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इंदौर. मध्यस्थता एवं लोक अदालत के प्रति जनजागरूकता के लिए उच्च न्यायालय परिसर से रविवार की सुबह मैराथन एवं रैली का आयोजन किया गया। जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विवेक रूसिया ने हरी झंडी दिखाकर मैराथन और रैली का शुभारंभ किया। अच्छी बात यह थी कि रैली में कई मूक बधिर बच्चे और बड़ों ने भी भाग लिया था, जिन्हें जजेस की स्पीच को ट्रांसलेट करके मध्यस्थता के फायदें और उससे जुड़ी जानकारी दी जा रही थी।
इस अवसर पर अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश गण अधिवक्ता गण एवं पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारियों सहित समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। मैराथन में ने कहा कि मध्यस्थता एक ऐसा माधेयम है जिसमें विन-विन कॉन्सेप्ट काम करता है। इसमें समझौता के माध्यम से दोनों पक्षों के विवाद खत्म हो जाता है और वो मामले कोर्ट में जाने से बचते हैं। उन्होंने बताया कि इंदौर में करीब 120 मध्यस्थ है जो हर 22 धर्मों से आते हैं और अब तक करीब 6 हजार मुकदमें बिना कोर्ट आए ही सुलझा दिए गए हैं।
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कलेक्टर ऑफिस में भी है मध्यस्थता केन्द्र
अब कलेक्टर ऑफिस में भी मध्यस्थता केन्द्र खुला हुआ है। यहां जनसुनवाई में आने वाले केस का निपटारा होता है। दूसरा मध्यस्थता केन्द्र पुलिस कमिश्नर द्वारा शुरू किया गया है यहां भी जो पुलिस केस रजिस्टर्ड हो जाते हैं और जो थाने तक नहीं पहुंचना चाहिए था वे मामले सुलझते हैं। इसके अलावा नगर निगम के सामुदायिक केन्द्रों को भी मध्यस्थता केन्द्र में कन्वर्ट किया जाना है।
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मध्यस्थता में जुड़ते हैं केस
मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के अध्यक्ष न्यायाधिपति संजीव सचदेवा ने कहा, खेलकूद एक ऐसा माध्यम है जिसमें सभी अपने दुख-दर्द और तकलीफें भूलकर इकट्ठा होते हैं। मैराथन में बच्चों से लेकर बुजुर्ग भी शामिल हैं। मध्यस्थता में हम रिश्ते जोड़ता हैं।
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जजेस, महापौर और कमिश्नर ने किया फ्लैग ऑफ
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खण्डपीठ इंदौर के कैंपस में सुबह 7.30 बजे उत्साह ऊर्जा एवं जोश से भरे वातावरण के साथ मैराथन को झंडी दिखाकर रवाना किया गया। मैराथन के शुभारंभ अवसर पर मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के अध्यक्ष न्यायाधिपति संजीव सचदेवा एवं उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति इंदौर के अध्यक्ष न्यायाधिपति विवेक रूसिया सहित उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधिपति उपस्थित थे।
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ये था मैराथन का रुट
प्रिंसिपल रजिस्ट्रार/सचिव अनूप कुमार त्रिपाठी ने बताया यह मैराथन उच्च न्यायालय खण्डपीठ परिसर इंदौर से प्रारंभ होकर लेन्टर्न चौराहा, जंजीरवाला चौराहा, इंडस्ट्री हाउस, गीता भवन, मधुमिलन चौराहा, रीगल चौराहा होते हुए वापस उच्च न्यायालय खण्डपीठ परिसर इंदौर में सम्पन्न हुई। मैराथन में समस्त न्यायाधिपतिगण के साथ-साथ जिला न्यायालय के समस्त न्यायाधीशगण, प्रशासनिक अधिकारीगण, पुलिस अधिकारीगण, उच्च न्यायालय एवं जिला न्यायालय के अधिवक्तागण, इंदौर जिले के सामुदायिक मध्यस्थगण, पैनल अधिवक्तागण, पैरा लीगल वालेंटियर, फोर्स अकेडमी के विद्यार्थीगण के साथ लॉ कॉलेज के विद्यार्थी भी शामिल हुए।
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कई प्रशासनिक अधिकारियों की रही मौजूदगी
मैराथन में महापौर पुष्य मित्र भार्गव, पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह, एडिशनल पुलिस कमिश्नर अमित कुमार सिंह, नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा, अपर आयुक्त अभिलाष मिश्रा, अपर कलेक्टर राजेंद्र सिंह रघुवंशी औररोशन राय सहित अन्य एसडीए एवं प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे।
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किसी को कोर्ट आने की जरूरत नहीं
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि मध्य प्रदेश स्टेट लिगल सर्विसेज अथोरिटी का यह एक बहुत ही सार्थक प्रयास है कि शहर में मध्यस्थता और सामुदायिक प्रयास की दृष्टि से जो छोटे-छोटे विवाद होते हैं। पारिवारिक विवाद होते हैं उन्हें सुलझाने का ये एक ही बहुत ही अनुठा प्रयास शुरू हुआ है। मैराथन में शहर के सभी समाज, मैराथन ग्रुप्स और प्रशासनिक अमला इकट्ठा हुआ है। सभी का एक ही प्रयास है कि छोटे-छोटे मुकदमे यूं ही हल हो जाए, कोर्ट खुद चाह रही है कि किसी को कोर्ट न आना पड़े।
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समझौते से हो निराकरण
डिस्ट्रिक लिगल ऑफिसर मनीष कौशिक का कहना है कि ये एक तरह का बहुत ही बड़ा इवेंट हुआ है जिसमें कई न्यायाधीश, अधिवक्तागण, जिला न्यायाधीशगण और लगभग सभी जजेस और प्रशासनिक अधिकारी और इंदौर के सभी जजेस मैराथन का हिस्सा बनें है। हम सभी लोगों के बीच जागरुकता फैला रहे हैं कि जितना हो सकें आपसी समझौते से निराकरण करेंगे तो दोनों ही तरफ से विन-विन पोजिशन रहेगी।
हाईकोर्ट की अपील
एडीएम रोशन राय ने कहा कि मध्यस्थता समिति के उत्थान के लिए इस मैराथन का आयोजन किया गया है। इसमें करीब 2 हजार लोग शामिल हुए। हम सभी जागरुकता फैला रहे हैं कि जितना हो सकें कोर्ट कचहरी में जाने के बजाय आपसी समझौते से मेटर को सुलझाया जाएं, इसकी अपील हाईकोर्ट द्वारा की गई है।
सरलता से सुलझा लिया तो बेहतर
डीएवीवी के वॉइस चांसलर डॉ. राकेश सिंघई ने बताया कि जितने भी पेंडिंग केसेस होते हैं यदि उन्हें लोक अदालत के माध्यम से सरलता से सुलझा लिया जाए तो बेहतर होगा। जिस तह से लोगों ने इसमें उपस्थिति दर्ज कराई है इसका एक सकारात्मक संदेश समाज में जरुरत जाएगा।