MP के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की जमीन यूपी में धोखे से बिकी!

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह की अम्बेडकरनगर, उत्तर प्रदेश में स्थित 0.152 हेक्टेयर जमीन धोखाधड़ी से बेच दी गई।

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Raj Singh
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उत्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह की जमीन बिना उनकी जानकारी के किसी और को बेच दी गई। यह मामला तब सामने आया जब केयरटेकर अनिल यादव ने देखा कि उस जमीन पर निर्माण कार्य किया जा रहा है।

अनिल यादव ने इस संदर्भ में जिलाधिकारी, उप-जिलाधिकारी और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। यह 0.152 हेक्टेयर (प्लॉट नंबर 1335K) की जमीन अलापुर तहसील के रामनगर महुवर गांव में स्थित है, जो दिग्विजय सिंह के नाम पर पंजीकृत है।

1989 में कैसे हो गई जमीन की बिक्री?

इस धोखाधड़ी का रहस्य यह है कि यह जमीन पहले दिग्विजय सिंह की मां अपर्णा देवी के नाम थी, जिनका 1986 में निधन हो गया था। उनकी मृत्यु के बाद, दिग्विजय सिंह ने उत्तराधिकार का दावा किया और 18 मई 2024 को जमीन उनके नाम पर पंजीकृत हो गई। हालांकि, 1989 में ही एक फर्जी विक्रेता ने खुद को दिग्विजय सिंह बताकर जमीन बेच दी थी। इस बिक्री में शामिल लोग थे:

  • राम हरिक चौहान (अलापुर तहसील, केवटली गांव निवासी)
  • सेवानिवृत्त अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जियालाल
  • रामनगर महुवर गांव के निवासी राजबहादुर और मंगली

जब खरीदारों के परिवार ने जमीन पर निर्माण कार्य शुरू किया, तब मामला प्रकाश में आया।

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अब भी दिग्विजय सिंह के नाम पर है जमीन

तहसील प्रशासन के अनुसार, जमीन अभी भी दिग्विजय सिंह के नाम पर पंजीकृत है। हालांकि, 1989 में किया गया बिक्री विलेख राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हुआ था, जिससे यह मामला और पेचीदा हो गया। दिग्विजय सिंह ने हाल ही में दाखिल खारिज प्रक्रिया के तहत जमीन अपने नाम ट्रांसफर करवाई, जो दर्शाता है कि यह कानूनी रूप से उनकी ही जमीन थी।

क्या प्रशासन की लापरवाही है जिम्मेदार?

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 1989 में जमीन बेची गई, जबकि 2024 में यह कानूनी रूप से दिग्विजय सिंह के नाम हुई। सवाल उठता है कि राजस्व रिकॉर्ड में गड़बड़ी थी या फिर यह एक संगठित धोखाधड़ी का मामला है?

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पुलिस जांच कर रही है कि

क्या केवल राम हरिक चौहान ही इसमें शामिल था? 
या फिर कोई प्रशासनिक अधिकारी भी इसमें संलिप्त था?
फर्जी दस्तावेज कैसे तैयार किए गए? 
किस तरह के भ्रष्टाचार ने इस धोखाधड़ी को संभव बनाया?

आगे क्या होगा?

फिलहाल, तहसील प्रशासन ने निर्माण कार्य रोक दिया है और भूमि रिकॉर्ड की दोबारा जांच शुरू कर दी है। दिग्विजय सिंह इस मामले में क्या कदम उठाते हैं, यह देखने वाली बात होगी।

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