रायपुर स्थित यूरो प्रतीक इस्पात इंडिया लिमिटेड के डायरेक्टर्स हिमांशु श्रीवास्तव, सन्मति जैन, सुनील अग्रवाल और सेक्रेटरी लाची मित्तल ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन, हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने उन्हें तत्काल कोई राहत नहीं दी। अदालत ने सभी संबंधित प्रकरणों को क्लब करते हुए 30 अप्रैल को अगली सुनवाई तय की है। इसमें खनिज कारोबारी महेंद्र गोयनका का नाम सामने आया था।
याचिकाकर्ताओं ने निष्पक्ष जांच पर उठाए सवाल
- याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट को बताया गया कि जांच प्रक्रिया शुरू से ही निष्पक्ष नहीं रही।
- महत्वपूर्ण दस्तावेजों, विशेष रूप से संदिग्ध इस्तीफे (Resignation Letters) की फोरेंसिक जांच नहीं कराई गई थी।
- इसी के चलते जांच को बदलकर कटनी पुलिस अधीक्षक को सौंपा गया, ताकि निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।
एफआईआर निरस्त करने की भी अर्जी, सभी मामलों को जोड़ा गया
डायरेक्टर्स ने न केवल गिरफ्तारी से राहत मांगी, बल्कि एफआईआर (FIR) रद्द करने की भी मांग की। उन्होंने दलील दी कि प्राथमिकी (FIR) में तथ्यात्मक त्रुटियां हैं, और इनके आधार पर कार्यवाही आगे नहीं बढ़नी चाहिए। हाईकोर्ट ने सभी याचिकाओं को एक साथ सुनने का निर्णय लिया।
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शिकायतकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना का लगाया आरोप
शिकायतकर्ता हरनीत सिंह लांबा के वकील पी.एस. पटवालिया (P.S. Patwalia) ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि जांच में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने अनुचित हस्तक्षेप किया, जिससे निष्पक्षता प्रभावित हुई।शिकायतकर्ता पक्ष ने अदालत से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पूरी तरह से पालन सुनिश्चित करने की मांग की।
अभी नहीं मिली राहत, 30 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि वर्तमान में गिरफ्तारी पर कोई रोक नहीं है। कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक द्वारा की गई जांच रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। अब सभी प्रकरणों की संयुक्त सुनवाई 30 अप्रैल को होगी, जिसमें सभी बिंदुओं पर गहन विचार किया जाएगा।
पिछली सुनवाई में आईजी को फटकार, कंपनी मीटिंग पर रोक
पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस विशाल मिश्रा ने तत्कालीन आईजी अनिल सिंह कुशवाह (Anil Singh Kushwaha) को फटकार लगाई थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विपरीत गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए आईजी के पत्र को अनुचित करार दिया था।
इस मामले के क्लब होने के बाद अब आगे की सुनवाई चीफ जस्टिस की डिविजनल बेंच में होगी, जिससे आईजी को व्यक्तिगत पेशी से राहत मिल गई है।