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BHOPAL.मध्यप्रदेश सरकार राज्य की सड़कों की गुणवत्ता सुधारने के लिए बड़ा कदम उठा रही है। स्टेट हाईवे से लेकर अन्य सभी मार्गों का अब NHAI की तर्ज पर पूरा डिजिटल डाटा तैयार किया जाएगा। इसका मकसद सड़कों की बार-बार होने वाली खराबी को स्थायी रूप से रोकना है।
नेटवर्क सर्वे व्हीकल से जुटेगा सड़क का डेटा
प्रदेश की सड़कों का सर्वे आधुनिक नेटवर्क सर्वे व्हीकल (NSV) से किया जाएगा। इन वाहनों के जरिए सड़क की सतह, मजबूती, खराब हिस्सों और तकनीकी कमियों की जानकारी जुटाई जाएगी। इसके बाद डाटा का वैज्ञानिक विश्लेषण कर हर सड़क का डिजिटल हेल्थ कार्ड तैयार होगा।
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कम खर्च और ज्यादा टिकाऊ सड़कें
सड़कों का डिजिटल डाटा मिलने से निर्माण और मरम्मत की प्लानिंग पहले से ज्यादा सटीक होगी। इससे न सिर्फ गुणवत्ता सुधरेगी, बल्कि सड़क निर्माण पर होने वाला खर्च भी कम होगा। सरकार का मानना है कि सही समय और स्थान पर खर्च से लंबे समय तक लाभ मिलेगा।
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पीडब्ल्यूडी में लागू हुआ रोड असेट मैनेजमेंट सिस्टम
लोक निर्माण विभाग ने बजट के दुरुपयोग को रोकने के लिए रोड असेट मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया। इस प्रणाली के तहत पीडब्ल्यूडी की 40 हजार किलोमीटर सड़कों का डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड तैयार होगा। इस प्रोजेक्ट पर 20 से 25 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
भविष्य में कई गुना होगा लाभ
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस सिस्टम से भविष्य में कई गुना लाभ होगा। फिलहाल, सड़कों के रख-रखाव पर करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। डिजिटल सिस्टम से खर्च व्यवस्थित होगा और फालतू मरम्मत पर रोक लगेगी।
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क्या है रोड असेट मैनेजमेंट सिस्टम
रोड असेट मैनेजमेंट सिस्टम एक डिजिटल और वैज्ञानिक तकनीक है। इसके जरिए सड़क से जुड़ी संपत्तियों का रख-रखाव, मरम्मत और सुधार कम लागत में होगा। यह समय पर किया जा सकेगा और बजट का सही इस्तेमाल सुनिश्चित होगा। इससे जवाबदेही तय करना भी आसान होगा।
ऐसे बनेगा सड़कों का डिजिटल हेल्थ कार्ड
एनएचएआई की तरह मध्यप्रदेश में भी सड़क का रिकॉर्ड तैयार होगा। एनएसवी से सड़क की सतह, खराब हिस्से, ट्रैफिक लोड, साइन बोर्ड, सिग्नल और खामियों का डाटा जुटेगा। विशेषज्ञ इस डाटा का विश्लेषण करेंगे। इसके बाद हर सड़क का हेल्थ कार्ड बनाया जाएगा।
दुर्घटनाओं में कमी की उम्मीद
लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह के अनुसार, डिजिटल हेल्थ कार्ड से सुधार संभव होगा। इससे सड़क हादसों में कमी आएगी। यात्रियों को अधिक सुरक्षित सफर मिलेगा।
पहले हाईवे और मुख्य सड़कों का सर्वे
सर्वे की शुरुआत प्रदेश के स्टेट हाईवे और मुख्य जिला मार्गों से होगी। पहले चरण में करीब 10 हजार किलोमीटर सड़कों का डाटा तैयार किया जाएगा। इसके बाद जिला और ग्रामीण सड़कों का विश्लेषण किया जाएगा।
दो चरणों में होगा पूरा प्रोजेक्ट
पहले चरण में स्टेट हाईवे, मुख्य जिला मार्ग और अन्य जिला मार्ग शामिल होंगे। दूसरे चरण में लगभग 10 हजार किलोमीटर ग्रामीण सड़कों को कवर किया जाएगा। हर साल विशेष मशीन से सड़कों का हेल्थ सर्वे किया जाएगा।
पारदर्शिता और जवाबदेही होगी तय
डिजिटल रिकॉर्ड से सड़क की लंबाई, चौड़ाई, स्थिति, पुल, कल्वर्ट, ट्रैफिक लोड और साइन सिस्टम की जानकारी मिलेगी। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और जिम्मेदार एजेंसियों की जवाबदेही तय होगी।
भोपाल-मंदसौर ग्रीनफील्ड फोरलेन पर काम शुरू
भोपाल से पश्चिमी मध्य प्रदेश के मंदसौर तक अब सीधी और तेज कनेक्टिविटी मिलने जा रही है। मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम ने एक्सेस कंट्रोल्ड ग्रीनफील्ड फोरलेन सड़क के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
258 किमी लंबा, दूरी होगी 100-150 किमी कम
प्रस्तावित फोरलेन करीब 258 किलोमीटर लंबा होगा। मौजूदा मार्गों की तुलना में यात्रा दूरी 100 से 150 किलोमीटर तक कम हो जाएगी। सड़क जमीन से 8 से 10 फीट ऊंची होगी और इसमें बेहद कम मोड़ होंगे।
एमपी के साथ राजस्थान को भी मिलेगा फायदा
इस फोरलेन से मंदसौर, नीमच और राजस्थान के यात्रियों को लाभ मिलेगा। तेज, सुरक्षित और सुगम सफर इस परियोजना की खासियत होगी। डिजिटल हेल्थ कार्ड और ग्रीनफील्ड फोरलेन से सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक और टिकाऊ बनाया जाएगा। सरकार बड़े कदम उठा रही है।
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