मध्य प्रदेश के बीना से विधायक निर्मला सप्रे ने कांग्रेस छोड़ने से इनकार कर दिया है। उनके इस्तीफे पर असमंजस को लेकर चर्चा चल रही थी। इसका खुलासा दलबदल कानून के तहत सदस्यता निरस्त करने संबंधी जवाब में हुआ है। निर्मला ने 10 अक्टूबर को भेजे जवाब में कहा था कि उन्होंने ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया है, जिससे साबित हो सके कि उन्होंने दल बदला है। वहीं बताया गया कि लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से बगावत कर निर्मला ने भाजपा के लिए प्रचार किया था।
सिंघार ने की थी निर्मला की सदस्यता निरस्त की मांग
बताते चलें कि सीएम डॉ. मोहन यादव के साथ वे जनसभा में भी उपस्थित थीं। उन्होंने जल्द इस्तीफा देने और आधिकारिक रूप से भाजपा ज्वॉइन करने का भी ऐलान किया था। हालांकि, उन्होंने विधायकी से इस्तीफा नहीं दिया था। इस मामले में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने 5 जुलाई को दलबदल कानून के तहत निर्मला की सदस्यता निरस्त करने की मांग की थी।
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3 महीने में करना होगा निर्णय
21 अक्टूबर को विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर मामले की सुनवाई कर सकते हैं। कांग्रेस को दलबदल के सबूत पेश करने को भी कहा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, अयोग्यता याचिकाओं पर 3 महीने में निर्णय करना होता है।
कांग्रेस ने किए दरवाजे बंद
माना जा रहा है कि चुनाव में पाला बदलने पर कांग्रेस ने निर्मला सप्रे के लिए अपने दरवाजे बंद कर दिए हैं। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने दल बदल कानून के तहत सदस्यता बर्खास्त की कार्रवाई की मांग की थी। सदस्यता से बर्खास्त करने पर निर्णय विधानसभा अध्यक्ष को लेना है।
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