/sootr/media/media_files/2024/12/06/s5PiEM3YZq0EexwnMM8e.jpg)
BHOPAL. उच्च शिक्षा विभाग की बेरुखी के चलते अब प्रदेश के कॉलेजों में भी स्कूलों जैसे हालात बनने लगे हैं। प्रदेश में 561 सरकारी कॉलेज हैं जिनमें से पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेजों की संख्या 77 ही है। लेकिन केवल 77 पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेजों को चलाने में भी सरकार और विभाग का रवैया उदासीनता भरा है। हालत ये है कि इन कॉलेजों में छात्र-छात्राओं के गाइडेंस के लिए पर्याप्त गाइड नहीं है। इस वजह से शोध छात्रों को अध्ययन में न केवल मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है बल्कि कई शोधार्थी तो अपनी पढ़ाई ही पूरी नहीं कर पा रहे हैं।
कॉलेजों में गाइडों की कमी
नई शिक्षा नीति के प्रावधान और कॉलेजों में गाइडों की कमी की वजह से विद्यार्थियों का शोध कार्य पूरा सत्र गुजरने के बाद भी आगे नहीं बढ़ पा रहा है। पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद शोध कार्य के लिए छात्रों को गाइड की जरूरत होती है। किसी भी कॉलेज में गाइड की संख्या के अनुरूप ही शोध कार्य के लिए छात्रों की संख्या तय होती है। यानी गाइड ज्यादा होंगे तभी ज्यादा विद्यार्थियों को शोध कार्य का मौका मिल सकता है। गाइड यानी शोध कार्य में विद्यार्थियों के मार्गदर्शक कितनी संख्या में होंगे इसकी व्यवस्था का जिम्मा कॉलेज प्रबंधन और उच्च शिक्षा विभाग का है, लेकिन नई शिक्षा नीति (new education policy) लागू होने के बाद भी विभाग के अधिकारी गाइडों की संख्या बढ़ाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
जानें क्या है यूजीसी की गाइड लाइन
अब नई शिक्षा नीति के प्रावधान के तहत 4 वर्षीय यूजी कोर्स के बाद पीएचडी वहीं कॉलेज करा सकते हैं, जहां दो स्थाई पीएचडी गाइड हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की गाइड लाइन के अनुसार 4 वर्षीय स्नातक डिग्री हासिल करने वाले उम्मीदवार सीधे ही पीएचडी कर सकते हैं और उन्हें अलग से पोस्ट ग्रेजुएशन यानी मास्टर की डिग्री लेने की जरूरत नहीं होगी।
नई गाइडलाइन के आधार पर अब पीएचडी छात्रों को रिसर्च स्पेशलाइजेशन के लिए प्रोजेक्ट शुरू करना होगा। इससे उन्हें रिसर्च स्पेशलाइजेशन के साथ ऑनर्स की डिग्री मिलेगी। अभी छात्रों को स्नातक के बाद ही ऑनर्स डिग्री मिल जाती है। हर साल छह से ज्यादा गाइडों के रिटायरमेंट की वजह से अब कॉलेजों में इनकी संख्या कम होती जा रही है। प्रदेश के 561 सरकारी कॉलेजों में इनकी संख्या करीब 80 ही बची है। इस वजह से विद्यार्थियों को शोध कार्य का मौका ही नहीं मिल पा रहा है।
पोर्टल बंद, नैक अपग्रेडेशन से चूकेंगे कॉलेज
नेशनल असेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल (NAAC) ने मान्यता प्रक्रिया में बड़े सुधार लाने की तैयारी कर ली है। इसी के अंतर्गत बाइनरी मान्यता प्रणाली भी अपनाने की राह खोली जा रही है। इसमें संस्थानों को मान्य (एडिटेड) या अमान्य (नॉट एक्रीडिटेड) का दर्जा दिया जाएगा। इसी साल यानी दिसंबर तक ही मैच्योरिटी अधारित ग्रेडेड लेवल शुरू किया जाएगा। इसमें एक से लेकर पांच लेवल होंगे जिनके आधार पर ही कॉलेजों की गुणवत्ता का क्लासीफिकेशन होगा।
फिलहाल समयावधि से पहले ही पोर्टल बंद होने के कारण कई कॉलेज इस व्यवस्था के तहत अपग्रेडेशन से वंचित रह गए हैं। कॉलेज प्रबंधन यूजीसी से पोर्टल खोलने के संबंध में भी संपर्क कर रहे हैं। यदि पोर्टल पर कॉलेज नई प्रणाली के तहत अपग्रेड नहीं होते तो आने वाले सत्र में यह छात्रों के लिए भी परेशानी पैदा कर सकता है। बताया जा रहा जो संस्थान पहले ही आवेदन कर चुके है या अगले चार महीनों में आवेदन करेंगे, उनके पास मौजूदा वा नई पद्धति से मान्यता प्राप्त करने का विकल्प होगा। नैक ने वर्तमान में मान्यता प्राप्त संस्थानों के लिए मान्यता अवधि को बढ़ाने की खबर है।
प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में पदों की स्थिति
संवर्ग | स्वीकृत पद | पदस्थ | खाली |
पीजी प्रचार्य | 98 | 11 | 87 |
स्नातक प्राचार्य | 435 | 13 | 422 |
प्राध्यापका सीधी भर्ती | 704 | 247 | 457 |
सहायक प्राध्यापक | 9981 | 6302 | 3675 |
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक