BHOPAL. महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार की मेहनत पर प्रदेश का पुलिस सिस्टम पानी फेरने में लगा है। ताजा मामला भोपाल के मिसरोद स्थित एलीट क्लास की हाउसिंग सोसाइटी का है। यहां तैनात महिला गार्ड का आरोप है कि समिति के एक सदस्य ने सोशल मीडिया ग्रुप में जोड़ने पर उसे आदिवासी और रोहिंग्या मुस्लिम कहकर अपमानित किया और धमकाया गया था। महिला का आरोप है कि बड़े लोगों की हाउसिंग सोसाइटी होने से पुलिस दबाव में है। 15 दिन बाद भी मिसरोद पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया। उल्टा सीएम हेल्पलाइन (CM Helpline) पर की गई शिकायत वापस लेने का दबाव बनाते हुए ओटीपी लेकर शिकायत बंद करा दी।
यह मामला दूरस्थ किसी कस्बे या गांव का नहीं, बल्कि राजधानी भोपाल का है। आदिवासी महिला अपमान और धमकी की शिकायत लेकर एक पखवाड़े से थाने से लेकर पुलिस कमिश्नर दफ्तर के चक्कर काट रही है। पूरे पुलिसिया सिस्टम में सब इतने व्यस्त हैं कि किसी को शिकायत सुनने की फुर्सत नहीं है।
कमेंट पर आपत्ति करने पर धमकाया
बागसेवनिया में रहने वाली वैष्णवी गौंड मिसरोद की कोरल वुड्स सोसाइटी में गार्ड है। वैष्णवी ने 20 अक्टूबर को मिसरोद थाने में शिकायती आवेदन दिया था। इसमें उसने सोसाइटी के एसवीआर नायडू पर आरोप लगाए हैं। वैष्णवी का आरोप है कि सोसाइटी की महिलाओं के सोशल मीडिया ग्रुप में उसे शामिल करने पर एसवीआर नायडू द्वारा आपत्तिजनक कमेंट किया गया था। उसकी तुलना रोहिंग्या मुसलमान के रूप में की गई। उसने नायडू से इसे लेकर बात करनी चाही। इस पर नायडू ने बदतमीजी की और धमकाने पर उतारू हो गया।
लेडी गार्ड को बाहर करने की कोशिश
कोरल वुड हाउसिंग सोसाइटी एलीट क्लास का रहवासी परिसर है। इस कैंपस के एक रहवासी के कमेंट से आहत आदिवासी महिला गार्ड के थाने पहुंचने के बाद अब कुछ लोगों ने गोलबंदी शुरू कर दी है। महिला के सार्वजनिक अपमान और धमकाने के बाद अब उसे नौकरी से निकालने की कोशिश की जा रही है। महिला को लेकर सोसाइटी के लोगों के सोशल मीडिया ग्रुप पर भी लगातार कमेंट किए जा रहे हैं।
15 दिन से शिकायत दबाए बैठी पुलिस
धमकी और सार्वजनिक अपमान से आहत गार्ड वैष्णवी तनाव में है। उसके द्वारा की गई शिकायत पर मिसरोद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है। आदिवासी महिला से दुर्व्यवहार, जातिगत अपमान और धमकाने के अलावा सोशल मीडिया ग्रुप पर किए गए कमेंट पर भी पुलिस चुप्पी साधे बैठी है। मामले की जांच कर रहे एएसआई रामबक्श भी जांच जारी रहने की बात कह रहे हैं। जबकि एक पखवाड़े में शिकायत पर क्या किया? वे इसके बारे में जानकारी नहीं दे पाए। यानी आदिवासी महिला की शिकायत के बावजूद राजधानी की पुलिस संवेदनशीलता को ताक पर रखकर बैठी है। वैष्णवी ने मिसरोद पुलिस की इस बेरुखी को देखते हुए अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण और पुलिस कमिश्नर कार्यालय में भी शिकायत की है। हालांकि वहां भी आठ दिन से शिकायत फाइलों में दबी है।
पुलिस ने ही बंद करा दी शिकायत
वहीं, इस मामले में वैष्णवी ने सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत की थी। उसका आरोप है कि पुलिस ने ही उसे धोखे में रखकर शिकायत बंद करा दी। जब इस मामले में उसने जांच अधिकारी से बात की तो उसने कहा कि पुलिस आपकी शिकायत पर जांच कर रही है, इसलिए शिकायत बंद करा दी गई है। अब वैष्णवी ने एक बार फिर सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई है।
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