IAS उमा महेश्वरी की बढ़ सकती है परेशानी, पर्यावरण नियमों को दरकिनार करने के मामले में जांच तेज

मध्य प्रदेश की 2013 बैच की आईएएस अधिकारी आर. उमा महेश्वरी के खिलाफ गंभीर शिकायत आई है। उन पर राज्य के पर्यावरण विभाग में पद का दुरुपयोग करने का आरोप है।

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Sourabh Bhatnagar
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IAS UMA MAheshwari
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पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन के आरोप में मध्यप्रदेश की 2013 बैच की आईएएस अधिकारी आर. उमा महेश्वरी की परेशानी बढ़ सकती है। 

उनपर आरोप है कि मप्र एनवायरनमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (SEIAA) नियमों को ताक पर रखते हुए उन्होंने एकतरफा निर्णय लिया। इस पर केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय में शिकायत की गई है।

अब यह मामला केंद्रीय जांच के तहत आ सकता है। इसके बाद अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की संभावना बन रही है।

एकतरफा फैसले लेने का आरोप

भोपाल के रहने वाले राशिद खान ने महेश्वरी के खिलाफ ये शिकायत दर्ज कराई है। उनकी शिकायत के बाद, डीओपीटी ने संज्ञान लिया है।  मामला अब एडमिनिस्ट्रेटिव विजिलेंस डिवीजन को सौंपा गया है। 

महेश्वरी पर आरोप है कि उन्होंने 28 मार्च से 21 अप्रैल तक पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण की बैठकें नहीं कीं। इस दौरान, उन्होंने कई निर्णय अकेले लिए, जो नियमों के खिलाफ हो सकते हैं।

यह भी पढ़ें...SEIAA में पर्यावरण मंजूरी का भ्रष्टाचार: बिना बैठक के ही 450 प्रोजेक्ट को दी सीधे मंजूरी

क्या बोलीं आर. उमा माहेश्वरी

इस मामले में IAS आर. उमा महेश्वरी ने कहा, मैंने पर्यावरणीय मुद्दों से संबंधित अधिकारियों को सूचित किया है। मुझे विभागीय अधिकारियों से कोई नोटिस नहीं मिला। जब मिलेगा, तब जवाब दूंगी।

ये भी जांच के दायरे में

नवनीत मोहन कोठारी और श्रीमन शुक्ला भी जांच के दायरे में आ सकते हैं। नवनीत कोठारी पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव हैं। श्रीमन शुक्ला एप्को के कार्यकारी निदेशक रह चुके हैं। प्रशासनिक विजिलेंस डिवीजन इन अधिकारियों की भूमिका की जांच करेगा।

450 पर्यावरणीय प्रोजेक्ट की मंजूरियों को लेकर शुरू हुआ था विवाद

ये है विवाद

23 और 24 मई को सिया के प्रभारी सदस्य सचिव श्रीमन शुक्ला ने एक साथ 450 मामलों में पर्यावरणीय मंजूरी जारी कर दी। यह मंजूरियां डीम्ड अप्रूवल (Deemed Approval) प्रावधान के तहत दी गईं, जिसके अनुसार यदि 45 दिन के भीतर निर्णय नहीं होता तो स्वीकृति मान ली जाती है। 

पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत मोहन कोठारी की अनुमति से मंजूरियां जारी की गईं, लेकिन सिया के चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान इससे सहमत नहीं थे। उनका कहना है कि सिया की बैठक के बिना ऐसे अहम निर्णय अवैध माने जाने चाहिए।

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नियमों की अनदेखी है या जानबूझकर किया गया भ्रष्टाचार?

सिया के चेयरमैन ने आरोप लगाया कि प्रभारी सदस्य सचिव ने सिया की नियमित बैठकें बुलाए बिना ही इतने बड़े निर्णय ले लिए। इसके पूर्व, 22 मई को सिया की मूल सदस्य सचिव आर. उमामहेश्वरी मेडिकल लीव पर चली गई थीं।

सिया के चेयरमैन चौहान ने केंद्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर शिकायत की है कि सिया की सदस्य सचिव ने पिछले तीन महीनों से जानबूझकर सिया की बैठकें नहीं बुलाई, जबकि उन्होंने इसके लिए 10 नोटशीट और 22 पत्र भेजे थे।

पारदर्शिता की कमी

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के अनुसार, कुल 8 श्रेणियों के प्रोजेक्ट्स को पर्यावरणीय मंजूरी (Environmental Clearance) आवश्यक है। इनमें खासकर खनन, सिंचाई, सड़क-हाईवे जैसे बड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं। इन्हीं क्षेत्रों में अरबों की लागत होती है, और विशेषज्ञों का मानना है कि बिना अनौपचारिक भुगतान के मंजूरी मिलना संभव नहीं होता। thesootr किसी पर सीधा आरोप नहीं लगा रहा लेकिन इस तरह से बैठक के बिना 450 प्रोजेक्ट्स की मंजूरी संदेह उत्पन्न करती है।

विशेषज्ञों का क्या कहना है?

पर्यावरण कानून विशेषज्ञ ओमशंकर श्रीवास्तव के अनुसार, इस मामले में अंतिम निर्णय या तो केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय लेगा या फिर मामला न्यायिक हस्तक्षेप (Judicial Intervention) के जरिए सुलझेगा। उनका कहना है कि सभी मंजूरियां विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (SIEC) की सिफारिशों पर आधारित होनी चाहिए।

भ्रष्टाचार की टाइमलाइन                                     

  •  7 जनवरी 2025:  केंद्र सरकार ने SEIAA के गठन और संचालन के स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए।         
  •  9 जनवरी 2025:  मध्य प्रदेश सरकार ने सचिवालय व्यवस्था और सपोर्ट के आदेश जारी किए।                   
  •  मार्च-अप्रैल 2025: SEIAA में जानबूझकर बैठकें नहीं बुलाई गईं, फाइलें लंबित रखी गईं।                
  •  28 मार्च - 21 अप्रैल:एक भी बैठक आयोजित नहीं हुई, सैकड़ों फाइलें सचिव स्तर पर लंबित।            
  •   अप्रैल - मई 2025: सिर्फ तीन बैठकें हुईं, जबकि सैकड़ों फाइलें अकेले सदस्य सचिव ने अप्रूव कर दीं।     
  •   मई 2025: शिकायतें सामने आईं, घोटाले का खुलासा हुआ।                                      
  •   जून 2025: मामले की जांच और कार्रवाई की मांग तेज, रिपोर्ट शासन को सौंपी गई।   

आगे क्या होगा? 

यदि जांच में इन अधिकारियों के खिलाफ आरोप सही पाए जाते हैं, तो उनकी जिम्मेदारी तय की जा सकती है। साथ ही, इस मामले में केंद्र सरकार के पर्यावरण विभाग और मंत्रालय द्वारा उचित कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।

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