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बीआरटीएस (बस रेपिड ट्रांजिट सिस्टम) इंदौर हटना शुरू हो चुका है। हाईकोर्ट जबलपुर का औपचारिक फैसला आने के बाद शुक्रवार देर रात जीपीओ चौराहे से रेलिंग भी हटा दी गई। इस फैसले पर भाजपा गदगद है और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को इस अभूतपूर्व फैसले के लिए जमकर सराहा जा रहा है। लेकिन अब कांग्रेस की ओर से एक दावा किया गया है, जिसमें यह पहल कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के समय की बताई जा रही है, जब तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह थे।
'द सूत्र' से बोले जयवर्धन सिंह
कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह से 'द सूत्र' ने सीधी बात की। उन्होंने बताया कि जब मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, तब हमारे वचन पत्र में भी बीआरटीएस को हटाने का जिक्र था। इसी के तहत मई-जून 2019 में इस पर काम शुरू किया गया और दिल्ली में एक स्टडी कराई गई। इस अध्ययन के लिए सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRRI) के डॉ. एस. वेलमुरुगन को इंदौर और भोपाल के बीआरटीएस सर्वे के लिए बुलाया गया था।
इस अध्ययन का मकसद यह था कि कॉरिडोर को हटाने के बाद ट्रैफिक को और अधिक सुगम कैसे बनाया जा सकता है। विशेषज्ञों ने इस पर काम भी शुरू कर दिया था, लेकिन उनकी पूरी रिपोर्ट आने से पहले ही मार्च 2020 में कांग्रेस सरकार गिर गई। इसके बाद यह प्रक्रिया ठप हो गई, लेकिन कॉरिडोर हटाने का फैसला और इस पर काम कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ही शुरू हो चुका था।
कांग्रेस नेता बोले- शिवराज सरकार ने दबाया फैसला
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मोहन सरकार ने शिवराज सरकार के पाप का प्रायश्चित किया है। कांग्रेस सरकार इस पर काम कर चुकी थी, लेकिन शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री रहते हुए इस फैसले को दबा दिया और बीआरटीएस हटाने का काम नहीं किया। अब डॉ. मोहन यादव की सरकार ने इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए इसे हटाने का काम शुरू किया है।
सीएम मोहन यादव ने इंदौर में की थी घोषणा
उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 2024 में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इंदौर एयरपोर्ट पर अचानक घोषणा की थी कि बीआरटीएस को हटाया जाएगा और इसके लिए सरकार हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखेगी। उन्होंने कहा था कि इस कॉरिडोर को हटाकर भविष्य में ट्रैफिक सुगम बनाने के लिए चौराहों पर फ्लाईओवर का निर्माण किया जाएगा।
आई बसें चलती रहेंगी, पूरा कॉरिडोर हटने में अभी 6 माह लगेंगे
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि बीआरटीएस कॉरिडोर हटाने के लिए पूरा सर्वे किया जाएगा। फिलहाल जहां ट्रैफिक की अधिक समस्या है, वहां से रेलिंग हटाई जा रही है, जिसमें जीपीओ चौराहा, नवलखा और शिवाजी वाटिका क्षेत्र शामिल हैं।
वहीं, एआईसीटीएसएल (AICTSL) के सीईओ दिव्यांक सिंह ने कहा कि पूरी टेंडर प्रक्रिया होगी, जिसमें कॉरिडोर हटाने का काम चरणबद्ध तरीके से दिया जाएगा। इसे तीन-चार टुकड़ों में विभाजित कर अलग-अलग कंपनियों को देने की योजना है, ताकि एक साथ काम हो और जल्दी पूरा किया जा सके।
उन्होंने बताया कि टेंडर प्रक्रिया में ही एक माह लग सकता है। वहीं, दोनों ओर लेफ्ट साइड में आई बसें चलती रहेंगी। इसके लिए अस्थायी बस स्टॉप बनाए जाएंगे, जिन्हें बाद में स्थायी किया जाएगा। हालांकि, कॉरिडोर के अंदर से ट्रैफिक निकालने की अनुमति फिलहाल नहीं दी जाएगी। जब तक डिवाइडर बनाकर ट्रैफिक को व्यवस्थित नहीं किया जाता, तब तक यह प्रतिबंध जारी रहेगा, क्योंकि काम के दौरान सुरक्षा को लेकर खतरा बना रहेगा।
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