भ्रष्ट अधिकारियों पर हाईकोर्ट का बड़ा कदम, फुल बेंच को भेजा मामला

हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामलों में अभियोजन स्वीकृति को लेकर अहम फैसला सुनाया है। अभियोजन स्वीकृति न मिलने से भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ चालान पेश नहीं हो पाते। ग्वालियर क्षेत्र में 60 से अधिक मामले अभियोजन स्वीकृति के अभाव में अटके हुए हैं।  

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Sourabh Bhatnagar
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MP High Court : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भ्रष्ट अधिकारियों की जांच और अभियोजन स्वीकृति के मामले में अहम फैसला सुनाते हुए इसे फुल बेंच को भेजा है। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन स्वीकृति में देरी से भ्रष्टाचार के मामलों में न्याय प्रक्रिया बाधित हो रही है। लोकायुक्त अधिनियम 1981 के तहत भ्रष्टाचार की जांच के लिए स्वीकृति का अभाव इस कानून के मूल उद्देश्य को कमजोर करता है।

भ्रष्टाचार रोकने के लिए लोकायुक्त की भूमिका

हाईकोर्ट की युगल पीठ ने कहा कि लोकायुक्त और विशेष स्थापना पुलिस को भ्रष्टाचार की जांच में स्वतंत्र निकाय के रूप में काम करना चाहिए। यदि अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी जाती है, तो लोकायुक्त की भूमिका निष्क्रिय हो जाती है।

इसलिए कोर्ट हुआ नाराज

विशेष स्थापना पुलिस ने 2020 में छह याचिकाएं दायर की थीं, जिनमें अभियोजन स्वीकृति को खारिज करने के फैसले को चुनौती दी गई थी। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा अभियोजन की मंजूरी न दिए जाने के कारण भ्रष्टाचार के मामलों की जांच आगे नहीं बढ़ पाई। 

हाईकोर्ट ने इस मामले में तीन मुख्य बिंदुओं पर निर्णय लेने के लिए इसे फुल बेंच को भेजा

  • क्या विशेष स्थापना पुलिस अभियोजन स्वीकृति को चुनौती दे सकती है?
  • क्या विशेष स्थापना पुलिस की भूमिका केवल जांच तक सीमित है?
  • क्या लोकायुक्त अधिनियम और विशेष स्थापना अधिनियम को संयुक्त रूप से देखा जा सकता है?

भ्रष्ट अधिकारियों को मिली ढाल

दरअसल अभियोजन स्वीकृति न मिलने से भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ चालान पेश नहीं हो पाते। ग्वालियर क्षेत्र में 60 से अधिक मामले अभियोजन स्वीकृति के अभाव में अटके हुए हैं। ऐसे अधिकारी अपनी नौकरी जारी रखते हैं और सेवानिवृत्त हो जाते हैं।

हाईकोर्ट का निर्देश

हाईकोर्ट ने यह मामला चीफ जस्टिस के पास भेजा है और स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार के मामलों में अभियोजन स्वीकृति को लेकर कोई भी लापरवाही न्याय प्रक्रिया को कमजोर करती है।

FAQ

हाईकोर्ट ने अभियोजन स्वीकृति के मामले में क्या फैसला दिया?
हाईकोर्ट ने इस मामले को तीन बिंदुओं पर विचार के लिए फुल बेंच को भेजा है।
लोकायुक्त की भूमिका क्या है?
लोकायुक्त भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करता है और निष्पक्ष कार्रवाई सुनिश्चित करता है।
अभियोजन स्वीकृति का अभाव क्या प्रभाव डालता है?
अभियोजन स्वीकृति के बिना भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हो पाती और वे नौकरी जारी रखते हैं।
कितने मामले अभियोजन स्वीकृति के लिए लंबित हैं?
ग्वालियर क्षेत्र में 60 से अधिक मामले अभियोजन स्वीकृति के अभाव में लंबित हैं।
क्या अभियोजन स्वीकृति को चुनौती दी जा सकती है?
इस पर निर्णय के लिए मामला फुल बेंच को भेजा गया है।

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