मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने आरक्षक भर्ती 2016 से जुड़े मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पुलिस विभाग की आरक्षण नीति के उल्लंघन को गंभीरता से लेते हुए निर्देश दिया है कि आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान याचिकाकर्ताओं को उनकी पसंद के अनुसार उनके वर्ग मेंं ही पोस्टिंग दी जाए।
छोड़ दिए गए थे OBC के 889 पद
आरक्षक भर्ती 2016 मेंं ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग मेंं परिवर्तित कर स्पेशल आर्म्ड फोर्स (एसएएएफ) में पोस्टिंग दी गई थी। इस दौरान, उनसे कम अंक प्राप्त करने वाले आरक्षित वर्ग के कई अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग मेंं जिला पुलिस बल में नियुक्त किया गया। ओबीसी के लिए आरक्षित 1090 पदों में से 889 पद खाली छोड़ दिए गए और केवल 125 अभ्यर्थियों को ओबीसी वर्ग में चयनित किया गया।
याचिकाकर्ताओं की दलीलें
याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ अधिवक्ता रामेंश्वर सिंह ठाकुर ने अदालत मेंं तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ओबीसी वर्ग के हैं, जिनके अधिक अंक होने से उनको अनारक्षित वर्ग मेंं परिवर्तन करके एसएएफ में पोस्टिंग कर दी गई है, जबकी उनसे कम अंक प्राप्त करने वाले आरक्षित वर्ग के अनेक अभयार्थियों को अनारक्षित वर्ग में ही जिला पुलिस बल में पोस्टिंग की गई है। वहीं ओबीसी के लिए आरक्षित 1090 पदो में से 889 पद रिक्त दर्शाकर केरिफार्वर्ट कर दिए गए तथा 125 अभ्यर्थियों को ओबीसी में सिलेक्ट किया जाकर शेष ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को प्रतिभावान (मेंरिटोरियस) पाकर अनारक्षित वर्ग में परिवर्तित करके उनकी एसएएफ में पोस्टिंग कर दी गई। जबकी अनारक्षित वर्ग की जिला पुलिस बल में मेरिट याचिकाकर्ताओं से कम है। कोर्ट को बताया गया कि राहुल मेंहरा (SC) वर्ग का है जिसकी मेरिट 59.77 है और उसे अनारक्षित वर्ग में जिला पुलिस बल विदिशा में पोस्टिंग दी गई है।
इसी प्रकार लोकेंद्र डमार (ST) जिसकी मेरिट 61.35 अंक है उसे अनारक्षित वर्ग में जिला पुलिस बल नीमच में पोस्टिंग दी गई है। जबकी याचिकाकर्ता रामराज पटेल 64.53, गजेंद्र सिंह पवार 64.39, तथा आकाश पटेल 61.85 अंक अर्जित करने पर भी उनकी चॉइस को दरकिनार कर अनारक्षित वर्ग में SAF में पोस्टिंग दी गई है, जो समानता के सिद्धांत के खिलाफ है।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि यह समानता के सिद्धांत का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रवीण कुमार कुर्मी बनाम मध्य प्रदेश शासन मामले मेंं दिए गए दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को उनकी पसंद के अनुसार पोस्टिंग मिलनी चाहिए।
डीजीपी के आदेश खारिज
हाईकोर्ट ने डीजीपी, पीएचक्यू भोपाल और एडीजी (चयन) द्वारा पारित आदेशों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मामले की भिन्नता स्पष्ट नहीं की।
हाईकोर्ट का आदेश
मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक कुमार जैन की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा:
- याचिकाकर्ताओं को उनकी पसंद के अनुसार उनके वर्ग मेंं पोस्टिंग दी जाए।
- डीजीपी और गृह विभाग के प्रमुख सचिव को आरक्षण नीति के अनुरूप आदेश लागू करने का निर्देश दिया।
- याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेंश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, रामभजन लोधी और शुभांशु कौल ने प्रभावी पैरवी की।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक