मोदी सरकार के 11 साल पूरे होने पर भारतीय जनता पार्टी अपनी उपलब्धियां गिना रही है, जबकि कांग्रेस पार्टी लगातार उनपर वादाखिलाफी का आरोप लगा रही है। इस बीच, भोपाल में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर मोदी सरकार को जमकर घेरा। बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा को लेकर चल रहे विवाद से मनरेगा योजना में घोटाले पर जीतू ने अपनी बात रखी।
28 जगहों पर है अंबेडकर की प्रतिमाओं को लेकर विवाद
जीतू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री मोहन यादव और भाजपा सरकार को घेरते हुए कई गंभीर सवाल उठाए। जीतू ने कहा बीजेपी अंबेडकर, संविधान और आरक्षण विरोधी है। एमपी में 28 जगह बाबासाहब अंबेडकर की प्रतिमाओं को लगने पर विवाद है और सरकार मौन है।
उन्होंने कहा कि ग्वालियर में अंबेडकर की प्रतिमा का मुद्दा प्रतीकात्मक है, और इसे स्थापित करने के पीछे एक विचारधारा है, जिसे कांग्रेस पार्टी मजबूती से समर्थन करती है।
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अंबेडकर प्रतिमा पर कांग्रेस का समर्थन
जीतू पटवारी ने कहा, “हम अंबेडकर जी की मूर्ति लगने के पक्ष में हैं क्योंकि हमें उनकी विचारधारा से प्रेरित होकर सामाजिक समरसता की ओर बढ़ना है। हम उन लोगों के खिलाफ हैं जो अंबेडकर जी का विरोध करते हैं और उनके योगदान को नकारते हैं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री का बयान, जिसमें कांग्रेस पर अंबेडकर विरोधी होने का आरोप लगाया गया था, बिल्कुल गलत है।
पटवारी ने मुख्यमंत्री से यह अपील की कि अगर वह अंबेडकर के समर्थक हैं, तो वह उनके सम्मान में प्रतिमा लगाने के लिए पहल करें। उन्होंने कहा, “अंबेडकर जी संविधान निर्माता हैं और कांग्रेस पार्टी ने उस संविधान को लागू किया। अगर मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर हमारे साथ हैं, तो हम उनका स्वागत करेंगे।”
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कोर्ट के नियमों का पालन करना आवश्यक
पार्टी अध्यक्ष ने ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में अंबेडकर की प्रतिमा लगाने के पक्ष में भी बयान दिया। उन्होंने कहा, “यह एक न्यायिक मामला है, इसलिए इसके समाधान के लिए कोर्ट के नियमों का पालन करना आवश्यक है। लेकिन अगर सरकार इस मुद्दे में पहल करती है, तो हम इसको सकारात्मक रूप से देखेंगे।” पटवारी ने मुख्यमंत्री को एक पत्र भी लिखा है, जिसमें उन्होंने इस मामले पर सरकार से हस्तक्षेप करने की अपील की है।
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
इस विवाद की शुरुआत 19 फरवरी 2025 को हुई, जब ग्वालियर हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस के सामने वकीलों के एक समूह ने प्रतिमा स्थापना के लिए ज्ञापन सौंपा। दावा है कि चीफ जस्टिस ने मौखिक सहमति दी, जिसके बाद पीडब्ल्यूडी ने मूर्ति के लिए फाउंडेशन तैयार किया। लेकिन बार एसोसिएशन को इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया, जिससे विवाद ने जन्म लिया।
पूरे मामले की टाइलाइन
19 फरवरी 2025 – ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ. अंबेडकर की मूर्ति लगाने हेतु अधिवक्ताओं ने मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन सौंपा।
26 मार्च 2025 – प्रधान रजिस्ट्रार जबलपुर ने अधिकतर अधिवक्ताओं के समर्थन का हवाला देते हुए मूर्ति स्थापना के आदेश दिए।
21 अप्रैल 2025 – एमपी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ने पीडब्ल्यूडी से मूर्ति स्थल पर मंच निर्माण का काम पूरा कर मूर्ति स्थापित करने को कहा।
10 मई 2025 – मूर्ती लगाने का विरोध कर रहे वकीलों ने प्रस्तावित स्थल पर तिरंगा फहराया, पुलिस से झड़प हुई।
14 मई 2025 – मूर्ति स्थापना को लेकर वकील 2 गुटों बंट गए। सोशल मीडिया पर दोनों गुटों में टकराव और आपत्तिजनक पोस्टर वॉर शुरू हुआ।
17 मई 2025 – हाईकोर्ट परिसर में भीम आर्मी के सदस्य पर वकीलों द्वारा हमला किया गया, जिससे तनाव बढ़ गया।
23 मई 2025 – बसपा प्रमुख मायावती ने मूर्ति विरोध को जातिवादी मानसिकता कहा और मुख्यमंत्री व राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की।
24 मई 2025 – कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने CJI को पत्र भेजकर मूर्ति विरोध को निंदनीय बताया और हस्तक्षेप की अपील की।
24 मई 2025 (संभावित) – गुरुग्राम में भीम सेना ने मूर्ति न लगाने पर जयपुर कोर्ट से मनु की मूर्ति हटाने की चेतावनी दी।
25 मई 2025 – प्रशासन ने 26 मई को होने वाली सभा को लेकर जय भीम संगठन की सभा की अनुमति नहीं दी।
NOTE- इसके बाद से ही मामला गरमाया हुआ है...
