रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व से गायब हो गया बाघ, टाइगर का नाम बदलने की शिकायत, प्रबंधन पर लगे गंभीर लापरवाही के आरोप

वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक से शिकायत करते हुए सबूत भी दिए गए हैं। उन्होंने बाघों के शिकार की आशंका जताते हुए सीबीआई जांच कराने की मांग की है।

Advertisment
author-image
Vikram Jain
New Update
 MP Bhopal Rani Durgavati Tiger Reserve tiger Missing Case
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

BHOPAL. मध्य प्रदेश के वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व से बाघ गायब होने का मामला सामने आया है। यहां बाघ के नहीं मिलने पर उसका नाम बदलकर दूसरे बाघ को दे दिया गया। इतना ही नहीं टाइगर रिजर्व में बाघों के शिकार की भी आशंका है। इन सभी को लेकर वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने वन विभाग से शिकायत की है।

वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट ने की शिकायत, दिए सबूत

प्रधान मुख्य वन संरक्षक को शिकायत में अजय दुबे ने कुछ सबूत भी दिए गए हैं। उन्होंने बाघों के गायब होने के साथ ही वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में बाघों के संरक्षण, टाइगर सफारी और वन संपत्ति के प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही के प्रमाण भी दिए हैं। शिकायत को प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने गंभीरता से लेते हुए जांच के निर्देश दिए हैं। मामले में शिकायत के बाद सीसीएफ ने मामले की जांच डीएफओ को सौंपी है।

शिकार की आशंका, सीबीआई जांच की मांग

अजय दुबे ने वन विभाग से की गई शिकायत में कहा है कि टाइगर रिजर्व में बाघों और शावकों के संदिग्ध परिस्थितियों में गायब होने की सूचना मिली है। बाघ N-113, N-112 शावकों के साथ 2021 से गायब है। जिसका सरकारी रिकॉर्ड में कोई उल्लेख नहीं है। उन्होंने बाघों की फोटो भी शिकायत में उपलब्ध कराई है। अजय दुबे ने टाइगर रिजर्व के सभी बाघों की आईडी की भी जांच करने की मांग की है। उन्होंने शिकार की आशंका जताते हुए सीबीआई जांच कराने की मांग की है। 

6 पाइंट में की गई शिकायत

  • वीरागना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में बड़े पैमाने पर पेड़ों की अवैध कटाई और परिवहन चल रहा है। यह अवैध कटाई नौरादेही अभ्यारण वाले क्षेत्र की बारा बीट में चल रही है। जिसके फोटो प्राप्त हुए हैं। इसमें स्थानीय स्टाफ की मिलीभगत की जानकारी मिली है। जिससे सख्त कार्रवाई संभव नहीं है।
  • टाइगर रिजर्व में खुले पर्यटन क्षेत्र में प्रबंधन की विधि विरुद्ध मनमर्जी चल रही है। इन गतिविधियों की सूचना है। विवादास्पद तरीके से भ्रमण कर रही पर्यटन गाड़ियों को वापस किया जाता है और अज्ञात कारण से अधिकतर क्षेत्र पर पर्यटक के लिए प्रतिबंधित किया जाता है। एनटीसीए गाइड लाइन अनुसार जिम्मेदार पर्यटन का अभाव है।
  • रिजर्व में संदिग्ध परिस्थितियों में बाघों और शावकों के गायब हो गए है। निम्न बाघ N-113, N-112 शावकों के साथ 2021 से गायब है। जिसका सरकारी रिकॉर्ड में उल्लेख नहीं किया गया। प्रबंधन ने बाघिन N-111 को बाघिन N-112 घोषित कर दिया। सभी बाघों की आईडी की जांच होना चाहिए। बाघों के शिकार की आशंका है, जिसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए। यहां स्टाफ और संसाधनों की कमी भी है।
  • शिकायत में बताया गया कि रिजर्व के इको सेंसिटिव जोन में एनओसी के नाम पर स्थानीय स्टाफ घरेलू उद्देश्य के लिए भूमि क्रय करने पर भू-स्वामियों से राशि ले रहा है। इस मामले में उच्च स्तरीय समिति का गठन कर जांच कराई जाए। इसके बाद मैं प्रमाण सौंपूंगा।
  • टाइगर रिजर्व में कुछ महीने पहले बाघ और बाघिन छोड़े गए थे। लेकिन शाकाहारी जीवों के अभाव और वन्य प्राणी चिकित्सक की कमी से उनकी स्थिति ठीक नहीं है। पर्याप्त मॉनिटरिंग नहीं हो रही है।
  • वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने शिकायत में कहा कि टाइगर रिजर्व में तत्काल वन्य प्राणी संरक्षण प्रबंधन के अनुभवी अधिकारियों को फील्ड डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर और अन्य पदों पर पदस्थ करें।

मामले में जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग

वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने बताया कि रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व से बाघों के गायब होने की गंभीर जानकारी मिली थी। पेड़ों की अवैध कटाई, स्टाफ की कमी, बाघों की निगरानी नहीं होना समेत कई शिकायत मिली। जिसको लेकर शिकायत मप्र पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ में की थी। मामले में  सीसीएफ ने डीएफओ से जवाब मांगा गया है। इसमें मुख्य शिकायत बाघों के गायब होने की थी, क्योंकि यह कॉरिडोर टाइगर रिजर्व पन्ना से जुड़ा हुआ है। पन्ना में टाइगर समाप्त हो गए थे। शिकार भी हुआ था। एन-112 बाघिन पर प्रश्नचिह्न लगाया है। वर्तमान में एन 111 यह एन 112 है। क्योंकि मार्च में नौरादेही का पत्र मिला था। जिसमें बताया गया था कि एक बाघ गायब है। मैं सिर्फ यह चाहता हूं कि यदि कोई शिकार हुआ है तो उसकी जांच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

जांच के बाद स्थितियां स्पष्ट होंगी

मामले में सीसीएफ एके सिंह ने बताया कि टाइगर रिजर्व को लेकर एक शिकायत मिली है। जिसकी जांच डीएफओ से कराई जा रही है। जांच के बाद स्थितियां स्पष्ट होंगी। टाइगर रिजर्व से बाघों के गायब होने जैसी कोई जानकारी नहीं है। नाम बदलने की भी कोई सूचना नहीं है।

ये खबर भी पढ़ें... 8 साल बाद मध्य प्रदेश में नई आईटी नीति : निवेशकों को स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन में छूट, रोजगार को मिलेगा बढ़ावा

टेरिटरी की लड़ाई में हुई थी बाघ किशन की मौत

बता दें कि 1975 में नौरादेही अभ्यारण का गठन किया गया था। साल 2018 में बाघ पुनरुत्थान प्रोजेक्ट के तहत यहां पर बाघ किशन और बाघिन राधा को लाया गया था। यहां बाघों का कुनबा बढ़ा और 6 सालों में इनकी संख्या करीब 18 तक पहुंच गई। लेकिन पिछले साल टेरिटरी की लड़ाई में बाघ किशन की मौत हो गई थी। इसके अलावा यहां पर चिंकारा, जंगली बिल्ली, भेड़िया, नीलगाय, चीतल, मगरमच्छ, हाथी, भालू तेंदुआ भी देखे जा सकते हैं।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

 

भोपाल न्यूज वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व से बाघ गायब वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व वन विभाग पर लापरवाही का आरोप