सॉल्वर बैठाकर पास की परीक्षा, अदालत ने आरक्षक को सुनाई 7-7 साल की सजा

एसटीएफ कोर्ट ने मध्‍य प्रदेश पुलिस में तैनात आरक्षक को 14 साल की सजा सुनाई है। साथ ही अर्थदंड भी लगाया है, दोषी आरक्षक ने फर्जीवाड़ा कर पुलिस की नौकरी हासिल की थी। जानें पूरा मामला

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Vikram Jain
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MP Gwalior STF court punished constable who committed exam fraud
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BHOPAL. व्यापमं एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। व्यापमं फर्जीवाड़ा के एक मामले में ग्वालियर एसटीएफ कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। एसटीएफ कोर्ट ने पुलिस भर्ती परीक्षा में सॉल्वर बैठाकर एग्जाम पास करने वाले आरक्षक को दोषी पाते हुए दो मामलों में 7-7 साल की सजा सुनाई है। साथ ही उस पर 20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। मामले में बड़ी बात यह है कि पुलिस कॉन्स्टेबल 11 साल की नौकरी कर चुका था। इस मामले में कॉन्स्टेबल के फर्जी होने की शिकायत उसके ही दूर के रिश्तेदार ने की थी।

न्यायालय का कड़ा संदेश

एसटीएफ कोर्ट के जज नीति राज सिंह सिसौदिया ने 4 माह की सुनवाई के बाद मामले में सजा सुनाई है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अयोग्य एवं बेईमान अभ्यर्थी के लोक सेवक के रूप में चयन से दुष्परिणामों की कल्पना भी नहीं की जा सकती। और इस तरह के अपराधों पर दया नहीं दिखाई जा सकती। अपराधों की पुनरावृत्ति रोकने और व्यवस्था पर लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए दंड देना जरूरी है। ऐसे अपराध से पूरा समाज और युवा वर्ग पर प्रभाव पड़ा है।

जानें पूरा मामला

दरअसल, पूरा मामला 2013 में व्यापमं द्वारा आयोजित आरक्षक भर्ती परीक्षा से जुड़ा हुआ है। इंदौर के विजय नगर थाने में पदस्थ आरक्षक धर्मेंद्र शर्मा के खिलाफ 2022 में STF भोपाल में शिकायत हुई थी, मुरैना निवासी आरक्षक धर्मेंद्र शर्मा के खिलाफ शिकायत उसके ही दूर के रिश्तेदार ने एसटीएफ से की थी। इसके बाद एसटीएफ ने आरोपी आरक्षक के खिलाफ केस दर्ज करते हुए जांच शुरू की थी। 

आरोपी आरक्षक ने दो बार अप्रैल 2013 और सितंबर 2013 में पेपर हल करने के लिए सॉल्वर बिठाकर परीक्षा दी। अप्रैल के एग्जाम में वह असफल रहा, लेकिन सितंबर के एग्जाम में पास होकर वह आरक्षक बन गया। लिस्ट में आते ही वह आरक्षक की नौकरी पर पहुंच गया। मामले में रिश्तेदार की शिकायत के बाद एसटीएफ में जांच की थी। 

एसटीएफ कोर्ट ने सुनाया फैसला

एसटीएफ की जांच और सुनवाई के बाद एसटीएफ कोर्ट के जज नीति राज सिसोदिया ने सभी सबूतों और गवाहों के आधार फैसला सुनाया है। कोर्ट ने फर्जीवाड़ा कर पुलिस की नौकरी पाने वाले आरोपी धर्मेंद्र शर्मा को दोषी करार देते हुए 2 मामलों में 7-7 साल की सजा सुनाई है। साथ ही 20 हजार रूपए का अर्थदंड लगाया है।

सॉल्वर की नहीं हो सकी पहचान 

बताया जा रहा है कि 2013 में हुई परीक्षा में सॉल्वर बिठाने की डील धर्मेंद्र शर्मा के ताऊ ने की थी। एग्जाम में पास होने के बाद वह नौकरी करने लगा। 2022 में मामले में शिकायत के बाद एसटीएफ ने जांच शुरू हुई, तब तक ताऊ की मौत हो चुकी थी। इस कारण सॉल्वर कौन था, यह पता नहीं चल सका। फिलहाल, एसटीएफ सॉल्वर तक नहीं पहुंच सकी है।

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