मनरेगा योजना में घोटाले का आरोप
इस मौके पर पटवारी ने मनरेगा योजना में घोटाले का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राज्य भर में पंचायतों को मनरेगा योजना के तहत मिलने वाली राशि का 40 प्रतिशत कमीशन लिया जाता है। इस कमीशन के बिना पंचायतों को फंड नहीं मिलता, और यह भ्रष्टाचार का एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। पटवारी ने यह भी कहा कि यदि कोई सरपंच बिना कमीशन के काम कराता है, तो उन्हें नागरिक अभिनंदन मिलेगा।
पटवारी ने बताया, "सरपंचों को काम करने के लिए 40 प्रतिशत कमीशन देना पड़ता है। इस प्रक्रिया में कमीशन की राशि सांसदों और विधायकों तक पहुंचती है, जो फिर पंचायतों के माध्यम से इस रकम का इस्तेमाल करते हैं।" इसके साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ ग्राम पंचायतें ठेके पर दी जा रही हैं, और यह सब पैसे वालों के हाथों में खेल रहा है।
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शिक्षकों के तबादले में भ्रष्टाचार
पटवारी ने प्रदेश में शिक्षा विभाग के भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा की गई तबादला नीति के बावजूद 40,000 शिक्षकों के तबादले अभी तक नहीं हुए हैं। उन्होंने यह सवाल उठाया कि जब सिंगल क्लिक के जरिए तबादले की व्यवस्था की गई थी, तो अब तक क्यों नहीं हो पाए? पटवारी ने इस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की संभावना व्यक्त की और कहा कि शिक्षा विभाग में करप्शन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
Conclusion
जीतू पटवारी का यह बयान मध्य प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल मचा सकता है। अंबेडकर की प्रतिमा को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच तना-तनी जारी है, वहीं मनरेगा और तबादला नीति में भ्रष्टाचार का आरोप भाजपा सरकार पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। पटवारी ने इन मुद्दों को उठाकर अपनी पार्टी की सामाजिक न्याय की दिशा को और मजबूत करने की कोशिश की है।
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हाईकोर्ट में अंबेडकर मूर्ति विवाद पर जीतू का हल्ला बोल, बोले- एमपी की 28 जगहों पर ऐसा मामले
मध्य प्रदेश में अंबेडकर प्रतिमाओं पर विवाद छिड़ गया है। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री से प्रतिमाएं लगाने की अपील की, साथ ही मनरेगा में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।
मोदी सरकार के 11 साल पूरे होने पर भारतीय जनता पार्टी अपनी उपलब्धियां गिना रही है, जबकि कांग्रेस पार्टी लगातार उनपर वादाखिलाफी का आरोप लगा रही है। इस बीच, भोपाल में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर मोदी सरकार को जमकर घेरा। बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा को लेकर चल रहे विवाद से मनरेगा योजना में घोटाले पर जीतू ने अपनी बात रखी।
28 जगहों पर है अंबेडकर की प्रतिमाओं को लेकर विवाद
खबर यह भी...हाईकोर्ट में 24 घंटे अंबेडकर प्रतिमा की सुरक्षा कर रहे पुलिसकर्मी, दो गुट आए आमने-सामने
अंबेडकर प्रतिमा पर कांग्रेस का समर्थन
जीतू पटवारी ने कहा, “हम अंबेडकर जी की मूर्ति लगने के पक्ष में हैं क्योंकि हमें उनकी विचारधारा से प्रेरित होकर सामाजिक समरसता की ओर बढ़ना है। हम उन लोगों के खिलाफ हैं जो अंबेडकर जी का विरोध करते हैं और उनके योगदान को नकारते हैं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री का बयान, जिसमें कांग्रेस पर अंबेडकर विरोधी होने का आरोप लगाया गया था, बिल्कुल गलत है।
पटवारी ने मुख्यमंत्री से यह अपील की कि अगर वह अंबेडकर के समर्थक हैं, तो वह उनके सम्मान में प्रतिमा लगाने के लिए पहल करें। उन्होंने कहा, “अंबेडकर जी संविधान निर्माता हैं और कांग्रेस पार्टी ने उस संविधान को लागू किया। अगर मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर हमारे साथ हैं, तो हम उनका स्वागत करेंगे।”
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कोर्ट के नियमों का पालन करना आवश्यक
