Chhattisgarh Monsoon Update : प्रदेश में नौतपा के बीच कई इलाकों में झुलसा देने वाली गर्मी पड़ी रही है। भीषण गर्मी के बीच अब एक राहतभरी खबर सामने आ रही है। छत्तीसगढ़ में प्री मानसून की बरसात जल्द हो सकती है। मानसून की पहली राहतभरी फुहारें बस्तर में पड़ने का अनुमान है। मौसम विभाग की मानें तो 13 जून को मानसून बस्तर से होते हुए छत्तीसगढ़ में एंटर कर सकता है।
इस दिन दस्तक देगा मानसून
मौसम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश में मानसून बस्तर से 13 जून को प्रवेश करेंगा। जबकी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 16 जून और सरगुजा संभाग में 17 जून को पहुंचने की संभावना है। इसके साथ ही 21 जून को मानसून के पूरे छत्तीसगढ़ में एक्टिव होने का अनुमान है।
जल्द बदलेगा छत्तीसगढ़ का मौसम
मौसम विभाग के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले इस साल ज्यादा बारिश हो सकती है। देखा जा रहा है कि पिछले साल की तुलना में मानसून प्रदेश में कुछ दिन पहले ही प्रवेश कर रहा है। साल 2023 में प्रदेश में मानूसन 21 जून को पहुंचा था। फिलहाल प्रदेश में भीषण गर्मी पड़ रही है। मौसम विभाग के मुताबिक 1 जून से प्रदेश के मौसम में बदलाव हो सकता है। कुछ इलाकों में अंधड़ के साथ बारिश भी हो सकती है। इतना ही नहीं मौसम विभाग ने लू को लेकर अलर्ट भी जारी किया है।
सामान्य से ज्यादा बारिश की संभावना
मौसम विज्ञानीक संजय बैरागी ने बताया कि समय पर मानसून के आने से छत्तीसगढ़ में इस साल सामान्य से ज्यादा बारिश की संभावना है। पिछले 5 सालों के बारिश के रिकार्ड को देखा जाए प्रदेश में हर साल बाद 1000 मिमी के आसपास और अधिक बारिश रिकार्ड हुई है।
इस साल ला-नीना की वजह से सामान्य से ज्यादा बारिश होने का अनुमान है। भारत के लिए आमतौर पर ला-नीना का असर अच्छा होता है। हालांकि, इसकी वजह से कई बार भारी बारिश होती है। राज्य में मानसून के दौरान औसत 1142.1 मिमी बारिश होती है। इस सीजन सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान है।
क्या है ला-नीना ?
ल-नीनो हो या ला-नीना, ये दोनों ही भौगोलिक घटनाएं दुनिया के सबसे बड़े प्रशांत महासागर में होती हैं। ये महासागर एशिया और अमेरिका के बीच में है। आमतौर पर प्रशांत महासागर में हवाएं साउथ अमेरिका से ऑस्ट्रेलिया की ओर बहती हैं। इन हवाओं को ट्रेड विंड कहते हैं। धरती पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है। ऐसे में कॉरिऑलिस प्रभाव की वजह से समुद्र में ये हवाएं उल्टे डायरेक्शन यानी पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हैं।
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इस नॉर्मल सिचुएशन में गर्म हवाएं ऑस्ट्रेलिया के करीब आकर प्रशांत महासागर में जमा हो जाती हैं। पानी गर्म होने की वजह से वाष्प जल्दी बनती है। इस कारण ऑस्ट्रेलिया और इसके आसपास इलाकों में तेज बारिश होती है। जबकि समुद्र के नीचे से ठंडा पानी साउथ अमेरिका के तटों पर प्रशांत महासागर के सतह पर आकर जमा होता है।
जब ला-नीना आता है उस दौरान प्रशांत महासागर के ऊपर बहने वाली ट्रेड विंड और ज्यादा मजबूत हो जाती है। इसकी वजह से और ज्यादा गर्म पानी ऑस्ट्रेलिया के करीब आकर जमा हो जाता है।इसकी वजह से ऑस्ट्रेलिया और एशिया में भारी बारिश होती है। वहीं, साउथ अमेरिका और इसके आसपास के देशों में भीषण सूखे की स्थिति बन जाती है। ये आमतौर पर 3 से 4 साल तक एक्टिव रहता है।
मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट
मौसम विभाग ने शनिवार को रायपुर, महासमुंद, दुर्ग, बालोद, बेमेतरा, कबीरधाम, खैरागढ़, बलौदाबाजार, सक्ती, मानपुर, अंबागढ़ चौकी, राजनांदगांल, बिलासपुर, मुंगेली, रायगढ़, कोरबा, जांजगीर-चांपा, मनेंद्रगढ़, चिरमिी, कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर जिले में हीट वेव का येलो अलर्ट जारी किया है। तो वहीं बस्तर संभाग में मौसम में बदलाव देखने को मिल सकता है। मौसम विभाग के मुताबिक, बस्तर, सुकमा और कोण्डागांव में हल्की बूंदाबांदी हो सकती है। 4 जून तक बस्तर में प्री मानसून का असर दिख सकता है। मौसम विभाग का कहना है कि 1 जून को अधिकतम तापमान में थोड़ी गिरावट हो सकती है। ऐसे में लोगों को गर्मी से राहत मिलेगी।