मंजू राय बनी रहेंगी दमोह नगर पालिका अध्यक्ष, सही साबित हुई द सूत्र की खबर

कांग्रेस नेता मंजू राय के खिलाफ भाजपा पार्षदों के द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव मामले में हाइकोर्ट में हुई पिछली सुनवाई में ही द सूत्र ने यह साफ कर दिया था की संशोधित नगर पालिका अधिनियम का फायदा कांग्रेस को ही मिलने वाला है।

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Neel Tiwari
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Manju Rai

दमोह की  नगर पालिका अध्यक्ष कांग्रेस नेता मंजू राय के खिलाफ भाजपा पार्षदों के द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव मामले में हाइकोर्ट में हुई पिछली सुनवाई में ही द सूत्र ने यह साफ कर दिया था की संशोधित नगर पालिका अधिनियम का फायदा कांग्रेस को ही मिलने वाला है। जबलपुर हाईकोर्ट में जस्टिस जी एस अहलूवालिया के आदेश के बाद यह विश्लेषण सच साबित हुआ।

नगर पालिका अध्यक्ष के खिलाफ था भाजपा पार्षदों का अविश्वास प्रस्ताव

भाजपा के 20 पार्षदों ने 27 अगस्त को कलेक्टर को अविश्वास प्रस्ताव के लिए आवेदन सौंपा था। कलेक्टर ने इस अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग के लिए 4 सितंबर का दिन भी तय कर दिया था। जिसमे पार्षद अध्यक्ष के खिलाफ वोटिंग करने वाले थे। इसके पहले ही इस मामले में मंजू राय ने हाई कोर्ट की शरण ली और भाजपा सरकार के द्वारा ही नगर पालिका अधिनियम में किए गए संशोधन का फायदा कांग्रेस को मिल गया। जबलपुर हाईकोर्ट में जस्टिस अहलूवालिया ने आदेश जारी करते हुए जिला कलेक्टर दमोह और एडिशनल कलेक्टर के द्वारा अविश्वास प्रस्ताव की बैठक के लिए जारी किए गए आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट के आदेश से यह साफ हो चुका है कि अब मंजू राय जब तक अपना 3 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर लेतीं तब तक तो उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा।

नगर पालिका अधिनियम संशोधन के लागू होने की दिनाँक पर फंसा था पेच

इस मामले मे बहस का मुद्दा यही था की नगर पालिका अधिनियम मे किया गया संशोधन पूर्वव्यापी (retroactive) होगा या भविष्यव्यापी (prospective)। मध्य प्रदेश नगर पालिका अध्यादेश 1961 के अनुसार किसी नगर पालिका अध्यक्ष के पदभार ग्रहण करने के 2 साल के बाद ही उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता था। लेकिन इस अध्यादेश में संशोधन किया गया और नए अधिनियम के अनुसार अब अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की समय सीमा 2 साल से बढ़कर 3 साल कर दी गई है। यह अध्यादेश संशोधन कैबिनेट से मंजूर किया गया है और 27 अगस्त 2024 को राजपत्र में प्रकाशित भी हो चुका है। दमोह नगर पालिका के मामले मे मंजू राय नगर पालिका अध्यक्ष पद पर 5 अगस्त 2022 को चुनी गईं थी और उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 2 साल और 18 दिनों के बाद 23 अगस्त 2024 को लाया गया है। आम भाषा मे अगर समझें तो यह संशोधन लागू होने की  दिनाँक से मान्य होगा या बीते समय से यही मुख्य पेंच था।

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दो अलग मामलों में अलग फैसले का भेदभाव क्यों ? राज्य सरकार स्पष्ट करे स्थिति

जबलपुर हाईकोर्ट में इस मामले को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विवेक तन्खा ने एक अन्य का जिक्र किया था जिसमें जिसमें सागर जिले की देवी नगर पालिका में भी इसी तरह की स्थिति बनी थी पर एडिशनल कलेक्टर ने इस अध्यादेश के संशोधन के बाद अपना आदेश वापस ले लिया था। कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने यह माना कि जहां इस अध्यादेश संशोधन के आने के बाद सागर के एडिशनल कलेक्टर ने आदेश वापस ले लिया था पर दमोह के कलेक्टर ने अविश्वास प्रस्ताव के लिए बैठक बुला ली जो समानता के सिद्धांतों से परे है। इसलिए राज्य सरकार से यह उम्मीद की जाती है कि वह स्थिति स्पष्ट करें कि अलग-अलग अधिकारियों के द्वारा एक से ही मामले में अलग-अलग आदेश जारी न किया जाए।

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जबलपुर हाईकोर्ट में 40 मामले की सुनवाई में शासकीय अधिवक्ता की ओर से भी पिछले कई हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला दिया गया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपने आदेश में यह लिखा कि नगर पालिका में पार्षदों के द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव यह आरोप लगाते हुए लाया गया है कि नगर पालिका अध्यक्ष के द्वारा सक्रिय तरीके से काम नहीं किया जा रहा हालांकि यदि यह पाया जाता है कि कोई नगर पालिका अध्यक्ष जनता के हित में काम करने और अपने दायित्वों का निर्वहन करने में अक्षम है या रुचि नहीं रखता तो राज्य सरकार  नगर पालिका अध्यक्ष को मध्य प्रदेश म्युनिसिपल एक्ट की धारा 41 ए के तहत हटा सकती है। तो केवल अविश्वास प्रस्ताव ही एक रास्ता नहीं है जिससे नगर पालिका अध्यक्ष की कार्य क्षमता को आंका जा सके।

पिछली दिनांक से लागू होगा अध्यादेश संशोधन

सभी पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस जी एस  अहलूवालिया मैं यह आदेश जारी किया कि मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम में किया गया दूसरा संशोधन रेट्रोएक्टिव मतलब पूर्वव्यापी है। इस संशोधन का असर इसके लागू होने के पहले से ही रहेगा इसलिए 23 अगस्त को दमोह कलेक्टर के द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के लिए आयोजूत की जाने वाली बैठक का आदेश कोर्ट द्वारा निरस्त कर दिया है। अब यह तो साफ है कि दमोह नगर पालिका अध्यक्ष मंजु राय को अविश्वास प्रस्ताव के द्वारा अलग करना 5 अगस्त 2025 के पहले मुमकिन नहीं है ।

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