इंदौर कन्फेक्शनरी कारोबारी जैसवानी की ग्रुप कंपनियों में मंत्री सिलावट का बेटा पार्टनर, करीबी नौशाद के रिश्तेदार भी शामिल

संजय जैसवानी के ग्रुप की कई कंपनियों की प्रोफाइल, दस्तावेज खंगाले गए। इसमें चौंकाने वाली बात सामने आई है कि मंत्री तुलसी सिलावट ( Minister Tulsi Silavat ) का बेटा नीतीश सिलावट इस ग्रुप के कंपनी नेटवर्क में से एक कंपनी में डायरेक्टर रहा है।

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Sanjay gupta
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INDORE.  इंदौर में शुक्रवार को सामने आए हाईफ्रोफाइल सीए बंधक कांड में कन्फेक्शन कारोबारी संजय जैसवानी  ( Sanjay Jaiswani ) के खिलाफ शिकायत हुई और फिर FIR भी दर्ज हो गई। 'द सूत्र' ने खुलासा किया था यह पूरा विवाद एक मंत्री की कारोबारी राशि इसमें फंसने के चलते हुआ है। सूत्र द्वारा जैसवानी के ग्रुप की कई कंपनियों की प्रोफाइल, दस्तावेज खंगाले गए। इसमें चौंकाने वाली बात सामने आई है कि मंत्री तुलसी सिलावट ( Minister Tulsi Silavat ) का बेटा नीतीश सिलावट इस ग्रुप के कंपनी नेटवर्क में से एक कंपनी में डायरेक्टर रहा है। वहीं मंत्री का एकदम करीबी नौशाद के रिश्तेदार इस ग्रुप की कंपनी में डायरेक्टर है। 

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खुद जैसवानी किसी कंपनी में नहीं

इसमें सबसे मजे की बात यह है कि कनफेक्शनरी कारोबार ( confectionery business ) के नटवरवाल कहे जाने वाले जैसवानी खुद किसी कंपनी में पद पर नहीं है। उसने अपने भाई, रिश्तेदारों और करीबियों को कंपनी में डायरेक्टर बनाया हुआ। फिर सवाल यह भी उठता है कि वह किस हक से सीए निशिथ नाहर (CA Nishith Nahar ) और उनके दोस्त रोहित को बंधक बनाकर पूछताछ कर रहा था। 

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यह है मंत्री के करीबी से जुड़ी प्रमुख कंपनी, फैक्टरी

सकाना भारत ट्वाय कैंडी प्रालि कंपनी जिसका ऑफिस विजयगर में हैं। इसमें डायरेक्टर पद पर दिनेश मनवानी, सम्मान अफरोज खान और इरफान अली सैय्यद है। दोनों नौशाद के करीबी है। फैक्ट्री और कंपनी से जुड़े लोगों ने बताया कि नौशाद ही इस फैक्ट्री को मुख्य रूप से देखता था।

नीतीश सिलावट इस तरह जुड़े

अफरोज खान एक और कंपनी में डायरेक्टर है जिसका नाम है सिविल सप्लाय प्रालि, जिसका ऑफिस पिपली बाजार इंदौर में बताया गया था लेकिन यह कंपनी अब बंद हो चुकी है। इसमें डायरेक्टर की बात करें तो मंत्री सिलावट का बड़ा बेटा नीतीश सिलावट इसमें साल 2013 में डायरेक्टर रहा और बाद में इस्तीफा दिया। इस कंपनी में अनुराग सोनी, अमित सोनी, मजहर हसन कलमीउद्दीन, गजराज राठौर भी डायरेक्टर रहे हैं। 

जैसवानी के करीबी वाधवानी, मनवानी इन कंपनियों में

1-केम्को च्यू फूड प्रालि- डायरेक्टर दिनेश मनवानी, करतार सिंह, गिरीश वाधवानी, अंशु डेम्बला, इसका आफिस प्रिंसेस बिजनेस स्कायपार्क, स्कीम 74 में ऑफिस

