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डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहे मध्य प्रदेश में अब राजस्थान मॉडल पर भर्ती होगी। इसके लिए अलग से बोर्ड बनेगा। मप्र में 2021 के बाद डॉक्टरों की भर्ती नहीं हुई है। जानकारी के अनुसार सरकारी चिकित्सकों के 4000 से ज्यादा पद खाली हैं। लगभग 47 प्रतिशत डॉक्टरों की अभी भी कमी है। ( MP facing shortage of doctors )
मप्र में राजस्थान मॉडल पर भर्ती की तैयारी
दरअसल प्रदेश के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी दूर नहीं हो पा रही है। इसके लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश के कम से कम 4 हजार से ज्यादा पदों को भरने के लिए अब डॉक्टर्स की नियुक्ति के लिए सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था बनाने की तैयारियां शुरू हुई हैं। इसके लिए तमिलनाडु और राजस्थान मॉडल का परीक्षण किया जा रहा है। राजस्थान में डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए अलग से बोर्ड है। अब मप्र में भी डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए बोर्ड बनाया जाएगा। ( MP Health Department )
मप्र में डॉक्टरों को हो रहा नुकसान
मप्र में डॉक्टरों को तकनीकी त्यागपत्र देने की व्यवस्था नहीं है। इससे उन्हें वर्तमान में जो वेतन मिल रहा है, उससे कम में ज्वाइन करना पड़ता है। यह सुविधा मिलने के बाद वे एक समान सैलरी पर ज्वाइन कर पाएंगे। मप्र में डॉक्टरों को छठवें वेतनमान के आधार पर एनपीए दिया जाता है, जबकि अन्य राज्यों में सातवें वेतनमान के आधार पर। यानी एक डॉक्टर को 10 से 15 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है। यहां तक कि प्रदेश में प्रमोशन की स्पष्ट पॉलिसी नहीं हैं।
2021 में हुई थी डॉक्टरों की भर्ती
बता दें, मप्र में इससे पहले 2021 में भर्तियां हुई थी। इसमें करीब 529 विशेषज्ञ डॉक्टरों की भर्ती की गई थीष हालांकि तब भी काफी पद खाली थे। माना जा रहा है कि अब कुल खाली पदों में से 25 फीसदी पर ही विशेषज्ञ डॉक्टरों की सीधी भर्ती की जा सकती है।