BHOPAL. मध्य प्रदेश में मैरिट लिस्ट में शामिल होकर खुद को साबित करने वाले सैंकड़ों अभ्यर्थी एक साल से नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। ये युवा साल 2021 में पात्रता और चयन परीक्षा में भी अव्वल रहे थे। जनजातीय कार्य विभाग के स्कूलों के लिए चयनित इन अभ्यर्थियों को काउसिंग में भी बुलाया जा चुका है। हांलाकि अब विभाग उन्हें नियुक्ति देने में आनाकानी कर रहा है।
भर्ती प्रक्रिया के दौरान मिली बीएड की डिग्री पर जनजातीय कार्य विभाग को आपत्ति है। जनजातीय कार्य विभाग की इस आपत्ति से राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) भी सहमत नहीं है। वहीं उत्तरप्रदेश में शिक्षक भर्ती के ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट अभ्यर्थी के पक्ष में फैसला दे चुका है। ऐसे ही मामले में NCTE गाइडलाइन जारी कर चुका है, सुप्रीम कोर्ट निर्णय दे चुका है, फिर भी मध्य प्रदेश में जनजातीय कार्य विभाग को सैंकड़ों अभ्यर्थियों के भविष्य की चिंता नहीं है। वहीं आस लगाए बैठे अभ्यर्थी विभाग की आपत्ति का कारण नहीं समझ पा रहे।
सितंबर 2022 में शुरू की थी भर्ती प्रक्रिया
सबसे पहले बात नियुक्ति प्रक्रिया की करते हैं। प्रदेश में लोक शिक्षण संचालनालय ने सितम्बर 2022 में उच्च माध्यमिक और माध्यमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। ईएसबी के माध्यम से ऑनलाइन भर्ती के लिए अभ्यर्थियों द्वारा दस्तावेज अपलोड किए गए थे। परीक्षा दिसंबर में ली गई। परीक्षा के बाद ईएसबी ने 2023 में परिणाम जारी किया लेकिन फिर काउंसलिंग में महीनों बीत गए। काउंसलिंग शुरू हुई तो बड़ी संख्या में चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेज परीक्षण के दौरान खारिज कर दिए गए। यहीं से परेशानी की शुरूआत हुई जो अब तक अभ्यर्थियों का पीछा नहीं छोड़ रही।
एक भर्ती में मान्य, दूसरी में अचानक आपत्ति
जनजातीय कार्य विभाग को उच्च माध्यमिक भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों की बीएड की डिग्री पर आपत्ति है। काउंसलिंग में पहुंचे अभ्यर्थियों को बताया गया कि ऑनलाइन आवेदन की आखिरी तारीख के समय अभ्यर्थी बीएड के फाइनल इयर में नहीं थे। हांलाकि नियुक्ति के लिए काउसिंग शुरू होने से पहले वे अपने व्यावसायिक पाठ्यक्रम यानी बीएड की डिग्री हासिल कर चुके थे। वेरिफिकेशन की प्रक्रिया से पहले ही ये सभी दस्तावेज पोर्टल पर अपलोड भी किए जा चुके थे। उधर, डिग्री अमान्य करने पर अभ्यर्थियों में नाराजगी है। वे कहते हैं साल 2018 में उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती के दौरान बीएड की डिग्री जारी होने की अवधि को लेकर कोई पाबंदी नहीं थी। तब भर्ती प्रक्रिया 2018 में शुरू हुई थी और बीएड की डिग्री हासिल करने के लिए चार साल का अतिरिक्त समय दिया गया था। यानी चयनित अभ्यर्थियों द्वारा प्रस्तुत 2022 में जारी डिग्री भी मान्य कर ली गई थीं। क्योंकि तब भी काउंसलिंग से लेकर नियुक्ति के अंतिम चरण को पूरा करने विभाग को अत्यधिक समय लग गया था।
कुछ ऐसी है NCTE की गाइड लाइन
बीएड पाठ्यक्रम और डिग्री को लेकर उठने वाले विवादों को देखते हुए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद यानी NCTE ने अगस्त 2022 में दिल्ली के संदर्भ में एक गाइडलाइन जारी की थी। इसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा उत्तरप्रदेश की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के अभ्यर्थी की याचिका पर दिए गए निर्देशों का उल्लेख किया गया है।
एनसीटीई ने अपनी गाइडलाइन में साफ किया है कि जो अभ्यर्थी TTC यानी टीचर ट्रैनिंग कोर्स जैसे बीएड में प्रवेश ले चुका है या अध्ययनरत है वह टीचर इलिजिबिलिटी टेस्ट यानी पात्रता परीक्षा में शामिल हो सकता है। एनसीटीई केंद्र सरकार का ही विधिक संस्थान है। यानी उसके द्वारा जारी की जाने वाली निर्देशिका सभी राज्यों में समान रूप से मान्य है। यही वजह है कि NCTE की गाइडलाइन के आधार पर छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड जैसे राज्यों में साल 2024 में शिक्षक भर्ती में बीएड अध्ययनरत अभ्यर्थियों को न केवल राहत दी है बल्कि अपने नियम ही बदल लिए हैं। लेकिन एनसीटीई की गाइडलाइन को मानना मध्य प्रदेश लोक शिक्षण संचालनालय और जनजातीय कार्य विभाग को मंजूर नहीं है।
अभ्यर्थियों का यह है दावा
- सुप्रीम कोर्ट ने 16 जुलाई 2019 को यूपी के एक मामले में बीएड में प्रवेश ले चुके और अध्ययनरत अभ्यर्थी को भर्ती में शामिल होने के लिए पात्र माना था।
- एनसीटीई भी 4 अगस्त 2022 को निर्देश जारी कर अभ्यर्थी को अध्ययनरत होने पर भी भर्ती परीक्षा के लिए पात्र घोषित कर चुका है।
- साल 2018 में मध्यप्रदेश में हुई उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती में भी बीएड अध्ययनरत अभ्यर्थियों को डिग्री पूरी करने अतिरिक्त समय दिया गया था।
- उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ राज्यों में बीएड प्रवेशी और अध्ययनरत छात्रों को पात्रता परीक्षा में शामिल होने के लिए योग्य माना गया है।
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