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मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स की लड़ाई लड़ने वाले कई संगठनों का पंजीयन रद्द कर दिया गया है। इस एक्शन के बाद प्रदेश के 7 लाख कर्मचारियों और 5 लाख पेंशनर्स की लड़ाई लड़ने वाला अब कोई संगठन नहीं रहा है। ऐसे में यह संगठन अब किसी मंत्रालय या किसी विभाग से अपनी बात नहीं कह पाएंगे। साथ ही सरकार या अधिकारियों से किसी तरह का पत्र व्यवहार भी नहीं कर पाएंगे।
इन संगठनों का पंजीयन रद्द
मध्य प्रदेश के कर्मचारी और पेंशनर्स के तीन संगठनों का पंजीकरण रद्द किया गया है। यह संगठन 30 से 55 साल तक पुराने है। इन संगठनों की मान्यता रद्द की गई है-
- मंत्रालय कर्मचारी संघ (55 साल पुराना)
- विधानसभा कर्मचारी संघ (52 साल पुराना)
- पेंशनर्स एसोसिएशन (33 साल पुराना)
अभी इन तीनों कर्मचारी और पेंशनर्स संगठनों का पंजीयन रद्द हुआ है। इसके पहले तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ का पंजीयन भी निरस्त हुआ था। यह संग 3 लाख कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है। इस संगठन की मान्यता रद्द होने का मामला अभी मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में है।
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मुख्यमंत्री के संज्ञान में मामला
कर्मचारी और पेंशनर्स के लिए काम करने वाले संगठनों का पंजीयन उद्योग विभाग द्वारा निरस्त किया गया है। यह विभाग मुख्यमंत्री मोहन यादव संभाल रहे है। ऐसे में उनके संज्ञान में मामला आते ही सीएम एक्शन में आ गए। उन्होंने रजिस्ट्रार फर्म्स सोसायटी को तलब किया। मामले में कर्मचारी संगठन ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर भेदभाव की बात कही। संगठनों का कहना है कि रजिस्ट्रार फर्म्स सोसायटी ने कुछ पंजीकृत संस्थाओं का पंजीयन तीन महीने में एक नोटिस देकर ही खत्म कर दिया। वहीं शीघ्र लेखक संघ को 2021 से 2024 तक 15 दिन का नोटिस दिया जा रहा है।
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