मंत्री सिलावट के साथ कारोबारी तरीके से लिंक, संजय जैसवानी का यह है 10 हजार करोड़ का गेम प्लान

सीए के अपहरण और मारपीट के आरोपी कन्फेक्शनरी कारोबारी संजय जैसवानी के भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट से किस तरह के कारोबारी रिश्ते हैं? इसका खुलासा द सूत्र ने किया है।

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Sanjay gupta
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10 हजार करोड़ का खेल
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सीए को बंधक बनाकर मारने-पीटने के आरोपी कन्फेक्शनरी कारोबारी संजय जैसवानी और बीजेपी सरकार के कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट के किस तरह कारोबारी संबंध है? इसका खुलासा द सूत्र ने किया। फिर यह भी खुलासा किया कि उनके बड़े बेटे नितीश सिलावट किस तरह इन कंपनियों में लिंक हैं और साथ ही सीबीआई, ईडी में भी वांटेड सटोरिया अमित सोनी उर्फ सांवेर, किस तरह वह भी इनसे जुड़ा हुआ है। अब एक और बड़ा खुलासा 'द सूत्र' कर रहा है। जैसवानी का अपने हाईप्रोफाइल मित्रों के साथ कोई सौ-दो सौ करोड़ का नहीं बल्कि पूरा दस हजार करोड़ का गेम प्लान है। क्या है यह गेम प्लान? 

दस हजार करोड़ का आईपीओ के लिए यह पूरा खेल

यह पूरा खेल है दस हजार करोड़ बाजार से जुटाने के लिए। इसके लिए शेयर बाजार में आईपीओ लाने की तैयारी जैसवानी ने साल 2021 में कर दी थी। पहले वह 2022 में आईपीओ लाने वाला था और शुरूआती टारगेट था बाजार से चार हजार करोड़ रुपए जमा करने का। इसके लिए उसने बाजार से मुंबई के एक फायनेंसर से प्री आईपीओ के लिए 50 करोड़ रुपए भी उठाए थे। इसके बाद उसकी मंशा बड़ा करने की हुई और इसके लिए हाईप्रोफाइल मित्रों का भी फंड मिला। फिर यह आईपीओ टाला गया और साल 2023 में लक्ष्य रखा गया दस हजार करोड़ का आईपीओ लाने का। 

इसके लिए हुआ टर्नओवर बढ़ाने का खेल

सामान्य तौर पर आईपीओ का नियम होता है कि वह टर्नओवर के पांच गुना तक आ सकता है, यानी यदि करोबार सौ करोड़ का है तो वह बाजार में 500 करोड़ का आईपीओ ला सकता है। शुरूआत में केम्को ग्रुप का टर्नओवर औसतन 300 करोड़ के करीब का था। इसे बढ़ाने के लिए उसने कई और कंपनियों को साथ में लेना शुरू किया। इसी में जीआरवी विस्किट की शेयर होल्डिंग अपने पास शिफ्ट करना भी अहम था। साथ ही मुंबई के फायनेंसर व अन्य हाईप्रोफाइल मित्रों से लंबा फाइनेंस लिया गया, जिसे ग्रुप में लगाया गया ताकि टर्नओवर अधिक से अधिक बढ़ाकर दिखाया जा सके।

इन सभी को प्री आईपीओ शेयर देने की डील हुई, यानी इसके तहत शेयर बाजार में आईपीओ लांच से पहले इन्हें शेयर का एक बड़ा हिस्सा दिया जाएगा, जिससे यह मुनाफा कमा सकेंगे। इससे सभी कारोबारी हाईप्रोफाइल मित्र खुश हुए और एक बड़ी राशि यहां फंसा दी। एक और खेल हुआ, ग्रुप की ही कंपनियों में आपस में खरीदी-बिक्री दिखाई गई, जिससे कागजों पर टर्नओवर अधिक से अधिक हो सके। साथ ही बैंकों से भी जमकर लोन लिए गए। हुआ यह कि इन सभी से इसका टर्नओवर 700 करोड़ के करीब तक पहुंच गया। 

यह भी लक्ष्य से कम था, फिर यह किया

700 करोड़ के टर्नओवर से यह आईपीओ करीब चार हजार करोड़ का आ सकता था, लेकिन इसकी तैयारी होने के बाद जैसवानी की मंशा और लक्ष्य दस हजार करोड़ की हुई। इसके लिए उसने कैम्को मार्ट का प्लान किया, जो डी मार्ट की तर्ज पर था। इसमें लोगों से जमकर पैसा लगवाया, फ्रेंचाइजी दी और यह जगह-जगह खोले गए। इससे फायदा यह होता कि टर्नओवर अधिक बढ़ जाता और इसे बढ़ाकर करीब दो हजार करोड़ रुपए तक ले जाने का लक्ष्य था। इससे आईपीओ आसानी से दस हजार करोड़ का आ जाता। 

यह समस्या आई, इससे फेल होना शुरू हुआ

लेकिन इसी बीच बाजार की देनदारियां बढ़ती गई। वहीं आईपीओ के इंतजार में फाइनेंसर ने भी राशि मांगनी शुरू कर दी। बैंकों की भी देनदारी ढाई सौ करोड़ के करीब हो गई। साल 2023 में आईपीओ लाने की बात हुई थी,इसे 2024 किया गया और फिर अब 2025 में लाने का नया अश्वासन दिया। देनदारों का सब्र का बांध टूटने लगा और करीबी लोगों ने अपना फंड वापस मांगना शुरू कर दिया। 

इसलिए सीए को बंधक बनाने और धोखाधड़ी की हुई शिकायत

इन दबावों के बीच केम्को ग्रुप का टर्नओवर में गिरावट आने लगी, क्योंकि बाजार की ही 70 करोड़ से अधिक की देनदारी हो गई, लोगों ने बिना एडवांस कच्चा माल देना भी बंद कर दिया। हालत यह हुई कि जो महीने की टर्नओवर 60 से 70 करोड़ रुपए थी, वह घटकर 30 से 40 करोड़ रुपए के बीच आ गया।

ऐसे में आईपीओ की स्कीम फेल होने का खतरा पैदा हो गया। जब इस गिरते टर्नओवर को देखा तो जैसवानी ने अपने ही रिश्तेदार कंचन, नितिन जेवनानी के साथ ही सीए निशिथ नाहर, उनके मित्र रोहित इन सभी के साथ ही रशियन कारोबारी मित्र गौरव अहलावत पर धोखाधड़ी करने के आरोप लगा दिए और इनकी थाने में शिकायत की। उधर सीए को बंधक बनाने में सीए एसोसिएशन एकजुट हुआ और जैसवानी पर एफआईआर हो गई।

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