भोपाल नगर निगम में जिंदा मजदूरों को मरा बताकर अधिकारी डकार गए लाखों रुपए , मामले में 17 के खिलाफ केस

भोपाल नगर निगम में मृत्यु सहायता के नाम पर गड़बड़ी सामने आई है। अफसरों ने साठगांठ कर जीवित मजदूरों को मृत बताकर भुगतान कर दिया। शिकायत की जांच के बाद लोकायुक्त ने 8 जोनल अफसरों समेत 17 लोगों पर केस दर्ज किया है।

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Vikram Jain
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MP Bhopal Municipal Corporation scam Lokayukta action
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BHOPAL. इंदौर नगर निगम में बिल घोटाला के बाद अब  भोपाल नगर निगम में 2 करोड़ रुपए घोटाला सामने आया है। यहां निगम के अधिकारी-कर्मचारियों ने जिंदा मजदूरों को मृत बताकर गबन कर डाला। ये लोग मजदूरों के नाम पर संबल योजना के अंतर्गत मिलने वाली अनुग्रह राशि डकार गए। अलग-अलग मद में यह राशि दो से चार लाख रुपए तक मिलती है। अब मामले में भोपाल लोकायुक्त ने प्रकरण दर्ज किया है। जांच के बाद पुलिस ने आठ जोनल अधिकारी, छह वार्ड प्रभारी सहित 17 लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की है। 

क्या है पूरा मामला

19 फरवरी 2024 को अशोका गार्डन में रहने वाले मोहम्मद कमर ने लोकायुक्त में शिकायत की थी। उन्होंने बताया कि सैय्यद मुस्तफा अली के खाते में अगस्त 2023 में सहायता राशि के नाम पर 2 लाख रुपए निगम की ओर से ट्रांसफर किए गए। इसमें सैय्यद मुस्तफा अली को मृत बताया गया है, जबकि वह जिंदा है। लोकायुक्त ने मामला जांच में लिया। जांच में इसी तरह की गड़बड़ी के 123 मामले सामने आए। इनमें से 95 केस का रिकॉर्ड नगर निगम मुख्यालय, जोनल ऑफिस और वार्ड दफ्तर से गायब मिला।

ऐसे किया गया फर्जीवाड़ा

भोपाल नगर निगम के अलग-अलग जोन में लगभग सवा सौ पंजीकृत मजदूरों की मौत की फाइलें तैयार की गई। इन्हें भवन संनिर्माण एवं कर्मकार मंडल में भेजकर श्रमिकों को मिलने वाली सहायता राशि का भुगतान ले लिया। गड़बड़ी के लिए इन मजदूरों के मृत्यु प्रमाण पत्र भी बनाकर फाइल में लगाया गया। इसके बाद भ्रष्टाचार कर मिली राशि को अपने किसी परिचित या श्रमिक के खाते में डलवाई।

रिकार्ड में नहीं मिली 95 श्रमिकों की फाइलें

अब मामले में शिकायक के बाद लोकायुक्त ने जांच शुरू की है। नगर निगम भोपाल से 118 संदिग्ध मामलों की फाइलें मांगी तो इनमें 23 प्रकरणों की फाइलें ही लोकायुक्त पुलिस को उपलब्ध कराई गईं। अन्य 95 श्रमिकों की फाइलें नगर निगम के रिकार्ड में मिली ही नहीं। अब फाइल गायब होने के आधार पर पुलिस ने आरोपी बनाए हैं। इनके खिलाफ एफआइआर दर्ज हुई है।

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8 जोनल अफसरों समेत 17 पर FIR​​​​​​​

मामले में सत्यप्रकाश बड़गैया तत्कालीन जोनल अधिकारी जोन 14, परितोष रंजन परसाई तत्कालीन जोनल अधिकारी जोन- 4, अवधनारायण मकोरिया तत्कालीन जोनल अधिकारी जोन-11, मयंक जाट तत्कालीन जोनल अधिकारी जोन -19, अभिषेक श्रीवास्तव तत्कालीन जोनल अधिकारी जोन -नौ, सुभाष जोशी तत्कालीन जोनल अधिकारी जोन -20, मृणाल खरे तत्कालीन जोनल अधिकारी जोन -17 और अनिल कुमार शर्मा तत्कालीन जोनल अधिकारी जोन तीन, तत्कालीन वार्ड प्रभारी अनिल प्रधान, चरण सिंह खगराले, शिवकुमार गोफनिया, सुनील सूर्यवंशी, मनोज राजे और कपिल कुमार बंसल, कंप्यूटर ऑपरेटर सुधीर शुक्ला, नगर निगम कर्मचारी नवेद खान व 29 दिवसीय कर्मचारी रफत अली के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है।

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जांच में ये मिली गड़बड़ियां 

जोनल अधिकारियों ने अपने जोन के अतिरिक्त अन्य जोन के हितग्राहियों का ऑनलाइन लॉग-इन कर भुगतान किया। जोनल अधिकारियों ने भुगतान संबंधी फाइलों का संधारण नहीं किया। कई प्रकरणों में दस्तावेजों में हेरफेर या कूटरचित दस्तावेजों का निर्माण कर भुगतान करना पाया गया। जोनल अधिकारियों ने त्रुटिपूर्ण या गलत बैंक खातों में भुगतान किया। भवन संनिर्माण एवं कर्मकार मंडल ने भी ऐसे संदिग्ध प्रकरणों पर ध्यान नहीं दिया।

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