2-केम्को मार्ट- दिनेस मनवानी, नितिन जीवनानी, महाराष्ट्र उल्लासनगर में ऑफिस।

3-सुपरनेस फूड प्रालि- दिनेश मनवानी, गिरीश वाधवानी. एसके वन कंपाउंड लसूडिया मोरी।

4-खालसा न्यूट्रिंशनस इंडिया- दिनेश मनवानी, विजय जैसवानी, अमलीखेड़ा सांवेर।

5-होपवेल बार्टर प्रालि- संजय कलवानी, दिनेश मनवानी, कोलकाता में।

6-बाबाश्री मशीनरी- दिनेश मनवानी, नितिन जीवनानी, स्कम 54 में बीसीएम में।

7-झिलमिल कामोडील- दिनेश मनवानी, संजय कलवानी, कोलकाता में।

8-सायानीस्पोर सप्लायर्स प्रालि- दिनेश मनवानी, संजय कलवानी, कोलकाता में।

9-केम्को लेजर एंड रिट्रीट प्रालि- कोई डिटेल नहीं।

बैंकों का 300 करोड़ का कर्जा

जैसवानी की ग्रुप पर 15 करोड़ का इनकमटैक्स भी निकला हुआ, जिसमें वह कुछ राशि भरकर अपील में गया है। बाजार में देनदारी सौ करोड़ से ज्यादा की बताई जाती है। वहीं बैंकों से भी विविध कंपनियों का स्टॉक ज्यादा दिखाकर और टर्नओवर में खेल करते हुए 300 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्जा लिया हुआ है। इस तरह ग्रुप पर देनदारियां 300 करोड़ रुपए से ज्यादा की है।

केम्को पर 150 करोड़ से ज्यादा बैंक लोन
जीआरवी कन्फेक्शनरी पर- पांच करोड़ करीब 
जीआरवी बिस्किटस पर- 30 करोड़ से ज्यादा

खालास न्यूट्रिशंस पर- 70 करोड़ करीब बैंक लोन
( खालसा कंपनी में शराब कारोबारी पिंटू भाटिया और एके सिंह भी जुड़े हुए हैं, हालांकि यह सीधे तौर पर कागज पर नहीं हैं, लेकिन इनके भी जैसवानी के साथ गहरे कारोबारी संबंध रहे हैं, लेकिन एक-दो साल में जैसवानी की हरकतों के कारण इन्होंने भी दूरिया बनाना शुरू कर दी है )

दर्जन भर कंपनियों को बर्बाद कर मालिक से नौकर बनाया

जैसवानी जिसे कन्फेक्शनरी का नटरवाल कहा जा रहा है, इसके कारण एक-दो नहीं दर्जन भर से ज्यादा कंपनियां बिक गई या बर्बाद हो गई। क्योंकि यह ऐसे ऑफर देता था कि मुनाफे में हिस्सेदारी के कि लोग इसके चक्कर में आ गए और फिर इसने कंपनी कब्जे में लेली। इसमें नेप्च्यून, आर रिचनेस, आइकानिक हैल्थ केयर, मार्बल न्यूट्रीशंस, शांति उद्योग यह प्रमुख नाम है। नितिन जिनवानी जो अभी इसके साथ काम कर रहा वह पहले आइकानिक हैल्थ केयर का मालिक था इसी तरह समीर सिन्हा जो काम करता है वह पहले एक जाट फैक्टरी का मालिक था जो बर्बाद होने के बाद मालिक से नौकर बन गए और इसके यहां काम कर रहे हैं।

कई लोगों ने जैसवानी की कराई कुर्की

कई लोगों ने लड़ाई भी लड़ी और एमएसएमई फेसिलिटेशन काउंसिल से इसके खिलाफ कुर्की के आदेश भी कराए। शांति उद्योग को दो करोड़ की वसूली के लिए जैसवानी की कंपनी केम्को च्यू फूड के खिलाफ आदेश मिला। इसी तरह तन्वी इंटरप्राइजेस के राजेंद्र गुप्ता को भी ढाई करोड के लिए जैसवानी ग्रुप की जीआरवी बिस्किट्स कंपनी (GRV Biscuits Company ) के खिलाफ कुर्की आदेश मिले और हाल ही में कुर्की कार्रवाई हुई जिसके बाद गुप्ता को चेक मिले। इसी गुप्ता को वह राशि मांगने पर चोरी के बेबुनियाद आरोप में फंसा कर दो माह जेल भिजवा चुका, लेकिन गुप्ता ने लड़ाई नहीं हारी और इसके खिलाफ कुर्की आदेश कराकर अपनी अधिकांश राशि के चेक वापस ले लिए हैं।

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