भोपाल-इंदौर समेत 18 जिलों में कोल्ड-डे
प्रदेश में 19 जनवरी से और बढ़ेगी ठंड
मोहन अंकल, मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश
सादर प्रणाम,
हम गुड़िया और गोलू हैं, मध्यप्रदेश के छोटे-छोटे नन्हे फूल हैं, आपसे एक गुहार लेकर देश के प्रतिष्ठित मीडिया हाउस 'द सूत्र' के माध्यम से यह पाती लिख रहे हैं।
अंकल! हमारी यह पाती केवल हमारी ही नहीं, बल्कि हम जैसे हजारों-लाखों मासूम बच्चों की सर्दी से कांपती पुकार है। कृपया, इसे केवल पत्र न समझें, बल्कि यह हमारी ठिठुरती हथेलियों और जमी हुई सांसों की गुहार है, जिसे सुनकर शायद आपका हृदय भी व्याकुल हो उठे, क्योंकि आप बड़े संवेदनशील हैं।
अंकल, सुबह जब मां हमें रजाई से बाहर निकालती हैं तो ऐसा लगता है मानो किसी ने हमें बर्फीली नदी में धकेल दिया हो। हाथ-पैर सुन्न हो जाते हैं। दांत आपस में टकराने लगते हैं। किताबों का बोझ उठाते हुए लगता है कि ठंड से जकड़ा हुआ पहाड़ हमारे कंधों पर रख दिया गया है। मुंह से निकली सांसें कोहरे में घुल जाती हैं। स्कूल तक पहुंचते-पहुंचते हमारे पैर मानो पत्थर हो जाते हैं।
हर तरफ कड़ाके की ठंड का प्रकोप है। उज्जैन से उमरिया तक और भोपाल से भिंड तक बर्फीली हवाएं चल रही हैं। दिनभर कोहरा रहता है। सूर्यदेव भी रूठ गए हैं। आप तो जानते हैं अंकल कि इतनी ठंड में बड़े-बड़े भी घरों से निकलने से बचते हैं, फिर हम बच्चों को इस जानलेवा ठंड में स्कूल भेजना कहां का न्याय है?
जब हम स्कूल की तरफ बढ़ते हैं तो रास्ते में ठंड से कांपते दूसरे बच्चों को देखकर हमारा दिल बैठ जाता है। कोई नाक लाल किए ठिठुर रहा होता है तो कोई पतली स्वेटर में खुद को समेटने की कोशिश करता है। कई बच्चे ठंड की वजह से बीमार हो रहे हैं, किसी को बुखार है, किसी को खांसी-जुकाम ने जकड़ लिया। क्या स्कूल जाना हमारी सेहत से ज्यादा जरूरी है? क्या हमारी मासूमियत, हमारी कोमल काया इस कठोर ठंड के आगे निरीह और असहाय नहीं दिखती?
अंकल, हमें बताया गया है कि आप हम बच्चों से बहुत प्रेम करते हैं। आप हमारे भविष्य को संवारना चाहते हैं, लेकिन यदि यह ठंड यूं ही चलती रही तो यह भविष्य कहीं बीमारियों की चादर में लिपटकर कमजोर न पड़ जाए! हमें उम्मीद है कि आपकी ममता से भरी आंखें हमारी यह व्यथा पढक़र पिघल जाएंगी। हमारा आपसे निवेदन है कि कृपया प्राथमिक स्कूलों में अविलंब अवकाश घोषित करने का आदेश कलेक्टर अंकल को दे दीजिए। हमें इस कड़ाके की ठंड से बचा लीजिए।
हमें मालूम है, अंकल कि आप हमारे दर्द को समझेंगे। आप हमें इस सर्द हवा में कांपने के लिए नहीं छोड़ेंगे। आपकी कलम हमें इस कंपकंपाती ठंड से बचा सकती है। उम्मीद है कि हमारे लिए राहत की खबर आएगी।
-आपके नन्हे, ठिठुरते बच्चे
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