पार्टी अध्यक्ष ने ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में अंबेडकर की प्रतिमा लगाने के पक्ष में भी बयान दिया। उन्होंने कहा, “यह एक न्यायिक मामला है, इसलिए इसके समाधान के लिए कोर्ट के नियमों का पालन करना आवश्यक है। लेकिन अगर सरकार इस मुद्दे में पहल करती है, तो हम इसको सकारात्मक रूप से देखेंगे।” पटवारी ने मुख्यमंत्री को एक पत्र भी लिखा है, जिसमें उन्होंने इस मामले पर सरकार से हस्तक्षेप करने की अपील की है।
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
पूरे मामले की टाइलाइन
19 फरवरी 2025 – ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ. अंबेडकर की मूर्ति लगाने हेतु अधिवक्ताओं ने मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन सौंपा।
26 मार्च 2025 – प्रधान रजिस्ट्रार जबलपुर ने अधिकतर अधिवक्ताओं के समर्थन का हवाला देते हुए मूर्ति स्थापना के आदेश दिए।
21 अप्रैल 2025 – एमपी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ने पीडब्ल्यूडी से मूर्ति स्थल पर मंच निर्माण का काम पूरा कर मूर्ति स्थापित करने को कहा।
10 मई 2025 – मूर्ती लगाने का विरोध कर रहे वकीलों ने प्रस्तावित स्थल पर तिरंगा फहराया, पुलिस से झड़प हुई।
14 मई 2025 – मूर्ति स्थापना को लेकर वकील 2 गुटों बंट गए। सोशल मीडिया पर दोनों गुटों में टकराव और आपत्तिजनक पोस्टर वॉर शुरू हुआ।
17 मई 2025 – हाईकोर्ट परिसर में भीम आर्मी के सदस्य पर वकीलों द्वारा हमला किया गया, जिससे तनाव बढ़ गया।
23 मई 2025 – बसपा प्रमुख मायावती ने मूर्ति विरोध को जातिवादी मानसिकता कहा और मुख्यमंत्री व राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की।
24 मई 2025 – कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने CJI को पत्र भेजकर मूर्ति विरोध को निंदनीय बताया और हस्तक्षेप की अपील की।
24 मई 2025 (संभावित) – गुरुग्राम में भीम सेना ने मूर्ति न लगाने पर जयपुर कोर्ट से मनु की मूर्ति हटाने की चेतावनी दी।
25 मई 2025 – प्रशासन ने 26 मई को होने वाली सभा को लेकर जय भीम संगठन की सभा की अनुमति नहीं दी।
NOTE- इसके बाद से ही मामला गरमाया हुआ है...
मनरेगा योजना में घोटाले का आरोप
इस मौके पर पटवारी ने मनरेगा योजना में घोटाले का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राज्य भर में पंचायतों को मनरेगा योजना के तहत मिलने वाली राशि का 40 प्रतिशत कमीशन लिया जाता है। इस कमीशन के बिना पंचायतों को फंड नहीं मिलता, और यह भ्रष्टाचार का एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। पटवारी ने यह भी कहा कि यदि कोई सरपंच बिना कमीशन के काम कराता है, तो उन्हें नागरिक अभिनंदन मिलेगा।
पटवारी ने बताया, "सरपंचों को काम करने के लिए 40 प्रतिशत कमीशन देना पड़ता है। इस प्रक्रिया में कमीशन की राशि सांसदों और विधायकों तक पहुंचती है, जो फिर पंचायतों के माध्यम से इस रकम का इस्तेमाल करते हैं।" इसके साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ ग्राम पंचायतें ठेके पर दी जा रही हैं, और यह सब पैसे वालों के हाथों में खेल रहा है।
खबर यह भी...अंबेडकर मूर्ति विवाद: प्रशासन ने ग्वालियर-मुरैना सीमा पर रोका भीम आर्मी का काफिला
शिक्षकों के तबादले में भ्रष्टाचार
पटवारी ने प्रदेश में शिक्षा विभाग के भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा की गई तबादला नीति के बावजूद 40,000 शिक्षकों के तबादले अभी तक नहीं हुए हैं। उन्होंने यह सवाल उठाया कि जब सिंगल क्लिक के जरिए तबादले की व्यवस्था की गई थी, तो अब तक क्यों नहीं हो पाए? पटवारी ने इस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की संभावना व्यक्त की और कहा कि शिक्षा विभाग में करप्शन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
Conclusion
जीतू पटवारी का यह बयान मध्य प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल मचा सकता है। अंबेडकर की प्रतिमा को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच तना-तनी जारी है, वहीं मनरेगा और तबादला नीति में भ्रष्टाचार का आरोप भाजपा सरकार पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। पटवारी ने इन मुद्दों को उठाकर अपनी पार्टी की सामाजिक न्याय की दिशा को और मजबूत करने की कोशिश की है।
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