मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने मंगलवार 17 दिसंबर को राज्य सरकार को कड़े निर्देश दिए हैं कि वह हाई स्कूल शिक्षक भर्ती नियमों में तत्काल संशोधन कर दो दिन के अंदर कोर्ट को सूचित करें। न्यायालय ने यह निर्देश NCTE (नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन) के नियमों के उल्लंघन और शिक्षकों की नियुक्ति में भेदभाव के चलते दिया है।
योग्यता में छूट देने का नियम भी हो संशोधित
कोर्ट ने कहा कि नियमों में द्वितीय श्रेणी के अंकपत्र को NCTE के मानकों के अनुसार संशोधित किया जाए। साथ ही, एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को आरक्षण अधिनियम की धारा 4-A के तहत योग्यता में छूट देने का नियम भी संशोधित किया जाए। यह आदेश याचिका कर्ताओं के पक्ष में दिया गया, जिन्होंने यह आरोप लगाया कि उन्हें उनके अंकसूची में तृतीय श्रेणी अंक होने के कारण नियुक्ति नहीं दी गई, जबकि उन जैसे अन्य अभ्यर्थियों को द्वितीय श्रेणी अंक के बावजूद नियुक्ति दी गई।
कोर्ट की नाराजगी और निर्देश
कोर्ट ने यह भी कहा कि 50% से कम अंक प्राप्त करने वाले 448 अभ्यर्थियों को या तो बाहर किया जाए या याचिकाकर्ताओं को नियुक्ति दी जाए। न्यायालय ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार को कई अवसर दिए, लेकिन 13 दिसम्बर 2024 को प्रस्तुत जानकारी अपर्याप्त पाई गई।
न्यायालय ने राज्य शासन से यह भी पूछा कि क्या रिक्त पदों पर याचिका कर्ताओं की नियुक्ति की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसा नहीं किया जाता, तो 50% से कम अंक वाले समस्त शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त कर दी जाएगी और पुनः संशोधित नियमों के तहत काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
प्रकरण की अगली सुनवाई
इस मामले की अगली सुनवाई 19 दिसम्बर 2024 को होगी। याचिका कर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, वृन्दावन तिवारी, अमित खत्री, पुष्पेंद्र शाह और रामभजन लोधी ने पैरवी की। यह मामला मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग और जनजाति कार्य विभाग द्वारा 2021 से 2024 तक NCTE के नियमों के खिलाफ लगभग 18,000 से अधिक हाई स्कूल शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा है।
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