BHOPAL : मेडिकल नेग्लिजेंस की वजह से दुधमुंही बच्ची की मौत के लिए पुलिस ने प्रसूति विशेषज्ञ और रेडियोलॉजिस्ट सहित तीन डॉक्टरों पर केस दर्ज कर लिया है। पांच दिन की मासूम बच्ची की मौत से आहत परिजनों ने डॉक्टरों की लापरवाही की शिकायत की थी। जिसकी पड़ताल बीते 9 महीनों से चल रही थी। मेडिकल बोर्ड, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सहित जांच रिपोर्ट में भी डॉक्टरों की लापरवाही की पुष्टि हुई है। मासूम बेटी की मौत से दुखी पिता के दर्द को द सूत्र ने संवेदनशीलता के साथ प्रशासन के समक्ष उठाया था। इसके बाद पुलिस ने तेजी से जांच पूरी करते हुए लापरवाह डॉक्टरों पर अपराध दर्ज कर लिया है। हांलाकि माही को खो चुके शर्मा परिवार को हुई इस छति को किसी भी हालत में पूरा नहीं किया जा सकता। लेकिन पुलिस ने सिसकते पिता, बिलखते परिजन और तथ्यों को खंगालकर लापरवाह डॉक्टरों पर केस दर्ज किया है उससे माही को न्याय मिलने की उम्मीद जरूर बंध गई है।
दुनिया में 5 दिन ही रह पाई थी मासूम माही
सागर के मोतीनगर थाना क्षेत्र में रहने वाले अभिमन्यू शर्मा की पत्नी दिव्या ने 4 दिसम्बर 2023 को मकरोनिया के भागीरथ नर्सिंग होम में एक बच्ची को जन्म दिया था। प्रसव के तीसरे दिन यानी 4 दिसम्बर को प्रसूति विशेषज्ञ डॉक्टर साधना मिश्रा ने जांच के बाद उन्हें छुट्टी दे दी। नवजात बच्ची के घर पहुंचने पर परिवार के सदस्यों ने धूमधाम से दिव्या और मासूम का स्वागत किया और उसका नाम माही रख दिया गया। परिवार में सभी लोग खुश थे कि 7 दिसम्बर को अचानक मासूम माही की तबीयत बिगड़ने लगी। किसी को कुछ समझ में नहीं आया तो उसे संजय ड्राइव स्थित चैतन्य महाप्रभु अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां जांच के बाद उपचार शुरू किया लेकिन काफी मशक्कत के बाद भी डॉक्टर उसे बचा नहीं पाए थे।
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डॉक्टरों ने दी थी गलत जांच रिपोर्ट
पांच दिन की मासूम माही की मौत से उसके पिता अभिमन्यू उबर नहीं पा रहे थे। उन्होंने अपनी पत्नी दिव्या की सभी जांच रिपोर्ट खंगाल डालीं। इस दौरान उन्होंने पाया कि नर्सिंग होम की डॉक्टर साधना मिश्रा और रेडियोलॉजिस्ट डॉ.रीटा जैन के अलावा डॉक्टर राजेश जैन ने प्रसव से पहले कराई गई तीन सोनाग्राफी रिपोर्ट में बच्ची को स्वस्थ बताया था। उसके दिल को भी पूरा विकसित और चारों चैंबर होने का उल्लेख भी अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में था। अभिमन्यू ने माही की मौत से ठीक पहले कराई गई ईक-कार्डियोग्राफी टेस्ट की रिपोर्ट को पलटा तो सन्न रह गए। यह रिपोर्ट प्रसूति से पहले गर्भअवस्था में कराई गई तीनों सोनोग्राफी रिपोर्ट से अलग थी। आखिरी रिपोर्ट में दर्ज था कि माही का दिल पूरी तरह विकसित नहीं हुआ है। उसके दिल में तीन चैंबर ही हैं। इस रिपोर्ट के बाद अभिमन्यू के मन में उथल-पुथल मच गई और वे डॉ.साधना मिश्रा से जवाब मांगने पहुंच गए। डॉ. साधना मिश्रा अपनी लापरवाही को छिपाती रहीं। रेडियोलॉजिस्ट डॉ.रीटा जैन और डॉ. राजेश जैन ने भी अपनी गलती स्वीकार नहीं की।
लापरवाहों को सजा दिलाने लड़ते रहेंगे
मासूम बच्ची को खो देने का दर्द झेल रहे अभिमन्यू शर्मा ने मोतीनगर थाने में शिकायत की। उनके सक्रिय रहने से पुलिस ने भी रुचि लेकर जांच की। मेडिकल बोर्ड ने मासूम का दिल अविकसित होने और चार की जगह केवल तीन चैंबर ही होने की पुष्टि कर दी थी। जबकि नर्सिंग होम की डॉक्टर साधना मिश्रा, रेडियोलॉजिस्ट डॉ.रीटा जैन और राजेश जैन ने अपनी जांच और सोनोग्राफी रिपोर्ट में बच्ची का दिल पूर्ण विकसित बताया था। दोनों रिपोर्ट में विरोधाभास था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी दिल के अविकसित रहने को मौत की वजह बताया गया था। मेडिकल बोर्ड, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और जिला लोक अभियोजन अधिकारी की राय के आधार पर पुलिस ने बच्ची की मौत के लिए मेडिकल नेग्लिजेंस को जिम्मेदार मानते हुए डॉक्टर साधना मिश्रा, डॉ.रीटा जैन और डॉ. राजेश जैन के विरुद्ध अपराध दर्ज कर लिया है। बेटी को खोने वाले अभिमन्यू की आंखों में दर्द अब तक छलक रहा है। उनका कहना है डॉक्टर जीवन देने वाला दूसरा भगवान होता है। लेकिन जिनकी लापरवाही किसी की जान ले ले उन्हें क्या कहेंगे। अभी तो केस दर्ज हुआ है, लापरवाहों को सजा मिलने तक वे लड़ते रहेंगे।
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