MP उपचुनाव : बुदनी-विजयपुर में इन प्रत्याशियों के बीच होगा मुकाबला, जानिए सब कुछ

मध्य प्रदेश के बुदनी और विजयपुर विधानसभा उपचुनावों के लिए बीजेपी के बाद कांग्रेस ने भी प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। यह उपचुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा है।

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Vikram Jain
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BHOPAL. मध्य प्रदेश में बुदनी और विजयपुर विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव के लिए सियासी संग्राम तेज हो गया है। 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए बीजेपी के बाद कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। कांग्रेस ने विजयपुर सीट से कुछ दिन पहले पार्टी में शामिल हुए मुकेश मल्होत्रा पर भरोसा बनाया है। जिनका मुकाबला वन मंत्री रामनिवास रावत से होगा। वही कांग्रेस ने बुदनी सीट से राजकुमार पटेल को उतारा है। जो बीजेपी के रमाकांत भार्गव को टक्कर देंगे। 

जानें कौन हैं राजकुमार पटेल

पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के विदिशा से सांसद बनने के बाद खाली हुई बुदनी विधानसभा सीट से कांग्रेस ने पूर्व विधायक राजकुमार पटेल पर भरोसा जताया है। किरार नेता राजकुमार बुदनी विधानसभा सीट से 1993 से 1998 तक विधायक रहे हैं। इस दौरान वे कांग्रेस सरकार में शिक्षा राज्यमंत्री रह चुके हैं। साल 1998 में कांग्रेस ने उनके बड़े भाई देवकुमार पटेल को प्रत्याशी बनाया था। वे वर्तमान में कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं।

61 वर्षीय राजकुमार पटेल मूलत: सीहोर के बखतरा के रहने वाले हैं, वे अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं, इस क्षेत्र में ओबीसी संख्या में मौजूद हैं। पटेल ने हमीदिया आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज से एलएलबी और एमए की पढ़ाई की है। पटेल छात्र जीवन से ही राजनीति में एक्टिव रहे हैं। वे एमवीएम कॉलेज भोपाल के छात्र संघ अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने एनएसयूआई में प्रदेश अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय महामंत्री की जिम्मेदारी संभाली है।

कौन हैं रमाकांत भार्गव

बुदनी विधानसभा सीट शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे के बाद खाली हुई है। इस सीट से पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव को उम्मीदवार बनाया गया है। बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान के लिए विदिशा सीट छोड़ने वाले रमाकांत भार्गव को मौका दिया है। रमाकांत भार्गव विदिशा लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। विदिशा सीट से सुषमा स्वराज ने चुनाव नहीं लड़ने पर 2019 में भार्गव ने पहली बार यहां से चुनाव लड़ा था। उन्होंने कांग्रेस के शैलेंद्र चंद्र को हराया था। अब 2024 के लोकसभा के चुनाव में विदिशा से रमाकांत भार्गव का टिकट काटकर बीजेपी ने शिवराज सिंह को प्रत्याशी बनाया था। रमाकांत शिवराज सिंह चौहान के करीबी भी मानें जाते हैं।

71 वर्षीय रमाकांत भार्गव मार्कफेड के अध्यक्ष और अपेक्स बैंक के डायरेक्टर रहे हैं। कई बार वे उनके चुनाव संचालक की भूमिका में रहे हैं। भार्गव को इस सीट का सबसे बड़ा दावेदार भी माना जा रहा था। बता दें कि बुदनी सीट से शिवराज सिंह चौहान लगातार पांच बार विधायक रहे हैं।

कौन हैं मुकेश मल्होत्रा?

