मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के आखिरी दिन ( 24 मार्च ) सिरोंज से बीजेपी विधायक उमाकांत शर्मा ने एक ऐतिहासिक घोषणा की। उन्होंने कहा कि वे न तो वेतन लेंगे और न ही किसी प्रकार का भत्ता स्वीकार करेंगे। उनका यह कदम जनसेवा के उद्देश्य से लिया गया था, क्योंकि उनका मानना है कि राजनीति केवल सेवा का माध्यम है, न कि व्यक्तिगत लाभ के लिए।
इन्हें आदर्श मानते हैं उमाकांत शर्मा
उमाकांत शर्मा ने विधानसभा में यह स्पष्ट किया कि उनका आदर्श पंडित दीनदयाल उपाध्याय हैं, जिन्होंने हमेशा जनसेवा के उद्देश्य से काम किया। उन्होंने यह भी कहा कि जब हमारे प्रधानमंत्री स्वयं अपना वेतन छोड़ सकते हैं, तो वह क्यों नहीं। वहीं उनका यह कदम अन्य नेताओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।
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विधायक के इस कदम से विधानसभा में हलचल
बता दें कि विधानसभा में एक चर्चा के दौरान विधायक उमाकांत शर्मा को वेतन छोड़ने की सलाह दी गई थी। इस पर उन्होंने तुरंत ऐलान किया कि वह वेतन और भत्ता नहीं लेंगे। उनका कहना था कि राजनीति जनसेवा का काम है और इसका उद्देश्य समाज के लिए काम करना है, न कि व्यक्तिगत लाभ उठाना।
अन्य विधायकों और मंत्रियों को भी दी सलाह
उमाकांत शर्मा ने अन्य विधायकों और मंत्रियों से भी अपील की कि वे भी अपना वेतन, भत्ता और पेंशन छोड़ दें। उनका मानना था कि यह कदम सरकार के प्रति ईमानदारी को दर्शाता है और समाज के प्रति एक सकारात्मक संदेश भेजता है।
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गाय को बताया 'माता'
उमाकांत शर्मा ने विधानसभा में गाय के महत्व को भी बताया। उन्होंने कहा कि गाय हमारी माता है और उसकी सेवा करना हमारे परम धर्म का हिस्सा है। इस मुद्दे पर उन्होंने भाजपा के अन्य नेताओं से भी गाय की सेवा में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया।
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