इंदौर निगमायुक्त सिंह के फैसले से फिर एमआईसी खफा, नगरीय प्रशासन मंत्री विजयवर्गीय को लिखा पत्र

इंदौर नगर निगम में एक बार फिर ब्यूरोक्रैसी के खिलाफ एमआईसी (मेयर काउंसिल) के सदस्यों की नाराजगी सतह पर आ गई। इस बार यह नाराजगी निगमायुक्त हर्षिका सिंह के फैसले पर आई है।

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Pratibha Rana
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इंदौर निगमायुक्त हर्षिका सिंह

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संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर नगर निगम( indore-municipal-commissioner )में एक बार फिर ब्यूरोक्रैसी के खिलाफ एमआईसी (मेयर काउंसिल) के सदस्यों की नाराजगी सतह पर आ गई। इस बार यह नाराजगी निगमायुक्त हर्षिका सिंह( Indore Municipal Commissioner Harshika Singh ) के फैसले पर आई है। एमआईसी सदस्य इस कदर नाराज है कि उन्होंने नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को ही पत्र लिख दिया है। 

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निगमायुक्त द्वारा गठित सात सदस्यीय समिति पर विरोध

दरअसल निगमायुक्त हर्षिका सिंह ने आठ फरवरी को सराफा बाजार में रात्रिकालीन चाट चौपाटी के संचालन के लिए सात सदस्यीय समिति गठित की थी। इस समिति में महापौर परिषद सदस्य राजेंद्र राठौर, राकेश जैन, पार्षद मीता राठौर, अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन, भवन अधिकारी अनूप गोयल, सहायक यंत्री वैभव देवलासे और फायर अधिकारी विनोद मिश्रा को शामिल किया गया था। इस समिति गठन को महापौर परिषद के सदस्य व राजस्व विभाग प्रभारी निरंजन सिंह चौहान ने महापौर के अधिकार क्षेत्र में दखल बताते हुए मंत्री विजयवर्गीय को पत्र भेज दिया। 

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बिना सलाह लिए अपने स्तर पर बना दी निगमायुक्त ने समिति- चौहान

चौहान ने समिति का विरोध करते हुए नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को पत्र लिखा है। पत्र में कहा है कि सराफा बाजार में रात में लगने वाली चाट चौपाटी का संबंध मार्केट एवं स्वास्थ्य विभाग से है, बावजूद इसके राजस्व विभाग प्रभारी से कोई चर्चा नहीं की गई। मार्केट एवं स्वास्थ्य विभाग की राय और महापौर परिषद की जानकारी के बगैर इस समिति का गठन किया गया है। यह महापौर परिषद के अधिकारों का हनन है। चौहान ने समिति गठन के आदेश को तत्काल निरस्त करने की मांग की है। 

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समिति में शामिल एमआईसी सदस्य राठौर भी विरोध में

इधर निगमायुक्त द्वारा समिति में शामिल किए गए एमआइसी सदस्य राजेंद्र राठौर भी समिति के विरोध में उतर आए हैं। उन्होंने निगमायुक्त को पत्र लिखकर समिति गठन महापौर के माध्यम से करने की मांग की है। उनका कहना है कि निगमायुक्त को समिति गठन का अधिकार नहीं है। उन्होंने समिति गठित कर महापौर परिषद के अधिकारों का उल्लंघन किया है। 

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लगातार चल रहा है जनप्रतिनिधि व अधिकारियों में विरोध

यह कोई पहला मामला नहीं है, जब निगम में ब्यूरोक्रैसी वर्सेस महापौर व एमआईसी हो रहा है। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के समय ब्यूरोक्रैसी अधिक पॉवरफुल थी, तब महापौर व एमआईसी सदस्य मन मनोस कर रह गए, लेकिन अब नए सीएम के आने के साथ ही नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बनने के बाद जनप्रतिनिधि अब किसी भी हाल में ब्यूरोक्रेसी की एकतरफा नहीं चलने देना चाहते हैं। महापौर व एमआईसी का साफ संदेश है कि निगम उनके हिसाब से चलेगा ना कि अधिकारियों के तरीके से। उल्लेखनीय है कि खुद विजयवर्गीय भी ब्यूरोक्रैसी के खिलाफ हमेशा तल्ख रहे हैं।

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