कांग्रेस ने विजयपुर विधानसभा सीट से तीन माह पहले ही पार्टी में शामिल हुए मुकेश मल्होत्रा को प्रत्याशी बनाया हैं, 2023 के विधानसभा चुनाव में 42 वर्षीय मुकेश मल्होत्रा ने बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर विजयपुर सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था, इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उन्होंने 45 हजार वोट प्राप्त किए थे। वह तीसरे नंबर पर रहे थे। इस दौरान पूरे क्षेत्र के आदिवासी समाज ने उनका साथ दिया था। मुकेश मल्होत्रा विजयपुर विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में लंबे समय से सक्रिय हैं।

सहरिया जनजाति से आने वाले मुकेश मल्होत्रा पहले बीजेपी में थे। मल्होत्रा वर्तमान में ग्राम पंचायत सिलपुरी के सरपंच हैं। 2013 में सरकार ने उन्हें सहरिया विकास प्राधिकरण अध्यक्ष बनाया था, साथ ही राज्य मंत्री का दर्जा दिया था।

कौन हैं रामनिवास राव

श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा सीट से बीजेपी ने रामनिवास रावत को प्रत्याशी बनाया है। 64 वर्षीय रामनिवास रावत लोकसभा चुनाव से पहले 30 अप्रैल को कांग्रेस विधायक रहते हुए बीजेपी में शामिल हो गए थे। इसके 2 दिन बाद उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। उन्हें 8 जुलाई को बीजेपी सरकार में वन मंत्री बनाया गया था। मंत्री रामनिवास रावत का बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ना तय माना जा रहा था। 2023 के विधानसभा चुनाव में रामनिवास रावत कांग्रेस के टिकट पर विजयपुर सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इस चुनाव में उन्होंने 18 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी। वे इस सीट से 6 बार के विधायक रह चुके हैं।

बुदनी में तीसरी बार हो रहे हैं उपचुनाव

बुदनी विधानसभा सीट पर तीसरी बार उपचुनाव हो रहे हैं। इससे पहले हुए दो उपचुनावों में बीजेपी की जीत हुई थी। तीनों उपचुनावों में शिवराज सिंह चौहान से कनेक्शन है। बुदनी विधानसभा सीट पर पहली बार 1992 में हुआ था। 1990 में शिवराज सिंह चौहान इस सीट से विधायक बने थे। 1992 में लोकसभा के चुनाव हुए थे। विदिशा सीट से अटल बिहारी वाजपेयी ने चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी। अटल बिहारी वाजपेयी दो सीटों से चुनाव जीते थे बाद में उन्होंने विदिशा की सीट से इस्तीफा दे दिया था। बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान को लोकसभा का टिकट दिया था। लोकसभा जीतने के बाद शिवराज ने बुदनी विधानसभा सीट से इस्तीफा दिया था। इस चुनाव में बीजेपी के मोहनलाल शिशिर चुनाव जीते थे।

इसके बाद बुदनी विधानसभा सीट पर 2006 में उपचुनाव हुए थे। तब बीजेपी विधायक ने शिवराज सिंह चौहान के लिए यह सीट खाली की थी। बीजेपी ने उन्हें राज्य का सीएम बनाया था। सीएम बनने के बाद शिवराज इस उपचुनाव में जीते उसके बाद पांच विधानसभा चुनावों में लगातार यहां से चुनाव जीतते रहे। अब एक बार फिर इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है क्योंकि शिवराज सिंह चौहान ने विधायकी से इस्तीफा दे दिया है।

बीजेपी के लिए परीक्षा की घड़ी

यह उपचुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा है। जहां बीजेपी सत्ता में है और अपने मजबूत गढ़ों को बरकरार रखने की कोशिश करेगी, वहीं कांग्रेस इन सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास करेगी। कांग्रेस के लिए यह चुनाव इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि यदि वे विजयपुर जैसी सीट पर वापसी करने में सफल होते हैं, तो पार्टी को प्रदेश में एक नई ऊर्जा मिल सकती है। दूसरी ओर, बीजेपी को रमाकांत भार्गव और रामनिवास रावत पर भरोसा है, जो पार्टी के पुराने और भरोसेमंद चेहरे हैं।

