नील तिवारी, JABALPUR. 24 घंटे खुलेगा बाजार... मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का यह आदेश जबलपुर पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था को देखकर यहां लागू करना मुमकिन नहीं लगता। आचार संहिता समाप्त होने के बाद से ही कानून व्यवस्था को लेकर मोहन सरकार ने सख्त रवैया अपनाया है। बीते दिनों पूरे प्रदेश में हजारों पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के द्वारा कॉम्बिंग गश्त भी की गई पर जबलपुर शहर में इसके उलट, अपराध और बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं। जिस रात जबलपुर शहर में आईजी से लेकर एसपी तक गश्त पर थे। उसी रात पीएससी की तैयारी करने जबलपुर आए छात्र की चाकूओं से गोदकर निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस हत्या के आरोपियों का पुलिस को अब तक सुराग भी नहीं मिला था कि रांझी थाना अंतर्गत देर रात फिर छात्रों के ऊपर हमला कर उनकी मोटरसाइकिल तक लूट ली गई। इसी थाना क्षेत्र में देर रात एक शराब दुकान पर बादमाशों के तलवार लहराते हुए और हमला करने के सीसीटीवी वीडियो भी सामने आए हैं। अब ऐसे में मुख्यमंत्री के आदेश को यदि जबलपुर में लागू करना है तो व्यापारियों को खुद की प्राइवेट सुरक्षा की व्यवस्था करनी पड़ेगी क्योंकि रात में हो रहे अपराधों पर लगाम लगाना जबलपुर पुलिस के बस की बात तो नजर नहीं आ रही है।
सिर्फ FIR दर्ज न करने से नहीं कम होंगे अपराध
जबलपुर में पुलिस महानिदेशक सहित पुलिस अधीक्षक के बार-बार निर्देशों के बाद भी पीड़ित के साथ थानों में इस तरह का व्यवहार किया जाता है कि जैसे वह अपराधी हो। इसके पीछे की वजह सिर्फ यही होती है कि पुलिस कर्मी अपने थाने में दर्ज एफआईआर की संख्या को कम से कम रखना चाहते हैं। इस आंकड़ों के खेल का सीधा-सीधा फायदा अपराधियों को मिलता है और अपराध करने के बाद कार्यवाही न होने से उनके हौसले बुलंद होते हैं।
नशा है बढ़ते अपराधों का कारण
देर रात तक भी शराब दुकानों से खिड़कियों के जरिए शराब बेचने की शिकायतें तो लगातार मिलती ही रहती हैं। इसके अलावा भी जबलपुर शहर में गांजा, इंजेक्शन जैसे मादक पदार्थ गली-गली बिक रहे हैं जिनके वीडियो आए दिन सोशल मीडिया पर वायरल भी हो रहे हैं। इसके बाद भी खानापूर्ति की कार्यवाही में मुख्य आरोपियों तक पहुंचने में पुलिस नाकाम रहती है। अवैध शराब व्यापारियों को शराब उपलब्ध कराने वाली शराब दुकानों और नशे के इंजेक्शन सप्लाई करने वाले मेडिकल डीलर्स पर कोई भी कार्यवाही न करने के कारण या व्यापार लगातार शहर में फल फूल रहा है। नतीजतन नशे में डूबे युवा भी अपराधों को अंजाम दे रहे हैं।
मध्य प्रदेश के डीजीपी नहीं दे रहे महिला आयोग को जवाब
दिसंबर 2023 में ओमती थाने में महिला के साथ की गई निर्मम मारपीट के बाद। जबलपुर के पुलिस अधीक्षक और नगर पुलिस अधीक्षक ने भी दोषी पुलिसकर्मियों पर जांच की बात कर उन्हें लाइन अटैच कर दिया था। पर "रात गई बात गई " की तर्ज में मामले को कैसा ठंडा किया जाता है यह कोई जबलपुर पुलिस से सीखे। इस मामले में महिला आयोग लगातार मध्य प्रदेश के डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस से जवाब मांग रहा है पर उनके कार्यालय से कोई जवाब नहीं मिल रहा। 8 दिसंबर, 20 मई और 12 जून को ईमेल के जरिए महिला आयोग के द्वारा मध्य प्रदेश के डीजीपी से इस मामले में एक्शन टेकन रिपोर्ट (ATR) मांगी गई है पर डीजीपी कार्यालय से इसका कोई जवाब नहीं दिया जा रहा। इससे ही इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि सोशल मीडिया पर जनता के प्रति बहुत संवेदनशील नजर आने वाली पुलिस के आला अधिकारी भी शहर में घट रहे अपराधों में पीड़ितों के प्रति कितने संवेदनहीन है।