मंत्री का करीबी सौरभ शर्मा निकला करोड़ों का आसामी, आधा किलो सोना मिला

मध्‍य प्रदेश। 12 साल की मामूली नौकरी में ही सौरभ शर्मा ने करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया। उसने अनुकंपा नियुक्ति से नौकरी पाई और फिर चंद सालों में सिस्टम को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हुए रसूखदार बिल्डरों और नेताओं के साथ सांठगांठ कर ली। 

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Jitendra Shrivastava
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minister close Saurabh Sharma Photograph: (thesootr)

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BHOPAL. परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के खिलाफ लोकायुक्त की बड़ी कार्रवाई ने भ्रष्टाचार के काले खेल का पर्दाफाश कर दिया है। 19 दिसंबर, गुरुवार को लोकायुक्त की टीम ने अरेरा कॉलोनी स्थित उसके घर पर छापा मारा। रेड में सौरभ के घर से 1.15 करोड़ रुपए कैश मिले हैं। वहीं, आधा किलो से ज्यादा सोना मिला है, जो 50 लाख रुपए से ज्यादा का है। प्रॉपर्टी के कई अहम दस्तावेज मिले हैं। इसी के साथ उसके साथी चेतन सिंह गौर के ठिकाने से 1 करोड़ 70 लाख रुपए मिले हैं। दोनों के घर से मिले सामान और गाड़ियों की कीमत 2 करोड़ रुपए आंकी गई है। 
12 साल की मामूली नौकरी में ही सौरभ शर्मा ने करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया। उसने अनुकंपा नियुक्ति से नौकरी पाई और फिर चंद सालों में सिस्टम को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हुए रसूखदार बिल्डरों और नेताओं के साथ सांठगांठ कर ली। एक साल पहले उसने वीआरएस लेकर खुद को बचाने की कोशिश की, लेकिन उसका खेल यहीं खत्म नहीं हुआ। सौरभ ने भोपाल के शाहपुरा इलाके में एक बड़े स्कूल की फ्रेंचाइजी, एक होटल और अवैध प्रॉपर्टी डीलिंग में निवेश किया। वह अभी जहां रहता है, उस मकान को अपने साले का बताता है। हालांकि लोकायुक्त टीम सभी पहलुओं की जांच कर रही है। 

नोटों के बंडल देखकर दंग रह गई टीम

सूत्रों के मुताबिक, वह एक प्रभावशाली मंत्री के संरक्षण में फल-फूल रहा था, जो पहले कमलनाथ सरकार में और अब शिवराज व मोहन सरकार में भी मंत्री हैं। सौरभ के घर पर जब लोकायुक्त ने छापा मारा तो उन्हें इतनी बड़ी मात्रा में कैश और कीमती सामान देखकर हैरानी हुई। उसकी आलीशान जिंदगी और अकूत संपत्ति ने टीम को चौंका दिया। जांच में पता चला है कि सौरभ अपने पिता की अनुकंपा नियुक्ति से नौकरी में आया था। लेकिन उसने भ्रष्टाचार को हथियार बनाकर प्रदेश भर में अपने काले धंधे फैला लिए।

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दलाली का नेटवर्क और रसूखदारों से करीबी

सौरभ शर्मा का असली खेल परिवहन विभाग में दलाली और पोस्टिंग में सेटिंग से शुरू हुआ। उसने परिवहन विभाग के कई अधिकारियों और रसूखदार नेताओं के जरिए नाका तैनाती और ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल खेला। इसके जरिए उसने करोड़ों की काली कमाई की और रियल एस्टेट कारोबार में झोंक दी। लोकायुक्त की जांच में सामने आया कि सौरभ फिलहाल दुबई में है, जबकि उसके भोपाल स्थित घर पर केवल उसकी मां और नौकर रह रहे थे। लोकायुक्त ने सौरभ के दुबई कनेक्शन की भी जांच शुरू कर दी है। 

कई एंगल से की जा रही जांच 

सौरभ के होटल और स्कूल में निवेश के दस्तावेज भी खंगाले जा रहे हैं। बताया जाता है कि उसने स्कूल एक एनजीओ से अपने नाम कर लिया। उसने गत महीनों में दो मकान भी खरीदे हैं। भोपाल के सबसे पॉश इलाके अरेरा कॉलोनी में भी उसका ठिकाना है। उसके खिलाफ लोकायुक्त की यह कार्रवाई परिवहन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और नौकरी में सांठगांठ का बड़ा उदाहरण है। इस मामले में और बड़े खुलासे होने की बात कही जा रही है। लोकायुक्त की टीम अब सौरभ के निवेश और रसूखदारों से संबंधों की जांच कर रही है।

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