संजय शर्मा@BHOPAL. जब उसकी किलकारी गूंजी तो पूरा घर चहक उठा था। घर का कोना-कोना सजाया गया और परिवार वालों ने थिरकते हुए उस महालक्ष्मी का स्वागत किया। माता- पिता के साथ जब वह घर आई तो दादी-नानी और बुआ ने उसके नन्हें पैरों की छाप भी ली थी। हर कोई खुश था, लेकिन उन्हें क्या खबर थी कि खुशी के ये पल चंद घंटों के मेहमान हैं। आखिर इस परिवार को किसकी नजर लग गई। दर्द भरी ये दास्तां केवल उस पिता की है जिसने पांच दिन की बिटिया को खो दिया। ये उन लापरवाहों पर चोट भी है जिनकी वजह से कई माताओं की गोद सूनी रह जाती है। उन्हें इससे कोई पीड़ा नहीं होती बल्कि अपनी गलती छिपाने की शर्मनाक कोशिशों में जुट जाते हैं। धरती के भगवान के रूप में अपनी पहचान को कलंकित करने वाले ऐसे ही डॉक्टरों की लापरवाही से अब एक हंसते-खिलखिलाते परिवार में मायूसी छाई है। मेडिकल नेग्लीजेंसी के मामले तो अक्सर सामने आते हैं, लेकिन मासूम बेटी को खो चुके पिता ने लापरवाह डॉक्टर और डॉयग्नोस्टिक सेंटर को सबक सिखाने का संकल्प ले लिया है।
डॉक्टर ने छिपाई बच्ची की दिल की समस्या, बच्ची के हार्ट में थे तीन चैंबर
सागर के बड़ा बाजार में रहने वाले अभिमन्यू शर्मा और दिव्या शर्मा की मासूम बेटी ने 4 दिसंबर 2023 को जन्म लिया था। गर्भावस्था के बाद से अभिमन्यू अपनी पत्नी की नियमित जांच मकरोनिया के भागीरथ नर्सिंग होम में करा रहे थे। नर्सिंग होम की डॉक्टर साधना मिश्रा की सलाह पर पास के ही रिचा डॉयग्नोस्टिक हॉस्पिटल में दिव्या की सोनोग्राफी और दूसरी जांच कराई जाती थी। गर्भ के बाद तीसरे, छठवें और फिर नौवे महीने में सोनोग्राफी (अल्ट्रासाउंड) की रिपोर्ट में रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर रीटा जैन ने सब कुछ ठीक बताया। उन्होंने गर्भस्थ शिशु के सभी अंग पूर्ण विकसित होने की रिपोर्ट भी दी लेकिन दिल को लेकर अहम जानकारी छिपा ली। बच्चे के स्वस्थ होने से पूरा परिवार खुश था। 4 दिसंबर को दिव्या ने बच्ची को जन्म दिया को परिवार खुशियों से झूम उठा। माता-पिता के साथ ही दादा-दादी, नाना-नानी और बुआ-चाचा, मामा सब नन्हीं गुड़िया को लेकर सपने बुनने में जुट गए थे। तीन दिन बाद 6 दिसंबर को जब नन्हीं परी मां की गोद में घर पहुंची तो परिवार ने ढोल-ढमाकों के साथ नाचते-झूमते उसका स्वागत किया। दिव्या फूलों की पंखुड़ियों पर चलकर घर में पहुंची तो नन्हीं महालक्ष्मी के पैरों की छाप भी ली गई। बच्ची को माही नाम भी दे दिया गया। सब ठीक चल रहा था लेकिन दुखों के मंडराते बादलों से अभिमन्यू और उनका परिवार बेखबर था।
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इस तरह दुनिया को छोड़कर चली गई माही
