मोहन सरकार बदलेगी 69 साल बाद सिंहस्थ कानून , उज्जैन में बनेगी स्पिरिचुअल सिटी

उज्जैन में अब पुरातन संस्कृति के साथ आधुनिकता का संगम नजर आएगा। साल 2028 में होने वाले सिंहस्थ को लेकर बड़े पैमाने पर तैयारियां की जा रही हैं। सीएम मोहन यादव की सरकार अब 69 साल बाद सिंहस्थ के कानून को बदलने जा रही है।

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Jitendra Shrivastava
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Ujjain :  एमपी सीएम मोहन यादव की सरकार 69 साल बाद सिंहस्थ ( Simhastha ) का कानून बदलेगी। इसको लेकर सरकार तैयारियों में जुट गई है। माना जा रहा है कि विधानसभा के मानसून सत्र ( monsoon session ) में सिंहस्थ के नए एक्ट को हरीझंडी मिल जाएगी। साल 1955 में सरकार ने सिंहस्थ को लेकर कानून बनाया था। इसके बाद से इसमें बदलाव नहीं हुआ है। तब से लेकर अब तक सभी नियम अंग्रेजों के जमाने के हैं।  

स्पिरिचुअल सिटी में होंगे 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन 

खास बात यह है कि उज्जैन में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सिंहस्थ से पहले स्पिरिचुअल सिटी ( Spiritual City ) बनाई जाएगी।

यहां भगवान शिव की बड़ी मूर्ति स्थापित होगी। इसी के साथ 12 ज्योतिर्लिंग ( 12 Jyotirlinga ) बनाए जाएंगे, ताकि श्रद्धालुओं को एक ही जगह दर्शन हो जाएं। स्पिरिचुअल सिटी के लिए उज्जैन से 15 किलोमीटर दूर 150 एकड़ जमीन चिह्नित कर ली गई है।

यहां भगवान शिव की मूर्ति के चारों ओर देश के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंग के स्वरूप स्थापित किए जाएंगे। इसी स्थान पर ज्योतिर्लिंग के साथ अपनाई जाने वाली पूजा पद्धति की जानकारी प्रदर्शित की जाएगी, ताकि आने वाले श्रद्धालु 12 अलग-अलग ज्योतिर्लिंग में की जाने वाली पूजा विधि के जान और समझ सकें। 

सिंहस्थ के लिए 3 हजार हेक्टेयर जमीन तय

सिंहस्थ के लिए तीन हजार हेक्टेयर जमीन आरक्षित है। इसमें से 77 प्रतिशत जमीन 2016 में आवंटित की गई थी। 23 प्रतिशत का उपयोग नहीं हो सका। अब तीन हजार हेक्टेयर क्षेत्र में निर्माण प्रतिबंधित किया गया है। इसे लेकर कड़े प्रावधान होंगे। पूरा हिसाब किताब वर्ष 2040 के हिसाब से किया जा रहा है।

सिंहस्थ के एक्ट में क्या कुछ खास...?

  • इस बार सिंहस्थ को बड़े पैमाने पर किए जाने की तैयारी है। माना जा रहा है कि 2028 में होने वाले सिंहस्थ में देश दुनिया के 14 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु उज्जैन आएंगे। लिहाजा, श्रद्धालुओं को किसी तरह की दिक्कत न हो, इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
  •  सिंहस्थ के नए कानून का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। मेला क्षेत्र के लिए आरक्षित जमीन पर अतिक्रमण-कब्जा करने से लेकर दूसरी गड़बड़ियों में सख्त सजा और जुर्माने के प्रावधान होंगे। जेल भेजने के नियम सख्त होंगे।
  •  अभी मध्यप्रदेश मेला अधिनियम 1955 में करीब 17 धाराएं हैं। नए कानून में 70 से ज्यादा धाराएं रखी जाएंगी। इसमें निर्माण, पर्यटन, कानून व्यवस्था, भीड़ का मैनेजमेंट सहित अन्य मुद्दों को शामिल किया गया है। सरकार ने 30 सदस्यीय प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट भी गठित कर दी है। 

एआई और ड्रोन का होगा भरपूर इस्तेमाल 

सिंहस्थ 2028 के सिंहस्थ में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ड्रोन तकनीक का भरपूर इस्तेमाल किया जाएगा। बदलते दौर और इन तकनीकों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए CM Mohan Yadav सिंहस्थ में इसकी छूट देगी। विधानसभा के मानसून सत्र में सिंहस्थ मेला एक्ट में संशोधन करने का प्रस्ताव लाने की तैयारी है। इस एक्ट में बदलाव को लेकर टास्क फोर्स कमेटी ने भी सुझाव दिए हैं। जल्द सीएम के सामने सिंहस्थ का प्रजेंटेशन भी होगा। 

262 करोड़ से राशि पहुंची 25 हजार करोड़ तक

 

यदि हम सिंहस्थ पर होने वाले खर्च को देखें तो यह करीब एक हजार गुना हो गई है। वर्ष 2004 में सिंहस्थ पर सरकार ने 262 करोड़ रुपए खर्च किए थे। 2016 में हुए सिंहस्थ में कुल 2700 करोड़ का खर्च हुआ था। अब 2028 में 25 हजार करोड़ से ज्यादा के खर्च का अनुमान जताया जा रहा है। 

3 शाही और 7 पर्व स्नान होंगे 

1. बता दें, उज्जैन में 27 मार्च 2028 से 27 मई 2028 के बीच सिंहस्थ महापर्व का आयोजन होगा। महापर्व में 9 अप्रेल से 8 मई के बीच 3 शाही स्नान और 7 पर्व स्नान प्रस्तावित हैं। 

2. सरकार का अनुमान है कि सिंहस्थ में करीब 14 करोड़ श्रद्धालु आएंगे। इसलिए इंदौर और उज्जैन संभाग के जिलों को शामिल करते हुए प्रारंभिक कार्ययोजना बनाई गई है। 

3. सिंहस्थ में विकास कार्यों की बात करें तो शुरुआत में 19 विभागों से जुड़े करीब 18 हजार 840 करोड़ रुपए के 500 से ज्यादा काम होंगे। 

4. इनमें उज्जैन के आसपास इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा। उज्जैन से जावरा के बीच 4 लेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस कंट्रोल्ड हाईवे बनाया जाएगा। कैबिनेट ने इस प्रोजेक्ट को हरीझंडी भी दे दी है। 

5. ऐसे ही इंदौर-उज्जैन फोरलेन सड़क को सिक्सलेन करने का फैसला लिया गया है। हातोद से पैरेलल सड़क बनाई जाएगी।

6. सीएम डॉ.यादव ने उज्जैन-इंदौर संभाग को धार्मिक-आध्यात्मिक सर्किट के रूप में विकसित करने के भी निर्देश दिए हैं।

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