एमपी हाईकोर्ट की जबलपुर खंडपीठ ने केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) द्वारा आरटीआई जानकारी देने से इंकार करने को गलत बताया है। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा कि CIC का आदेश गलत लोगों को बचाने का प्रयास है और इससे आरोग्य को बढ़ावा मिलता है। कोर्ट ने आयोग के आदेश को रद्द कर दिया और इसे न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ करार दिया।
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CIC पर लगा 25 हजार का जुर्माना
हाईकोर्ट ने CIC को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि सूचना छिपाने की प्रवृत्ति बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कोर्ट ने आदेश में केंद्रीय सूचना आयोग पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना आरटीआई कानून के उल्लंघन और पारदर्शिता के सिद्धांतों के खिलाफ काम करने के लिए लगाया गया है।
15 दिन में याचिकाकर्ता को दें पूरी जानकारी
हाईकोर्ट ने मामले में याचिकाकर्ता जयश्री दुबे के पक्ष में फैसला सुनाते हुए आदेश दिया कि उन्हें 15 दिनों के भीतर मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराई जाए। कोर्ट ने कहा कि सूचना देने से मना करना गलत और असंवैधानिक है, और यह सूचना के अधिकार के मूल उद्देश्य के खिलाफ है।
फॉरेस्ट इंस्टीट्यूट से जुड़ा था नियुक्तियों का मामला
यह मामला भोपाल स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट से जुड़ा हुआ था। याचिकाकर्ता जयश्री दुबे इस संस्था में कार्यरत हैं और उन्होंने प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर पद की नियुक्तियों को लेकर जानकारी मांगी थी। केंद्रीय सूचना आयोग ने उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया था, जिसके बाद वे हाईकोर्ट पहुंचीं।
हाईकोर्ट ने CIC को दी चेतावनी
कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता को सूचना देने से रोकना अनुचित था। न्यायालय ने सूचना आयोग को चेतावनी दी कि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना उसकी जिम्मेदारी है। कोर्ट के इस फैसले को सूचना के अधिकार की रक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों की पुनर्स्थापना के रूप में देखा जा रहा है।
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