वही हुआ भी। महीनेभर में ही दिल्ली में शिक्षा माफिया पूरी तरह सक्रिय हाे गया। उनमें डर खत्म हाे गया है।
दुनियाभर के एजुकेशन मॉडल को पढ़ा
सिसौदिया ने कहा जेल में रहकर भी वे ज्यादातर समय एजुकेशन सिस्टम पर ही सोचते थे। जेल में उन्होंने दुनियाभर के एजुकेशन मॉडल काे पढ़ा। समझा और तकनीकी पहलू पर स्टडी की। तीन डायरी भरकर एजुकेशन सिस्टम से जुड़े नोट्स बनाए। अब माैका मिला ताे देशभर में घूम-घूमकर यह सारे मॉडल युवाओं व जिम्मेदारों तक पहुंचा रहे हैं।
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मेरी चिंता देशभर के स्कूलों के 30 करोड़े बच्चे हैं
उन्होंने बताया कि मुझे न खुद के भविष्य की चिंता है न केजरीवाल के और न ही पार्टी के। हमारी चिंता देशभर के स्कूलों में पढ़ रहे 30 करोंड़ स्कूली बच्चों के भविष्य काे लेकर है। आज जाे पढ़ाया जा रहा है, एआई के दौर में सब गैरजरूरी हाे जाएगा। खराब एजुकेशन सिस्टम के लिए देश के नेता ही जिम्मेदार हैं। शिक्षा काे गंभीरता से लेना होगा।
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लोगों को एजुकेशन जैसे मुद्दों पर देना चाहिए वोट
सिसौदिया बोले कि क्लास से पढ़ते बच्चे काे बाहर कर देने वाले स्कूल पर देशद्रोह का मुकदमा लगना चाहिए। लाेगाें काे अपना वोट एजुकेशन जैसे मुद्दे पर डालना चाहिए। युवाओं से कहूंगा कि वे दुनिया के दूसरे देशों जैसे अमेरिका, फिनलैंड का एजुकेशन सिस्टम समझें। लाेगाें काे एजुकेशन पर हुए काम का मुद्दा जरूर ध्यान रखना चाहिए।
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देश के 47 प्रतिशत स्कूलों में तो बिजली भी नहीं
उन्होंने कहा कि बच्चों के फ्यूचर काे बनाने वाला एजुकेशन मॉडल होना चाहिए, जाे हमने दिल्ली में लागू किया। नए सिलेबस तैयार किए। देशभर में आज भी पुराना एजुकेशन मॉडल चल रहा है। दुनिया इससे काफी आगे निकल चुकी है। हमारे देश में आज भी 47 प्रतिशत स्कूलों में बिजली नहीं है। कई स्कूलों में इंटरनेट व कम्प्यूटर नहीं है।
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पूरा जीवन एजुकेशन सिस्टम को समर्पित रहेगा
दिल्ली में पार्टी की हार के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं। पैसा बांटकर लाेगाें काे वोट नहीं डालने दिए। हम विपक्ष की आवाज बनकर काम करते रहेंगे। मेरा पूरा जीवन एजुकेशन सिस्टम काे समर्पित रहेगा। अगर मैं दिल्ली का चुनाव जीत जाता ताे दिल्ली तक रहता। अब पूरे देश में एजुकेशन सिस्टम पर काम करूंगा और लाेगाें से चर्चा करूंगा।