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BHOPAL. भोपाल जिला प्रशासन ने नई अवैध कॉलोनियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी की है। जिला प्रशासन ने 250 से ज्यादा अवैध कॉलोनियों के खिलाफ नोटिस जारी किया है। आगे कॉलोनाइजर के खिलाफ एफआईआर करने के साथ ही कॉलोनी को राजसात किया जाएगा।
एफआईआर दर्ज लेकिन कोई कार्रवाई नहीं
इससे पहले बीते डेढ़ साल में 250 अवैध कॉलोनियों के मामले में कॉलोनाइजर के खिलाफ अलग-अलग थानों में एफआईआर दर्ज हो चुकी है। लेकिन अब तक कॉलोनाइजरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यहां रहने वाले लोगों को कोई राहत नहीं मिली है।
नई व्यवस्था में भी इन कॉलोनियों को कोई लाभ नहीं मिलेगा।
255 कॉलोनी अवैध माना गया
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार 2022 तक भोपाल में 576 अवैध कॉलोनियां है। इनमें से 31 दिसंबर 2016 के पहले की 320 कॉलोनियों को वैध किया जा चुका है। 2016 के बाद अस्तित्व में आई 255 कॉलोनियों को अवैध माना गया है। 2023 के आखिर तक इन सभी 255 कॉलोनियों पर एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं।
ऐसे बच निकलते है कॉलोनाइजर
रिटायर्ड अधिकारियों की माने तो इन अवैध कॉलोनी में प्लॉट या मकान लेने वाले आम लोग होते हैं। अवैध कॉलोनी बसाने वाले कॉलोनाइजर किसान से जमीन लेकर उस पर प्लॉट काटते फिर उसे अच्छे दाम में बेच देते हैं। प्लॉट की रजिस्ट्री में किसान और खरीदने वाले का ही नाम होता है। राजस्व के रिकॉर्ड में कहीं भी इस तरह के कॉलोनाइजर नहीं आते हैं। जिसका फायदा उठाकर ये लोग बच निकलते है।
राजस्व से जुड़े मामलों की प्रक्रिया जटिल
मामले में रिटायर्ड सीएसपी सलीम खान का कहना है कि राजस्व से जुड़े मामलों की प्रोसेस बहुत जटिल है। सिर्फ एफआईआर करने से कुछ नहीं होता है। इसके लिए पहले जिला प्रशासन को संबंधित जमीन का पूरा रिकॉर्ड दस्तावेज के रूप में उपलब्ध कराना होता है।
नगर निगम, टीएंडसीपी और अन्य विभाग जो जरूरी अनुमति देते हैं, उनसे भी संबंधित रिकॉर्ड मिलना चाहिए। उसके विश्लेषण के बाद ही आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की प्रभावी संभावना बनती है। रिकॉर्ड और साक्ष्य कमजोर होने पर केस बहुत लंबे चलते हैं।
जांच की पूरी जिम्मेदारी पुलिस की
मामले में रिटायर्ड एडिशनल कलेक्टर रवि कुमार का कहना है कि कानूनी तौर पर अवैध कॉलोनाइजर के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। अगर एफआईआर हो गई है, तो पुलिस जांच पूरी करे। केस से संबंधित जो भी दस्तावेज चाहिए, वह राजस्व और अन्य संबंधित विभागों से लें। एफआईआर होने के बाद आगे जांच की पूरी जिम्मेदारी पुलिस की है।
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