नाराज जस्टिस बोले- हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट से भी ऊपर हो गए हैं जल संसाधन विभाग के अधिकारी

कर्मचारी को निर्धारित पे स्केल का लाभ देने के मामले में विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर मध्‍य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने गंभीर नाराजगी जताई। कोर्ट ने मामले में 31 अगस्त को विभाग के चीफ इंजीनियर को जवाब तलब किया।

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Vikram Jain
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MP High Court Gwalior
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ग्वालियर हाईकोर्ट ने वेतन से जुड़े मामले में जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई है। साल 2021 से लंबित श्रीपतिलाल जाटव की पे स्केल को लेकर याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस विशाल मिश्रा ने अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर जमकर नाराजगी जताई। पूरा मामला निर्धारित पे स्केल का लाभ देने से जुड़ा है।

विभाग की कार्यप्रणाली पर जताई नाराजगी

मामले में सुनवाई करते हए जस्टिस विशाल मिश्रा ने कहा कि पे स्केल को लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट आदेश कर रहे हैं, लेकिन जल संसाधन विभाग के अधिकारी हाईकोर्ट- सुप्रीम कोर्ट से भी ऊपर हो गए हैं। शासन की एसएलपी खारिज हो चुकी है। इसके बावजूद चीफ इंजीनियर कोर्ट के आदेश को एक लाइन में लिखकर निरस्त कर रहे हैं। कोर्ट ने मामले में 31 अगस्त को चीफ इंजीनियर और जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री डीएस रत्नाकर को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया है।

कार्यपालन यंत्री से कोर्ट ने किए सवाल

पे स्केल के मामले में बुधवार को सुनवाई के दौरान कार्यपालन यंत्री डीएस रत्नाकर पेश हुए। जस्टिस विशाल मिश्रा ने कार्यपालन यंत्री (executive engineer) से मामले में सवाल किया कि कर्मचारी को क्यों लाभ नहीं दिया, इस पर EE ने कहा कि सर यह कर्मचारी जौरा डिवीजन से सेवानिवृत्त हुआ है, पूरा मामला 2021 का है।

कोर्ट में जवाब को लेकर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि आप जो भी कह रहे हैं, बिल्कुल सोच समझकर बोलिएगा, आपने ही जवाब तैयार कराया हैं तो इतना सतही जवाब क्यों दिया गया है?

कोर्ट को होशियारी मत दिखाइए

इस पर EE ने कहा कि मेरे से गलती हुई है। मैं फिर जवाब पेश कर दूंगा, इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि कोर्ट तय करेगा आपको क्या करना है। तथ्य को लेकर जस्टिस मिश्रा ने फटकार लगाते हुए कहा कि आप केस के प्रभारी अधिकारी है, ​कोर्ट से होशियारी मत दिखाइए। आपको सारे तथ्य पता होने चाहिए। अगर आप कोर्ट को बताने में सक्षम नहीं हैं तो आपके चीफ इंजीनियर को कोर्ट बुलाऊंगा। 

क्या है पूरा मामला

दरअसल, कर्मचारी श्रीपतिलाल जाटव जल संसाधन विभाग में 1986 में टाईमकीपर के पद पर भर्ती हुए थे। कुछ समय पहले अदालत ने एएल ठाकुर के केस में आदेश दिया कि टाईमकीपर को भी अमीन की तरह ही पे स्केल का लाभ मिलना चाहिए। इस आदेश के खिलाफ शासन ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी, जिसे पहली ही सुनवाई में कर दिया गया। कोर्ट के आदेश के बाद भी विभाग ने कर्मचारी को लाभ नहीं दिया। इसी को लेकर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई। मामले में कार्यपालन यंत्री डीएस रत्नाकर प्रभारी अधिकारी के रूप में आए थे। वे कोर्ट को ये समझा नहीं पाए कि कर्मचारी को निर्धारित पे स्केल का लाभ क्यों नहीं दिया गया?

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