मध्य प्रदेश में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आपराधिक न्याय प्रणाली) ( mp criminal justice system ) को जल्द ही गति मिल सकती है। प्रदेश में कोर्ट, पुलिस, अस्पताल और विधि विज्ञान प्रयोगशाला के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए पूरी तरह से डिजिटल और ऑनलाइन प्रणाली विकसित करने की पहल की जा रही है।
यह सिस्टम एफआईआर, चार्जशीट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फॉरेंसिक रिपोर्ट, वारंट, समन, और लीगल नोटिस जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों को कुछ सेकंड में एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने की क्षमता रखेगा। इससे मामलों की सुनवाई में होने वाली देरी को काफी कम किया जा सकेगा।
क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में सुधार की तैयारी
हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को पहले से अधिक तेज और प्रभावी बनाने के लिए केस मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम (CMIS) और पुलिस के क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (CCTNS) के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए एप्लीकेशन प्रोग्राम इंटरफेस (API) विकसित करने के निर्देश दिए हैं। यह डिजिटल सिस्टम पुलिस, कोर्ट, अस्पताल और फॉरेंसिक प्रयोगशाला के बीच त्वरित जानकारी साझा करेगा।
पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत
हाई कोर्ट ने पायलट फेज के रूप में इंदौर, देवास और राजगढ़ जिलों में डिजिटल एफआईआर और केस डायरी को एपीआई के माध्यम से ऑनलाइन भेजने का निर्देश दिया है। यह डिजिटल परिवर्तन सिस्टम को अधिक पारदर्शी और तेज बनाएगा। इससे केस डायरी को पुलिस से कोर्ट तक पहुंचने में लगने वाला समय काफी कम हो जाएगा।
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अधिकारियों को रिपोर्ट पेश करने के निर्देश
हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार (आईटी-सीएसए) कुलदीप सिंह कुशवाह और एससीआरबी के एडीजी चंचल शेखर को एक माह के भीतर रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, इंदौर खंडपीठ के जस्टिस संजीव एस. कालगांवकर ने 35 केस डायरी पेश न होने पर संज्ञान लिया और अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने के निर्देश दिए। इस दौरान मध्य प्रदेश पुलिस के आईटी विंग और हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार आईटी के सुझाव भी लिए गए।
तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर में भी होगा सुधार
कोर्ट ने राज्य सरकार से इस डिजिटल परिवर्तन के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता पर उपलब्ध कराने की अपेक्षा की है। साथ ही, एससीआरबी को केंद्र सरकार से आईसीजेएस 2.0 योजना के तहत अतिरिक्त वित्तीय सहायता की मांग करने के निर्देश दिए गए हैं। हाई कोर्ट ने विश्वास व्यक्त किया है कि केंद्र और राज्य सरकार इस परियोजना के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराएंगी, जिससे आपराधिक न्याय प्रणाली में तेजी से सुधार हो सकेगा।
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