MP बनेगा दूध उत्पादन में नंबर 1, डॉ. अंबेडकर कामधेनु योजना से चमकेगी किसानों की किस्मत

मध्य प्रदेश की नई योजना डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना से राज्य के दूध उत्पादन में बड़ा बदलाव आने वाला है। इस योजना से किसानों को सब्सिडी, प्रशिक्षण और सुविधाएं मिलेंगी। जानें इसके फायदों और चुनौतियों के बारे में।

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Kaushiki
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भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना
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मध्य प्रदेश का दूध उत्पादन वर्तमान में देश में तीसरे नंबर पर है, लेकिन राज्य सरकार का उद्देश्य इसे पहले स्थान तक पहुंचाना है। इसके लिए राज्य सरकार ने नई योजना "डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना" लॉन्च की है, जो 14 अप्रैल (यानि आज) से शुरू हो रही है। मुख्यमंत्री मोहन यादव का दावा है कि यह योजना दूध उत्पादन बढ़ाने के साथ ही गांव के किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगी।

योजना का उद्देश्य

इस योजना का मुख्य उद्देश्य पशुपालकों को आर्थिक सहायता और तकनीकी सहायता देना है, ताकि वे अपने व्यवसाय को बढ़ा सकें। योजना के तहत, 25 या उससे अधिक गायें खरीदने वाले किसानों को 25% तक सब्सिडी मिलेगी। इस पहल से छोटे किसान भी अधिक पशु पाल सकेंगे और उनकी आय बढ़ेगी।

इसके अलावा, गांवों में दूध संग्रह केंद्र (milk collection center) और गौशालाओं को भी अपग्रेड किया जाएगा। यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करेगा और महिलाओं को भी इसमें भागीदारी का मौका मिलेगा, जो डेयरी उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

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पशुपालन को मिलेगा नया बूस्ट

"डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना" से राज्य के पशुपालन क्षेत्र में एक नई क्रांति आ सकती है। वर्तमान में, मध्य प्रदेश में हर एक व्यक्ति की दूध की उपलब्धता 644 ग्राम है, जो राष्ट्रीय औसत 459 ग्राम से काफी अधिक है। अगर यह योजना सफल होती है, तो राज्य का लक्ष्य 20% दूध उत्पादन बढ़ाने का है। इससे सांची जैसे स्थानीय ब्रांड्स को नया बाजार मिलेगा और किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे।

चुनौतियां

हर नई योजना के साथ कुछ चुनौतियाँ भी आती हैं। पहले भी सांची ब्रांड को मजबूती देने की कोशिशें की गईं, लेकिन गाँवों में संसाधनों की कमी ने रास्ता रोका। यदि सभी योजनाएँ सही तरीके से लागू होती हैं, तो मध्य प्रदेश दूध उत्पादन में नंबर एक बन सकता है।

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योजना का लाभ

भारत में कृषि और पशुपालन दो महत्वपूर्ण आधार हैं और इन्हें सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं बनाई जाती रही हैं। अब राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री पशुपालन विकास योजना का नाम बदलकर “डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना” रख दिया है। यह योजना किसानों और पशुपालकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और पशुपालन क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने के उद्देश्य से बनाई गई है। इसमें...

शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर क्रेडिट कार्ड की सुविधा

इस योजना के तहत, किसानों को पशुपालन से जुड़ी गतिविधियों के लिए सहकारिता के माध्यम से क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराए जाएंगे। इन क्रेडिट कार्ड्स पर शून्य प्रतिशत ब्याज दर होगी, जिससे किसानों को बिना किसी वित्तीय दबाव के पशुपालन व्यवसाय को बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह योजना उन किसानों के लिए सहायक साबित होगी, जो पहले उच्च ब्याज दरों के कारण ऋण लेने में असमर्थ थे।

नस्ल सुधार कार्यक्रम

नस्ल सुधार योजना के तहत, भ्रूण ट्रांसप्लांट कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिससे पशुपालकों को अपनी गायों और बकरियों की नस्ल में सुधार लाने का मौका मिलेगा। बेहतर नस्ल के पशु न केवल अधिक दूध देंगे, बल्कि उनकी सेहत भी मजबूत होगी। इसके अलावा, बांझ निवारण शिविरों का आयोजन भी किया जाएगा, ताकि पशुओं की प्रजनन क्षमता में सुधार हो सके।

पशुपालन में नई दिशा

यह योजना न केवल पशुपालकों को आर्थिक सहायता देने का एक माध्यम है, बल्कि यह पशुपालन में नवाचार और विकास को भी बढ़ावा देगी। इसमें किसानों को आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि वे अपने पशुपालन व्यवसाय को लाभकारी बना सकें।

डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम पर योजना

इस योजना का नाम “डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना” रखने का उद्देश्य डॉ. अंबेडकर के विचारों और उनकी सामाजिक-आर्थिक जागरूकता को श्रद्धांजलि अर्पित करना है। डॉ. अंबेडकर ने समाज के पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कई योजनाएं बनाई थीं और इस योजना का उद्देश्य भी समाज के ऐसे वर्गों को सशक्त बनाना है, जो पशुपालन के माध्यम से अपने जीवन स्तर को सुधार सकते हैं।

योजना क्यों जरूरी है

भारत में कृषि और पशुपालन एक-दूसरे के सहायक हैं। किसान अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा पशुपालन से लेता हैं। हालांकि, इस क्षेत्र में नस्ल सुधार, तकनीकी कमी और आर्थिक संसाधनों की कमी जैसी समस्याएं मौजूद हैं। “डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना” इन समस्याओं के समाधान के लिए एक ठोस कदम है। इससे न केवल पशुपालकों को आर्थिक लाभ होगा, बल्कि इससे उनके जीवन स्तर में भी सुधार होगा और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

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