आपने ऐसे मामले तो खूब पढ़े और सुने होंगे कि किसी के नाम का फर्जी वेतन निकाल लिया गया। किसी के नाम से गबन किया गया, लेकिन ये मामला थोड़ा हटकर है। जी हां, मध्यप्रदेश में एक अजब-गजब मामला सामने आया है। सूबे में करीब 50 हजार कर्मचारी ऐसे मिले हैं, जो सरकारी रिकॉर्ड में तो दर्ज हैं, लेकिन ट्रेजरी से उनका वेतन नहीं निकल रहा था। अब इस मामले की जांच की जा रही है। जिला स्तर पर भी टीमों को काम में जुटाया गया है। इसे लेकर मीडिया में अलग अलग खबरें चल रही हैं। इसे लेकर द सूत्र ने जिम्मेदारी अधिकारियों से बात की। पूरा मामला समझा है।
आखिर माजरा क्या है?
ये पूरा मामला तब सामने आया, जब ट्रेजरी व अकाउंट्स विभाग के कमिश्नर भास्कर लक्षकार ने राज्यभर में ऑडिट की शुरुआत की। उन्होंने सघन जांच कराई तो पता चला कि हजारों कर्मचारी ऐसे हैं, जिनकी सैलरी सरकारी खजाने से निकली ही नहीं, लेकिन ये कर्मचारी अभी भी सरकारी रिकॉर्ड में हैं। यानी नाम, पद, कर्मचारी कोड आदि सब कुछ सिस्टम में चालू है। कमिश्नर लक्षकार ने इस पर और गहराई से जांच की तो पाया कि ये सिलसिला लंबे समय से चल रहा है।
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अब क्या कर रही है सरकार?
इस मामले को गंभीर मानते हुए कमिश्नर ने सभी जिलों के DDO यानी Drawing & Disbursing Officers को पत्र लिखा है। उनसे 15 दिन के भीतर जवाब मांगा गया है कि उनके दफ्तरों में कोई ऐसा कर्मचारी तो नहीं, जो रिकॉर्ड में है लेकिन काम पर नहीं। इसके अलावा सभी DDO को सर्टिफिकेट भी देना होगा कि उनके यहां कोई अनधिकृत कर्मचारी काम नहीं कर रहा।
कैसे हुआ खुलासा?
कमिश्नर भास्कर लक्षकार ने 'द सूत्र' से बातचीत में कहा कि यह गड़बड़ी इसलिए सामने आई, क्योंकि पहले का सिस्टम ऑफलाइन था, जिससे ट्रैकिंग करना मुश्किल होता था। अब नया IFMIS सिस्टम (Integrated Financial Management Information System) लागू हुआ है, जिससे डेटा ज्यादा पारदर्शी हो गया है। इस सिस्टम से यह पता चला कि कई कर्मचारियों की सैलरी दिसंबर 2024 से नहीं निकली है, लेकिन फिर भी उनके नाम सिस्टम में चालू हैं। इनमें से कुछ कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, कुछ का निधन हो गया, कुछ दूसरे विभागों में ट्रांसफर या मर्ज हो गए, लेकिन उनके Exit का प्रोसेस IFMIS में पूरा नहीं हुआ, यानी उनके रिटायरमेंट या मृत्यु की जानकारी सिस्टम में डाली ही नहीं गई। यह कोई घोटाला नहीं है, जांच की सतत प्रक्रिया है।
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कांग्रेस ने उठाए सवाल
अब इस पर सवाल भी उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि कहीं ये फर्जीवाड़ा तो नहीं? क्या कुछ लोग सिस्टम में बने रहकर किसी और लाभ का फायदा तो नहीं उठा रहे या फिर सिस्टम की गड़बड़ी है? कांग्रेस ने इस संबंध में सरकार पर हमला बोला है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा, प्रदेश में 50 हजार कर्मचारी 'गुम' हो गए हैं। करीब 250 करोड़ रुपए का उनका वेतन निकाला नहीं गया है। सरकार ने इसके लिए जांच समिति बनाकर कर्मचारियों को तलाशने को कहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस प्रदेश में 4 लाख 50 हजार कर्मचारी हैं, उनमें से 50 हजार को तलाशना पड़े तो ये कितनी बड़ी आर्थिक और प्रशासनिक अराजकता है।विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा, मध्यप्रदेश में भूत भी सरकारी कर्मचारी!
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