मध्य प्रदेश के भोपाल एम्स में पहली बार माइक्रोबायोलॉजी पोस्टमार्टम ( microbiology post mortem ) शुरू हुआ है। इसके कारण अब मौत की वजह की सटीक जानकारी मिल सकेगी। इसी के साथ भोपाल एम्स में पहली बार फॉरेंसिक हिस्टोपैथोलॉजी लैब भी शुरू किया गया है।
फोरेंसिक हिस्टोपैथोलॉजी लैब
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( एम्स ) भोपाल में अब फोरेंसिक मामलों की जांच भी हो सकेगी। इसके लिए फोरेंसिक हिस्टोपैथोलॉजी लैब ( Forensic Histopathology Lab ) की स्थापना की गई है। इस जांच से मौत के कारणों की सही जानकारी आसानी से मिल जाएगी। इसकी वजह से पुलिस को उलझे हुए मामले सुलझाने में मदद मिलेगी। एम्स में इस लैब को शवगृह परिसर में स्थित किया गया है। इससे फोरेंसिक मेडिसिन की क्षमताएं मजबूत होंगी।
माइक्रोबायोलाजी पोस्टमार्टम
एम्स भोपाल में माइक्रोबायोलाजी पोस्टमार्टम ( microbiology post mortem ) भी शुरू किया गया है। आपको बता दें कि इस तरह की सुविधा बहुत कम देशों में है। इस प्रक्रिया के माध्यम से शव के मष्तिस्क से खून निकाला जाता है और इसका बारीकी से अध्ययन किया जाता है। इसकी रिपोर्ट भी अलग से तैयार होती है। उस रिपोर्ट का अध्ययन कर संबंधित व्यक्ति की मौत के कारणों का पता लगाया जा सकता है।
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