इस उपचुनाव में जातिगत समीकरण भी अहम भूमिका निभाएंगे, खासकर बुदनी में जहां शिवराज सिंह चौहान का प्रभाव और रमाकांत भार्गव की राजनीतिक साख दोनों दांव पर हैं। वहीं, विजयपुर में रामनिवास रावत का कांग्रेस से भाजपा में शामिल होना भी चुनावी चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है।

बुदनी और विजयपुर के उपचुनाव केवल दो सीटों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह प्रदेश की राजनीति की दिशा तय करने वाले निर्णायक चुनाव हो सकते हैं। बीजेपी की ओर से प्रत्याशियों की घोषणा के बाद अब चुनावी माहौल गरम हो गया है, और दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।

बुदनी और विजयपुर उपचुनाव से संबंधित FAQ

बुदनी और विजयपुर उपचुनाव कब होने वाले हैं?
बुदनी और विजयपुर विधानसभा सीटों पर उपचुनाव 13 नवंबर को होंगे।
उपचुनाव क्यों हो रहे हैं?
बुदनी विधानसभा सीट शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे के बाद खाली हुई है, जबकि विजयपुर सीट पर रामनिवास रावत के कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने के बाद उपचुनाव हो रहा है।
बुदनी सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवार कौन हैं?
बीजेपी: रमाकांत भार्गव, जो विदिशा के पूर्व सांसद हैं और शिवराज सिंह चौहान के करीबी माने जाते हैं। कांग्रेस: राजकुमार पटेल, जो 1993-1998 तक बुदनी से विधायक रह चुके हैं और ओबीसी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं।
विजयपुर सीट पर किसका मुकाबला हो रहा है?
बीजेपी: रामनिवास रावत, जो हाल ही में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे और वर्तमान में वन मंत्री हैं। कांग्रेस: मुकेश मल्होत्रा, जो सहरिया जनजाति से आते हैं और 2023 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विजयपुर से चुनाव लड़ चुके हैं।
बुदनी विधानसभा सीट का महत्व क्या है?
बुदनी शिवराज सिंह चौहान का पारंपरिक गढ़ रहा है, जहाँ से वे लगातार पांच बार विधायक चुने गए हैं। यह सीट बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण है, और उपचुनाव में इसे बरकरार रखना पार्टी के लिए एक चुनौती है।
विजयपुर सीट पर जातिगत समीकरण का क्या प्रभाव है?
विजयपुर में सहरिया जनजाति का प्रभाव है, और मुकेश मल्होत्रा को इस समुदाय का समर्थन प्राप्त हो सकता है। रामनिवास रावत के राजनीतिक अनुभव और जनाधार को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
इन उपचुनावों का प्रदेश की राजनीति पर क्या प्रभाव हो सकता है?
इन उपचुनावों के नतीजे आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए राजनीतिक दलों की रणनीति और मनोबल को प्रभावित कर सकते हैं। अगर कांग्रेस इनमें से किसी भी सीट पर जीत दर्ज करती है, तो यह पार्टी के लिए प्रदेश में नई ऊर्जा ला सकता है।
बीजेपी और कांग्रेस की रणनीतियाँ क्या हैं?
बीजेपी: अपने पारंपरिक गढ़ों को बरकरार रखना और अपने अनुभवी नेताओं पर भरोसा करना। कांग्रेस: जातिगत समीकरण और उम्मीदवारों के स्थानीय जनाधार को भुनाने की कोशिश करना।
बुदनी में उपचुनाव कितनी बार हो चुका है?
बुदनी में यह तीसरा उपचुनाव है। पहले दो उपचुनावों में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी।
क्या इन उपचुनावों का नतीजा निर्णायक हो सकता है?
हां, बुदनी और विजयपुर के उपचुनाव प्रदेश की राजनीति की दिशा तय करने वाले निर्णायक चुनाव साबित हो सकते हैं, क्योंकि इनसे आगामी चुनावों के लिए जनमत की दिशा का संकेत मिलेगा।

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