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मध्य प्रदेश सरकार पर वर्तमान में लगभग 3.75 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। सरकार इसे 'कर्ज सीमा के भीतर' बताती है, लेकिन विपक्ष इसे प्रदेश को कर्ज और आर्थिक संकट में धकेलने वाला कदम मानता है। इस विवाद ने और तूल पकड़ लिया है जब यह खुलासा हुआ कि बीते पांच वर्षों में सरकार ने 101 सरकारी संपत्तियां 1,110 करोड़ रुपए में बेची हैं।
पिछले पांच वर्षों में 101 संपत्तियां बेची गईं
विधानसभा में जौरा के कांग्रेस विधायक पंकज उपाध्याय के एक सवाल के जवाब में सरकार ने स्वीकार किया कि पिछले पांच वर्षों में 101 संपत्तियां बेची गई हैं। इन संपत्तियों की कुल बिक्री कीमत 1,110 करोड़ रुपए रही। इस जवाब ने सरकार के आर्थिक प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रदेश के बाहर की संपत्तियों का रिकॉर्ड नहीं
पंकज उपाध्याय ने यह भी पूछा कि मध्य प्रदेश सरकार के पास प्रदेश के बाहर कितनी संपत्तियां हैं। इसके जवाब में लोक परिसंपत्ति विभाग ने कहा कि उनके पास प्रदेश के बाहर की संपत्तियों का रिकॉर्ड दर्ज नहीं है। यह स्वीकारोक्ति विपक्ष को और आक्रामक बना रही है।
जानबूझकर छिपाई जा रही जानकारी: विपक्ष
कांग्रेस विधायक पंकज उपाध्याय ने सरकार पर संपत्तियों की जानकारी छिपाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, देश के हर बड़े शहर में मध्य प्रदेश की संपत्तियां हैं, लेकिन सरकार इसका रिकॉर्ड जनता के सामने नहीं ला रही। हो सकता है, ये संपत्तियां औने-पौने दामों पर बेची गई हों, या फिर इनका रिकॉर्ड वल्लभ भवन की आग में जला दिया गया हो।
मुरैना जिले की प्रमुख संपत्तियां बेची गईं
जानकारी के अनुसार बेची गई संपत्तियों में मुरैना जिले की प्रमुख सरकारी जमीनें शामिल हैं।
- पोरसा रोडवेज बस स्टैंड की जमीन: 16.11 करोड़ रुपए में बेची गई।
- मुरैना बस डिपो की जमीन: 67.35 करोड़ रुपए में बेची गई।
- तिलहन संघ प्रसंस्करण संयंत्र, जरेरुआ की जमीन: 2.49 करोड़ रुपए में बेची गई।
- इन बिक्री में औने-पौने दामों पर संपत्तियां बेचने का आरोप लगाया जा रहा है।
वल्लभ भवन की आग और रिकॉर्ड का सवाल
विधायक पंकज उपाध्याय ने आशंका जताई कि वल्लभ भवन में लगी आग में संपत्तियों का रिकॉर्ड नष्ट किया गया होगा। उन्होंने कहा, 101 संपत्तियां मात्र 1,100 करोड़ में बेच दी गईं। यह जनता के साथ धोखा है। कुछ संपत्तियां तो बाजार मूल्य से बेहद कम कीमत पर बेची गईं। कांग्रेस इस मुद्दे को जनता के सामने ले जाएगी।
सरकार का बचाव: कर्ज सीमा के भीतर
विपक्ष के आरोपों पर सरकार का कहना है कि कर्ज़ राज्य की सीमा के भीतर है। सरकारी अधिकारियों का दावा है कि इन संपत्तियों की बिक्री और कर्ज का उपयोग राज्य के विकास और कल्याणकारी योजनाओं के लिए किया जा रहा है।
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