अगले दिन यानी 7 दिसबंर को मासूम माही की मालिश करने पहुंची बूढ़ी दाई ने जब देखा तो चेहरे पर शंका गहरा गई। उसने परिवार के सदस्यों को इसके बारे में बताया वे खुशी में डूबे अभिमन्यू घबरा गए। बच्ची को तुरंत ही चैतन्य अस्पताल लेकर पहुंचे। डॉक्टर ने जांच शुरू की तब तक बच्ची की तबीयत बिगड़ने लगी थी। एक-एक कर जांचों का ढेर लग गया और जब हार्ट की रिपोर्ट आई तो सबके दिल बैठ गए। रिपोर्ट में लिखा था बच्ची का दिल पूरी तरह विकसित नहीं है। उसमें आलिंद और निलय के दो-दो सैट होने चाहिए लेकिन माही के दिल में चार की जगह तीन ही वॉल्व हैं। इधर, माही की हालत बिगड़ रही थी तो पूरा परिवार उसे बचाने के लिए यहां से वहां दौड़ रहा था। दो दिन की कोशिश के बाद डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया और 9 दिसंबर को माही परिवार को छोड़कर दुनिया से विदा हो गई। यह सब इतने जल्दी हुआ कि अभिमन्यू और पूरा परिवार स्तब्ध था। बेटी के बेजान मासूम शरीर को हाथ में लिए सब सिसक रहे थे। तभी अभिमन्यू ने डॉक्टर के सामने बेटी के शव का पोस्टमॉर्टम कराने की बात रख दी। उन्हें नर्सिंग होम में पत्नी के इलाज और डॉयग्नोस्टिक सेंटर की जांच रिपोर्ट में लापरवाही पर संदेह था।
लापरवाही को छिपाने में जुटी डॉक्टर
अभिमन्यू की जिद के चलते थाने को खबर दी गई और पुलिस ने वीडियोग्राफी के साथ 5 दिन की मासूम माही के शव का पोस्टमॉर्टम कराया और बिलखते हुए उसको विदा कर दिया। जब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आई अभिमन्यू की शंका सच साबित हुई क्योंकि रिपोर्ट भी माही का दिल पूर्ण विकसित न होने की पुष्टि कर रही थी। अभिमन्यू इस रिपोर्ट के साथ पत्नी की नियमित जांच करने वाली डॉक्टर साधना मिश्रा के पास पहुंचे तो उन्होंने डॉयग्नोस्टिक सेंटर पर बात टाल दी। वे डॉयग्नोस्टिक सेंटर पहुंची तो वहां डॉक्टर रीटा जैन ने भी अपनी लापरवाही मानने से इंकार कर दिया। तब अभिमन्यू मासूम बेटी को न्याय दिलाने पुलिस के पास पहुंच गए। शिकायत पांच महीने बाद भी जांच में है। डॉयग्नोस्टिक सेंटर की डॉक्टर अपनी लापरवाही को छिपाने में जुटी है और पुलिस के बुलाने पर भी थाने नहीं पहुंच रही हैं।
डॉक्टरों की लापरवाही से बेटी को खो दिया
अभिमन्यू जब माही की बात करते हैं तो उनकी आंखें नमी से भर जाती हैं। उनका कहना है हजारों रुपया जांच के नाम पर डॉक्टर वसूलते हैं। यदि डॉक्टर ने रिपोर्ट सही दी होती तो बेटी के दिल में तीन चेंबर होने की बात सामने आ जाती। वे उसे बचाने के लिए जरूरी इलाज के लिए तैयार हो जाते या कोई दूसरा निर्णय लेते। उन्हें डॉक्टरों की लापरवाही से बेटी को खोने का यह दुख झेलना पड़ा है। डॉक्टर घरती के भगवान कहे जाते हैं लेकिन मासूम माही के जन्म से पहले खिलवाड़ कर इस पवित्र पेशे को बदनाम किया है। वहीं मामले की जांच कर रहे थाना प्रभारी जसवंत सिंह का कहना है जांच अंतिम दौर में है और पीएम रिपोर्ट और परिवार के बयानों से डॉक्टरों की लापरवाही की बात सामने आई है। डॉक्टर बयान दर्ज नहीं करा रही हैं। इस मामले में जल्द केस दर्ज किया जाएगा।
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