ग्वालियर नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर हाईकोर्ट ने बेहद सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि ग्वालियर शहर में कुत्तों के हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, और छोटे बच्चे इन हमलों के शिकार हो रहे हैं। यह स्थिति न केवल बच्चों के लिए भयावह है, बल्कि शहर की सुरक्षा को भी खतरे में डाल रही है। इसके बावजूद, ग्वालियर नगर निगम और मध्य प्रदेश शासन इन गंभीर समस्याओं पर चुप्पी साधे हुए हैं, जो नागरिकों के लिए बड़े सवाल खड़े करती है।
नगर निगम और प्रतिनियुक्ति पर HC सख्त
कोर्ट ने नगर निगम से यह भी पूछा कि कितने अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे हैं और वे किस आधार पर नियुक्त किए गए हैं। यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि ग्वालियर नगर निगम के पास कुत्तों की नसबंदी, वायु प्रदूषण को कम करने के लिए योजना, और शहर की स्वच्छता की जिम्मेदारी है। लेकिन इन मुद्दों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है, और यह नागरिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुका है।
पशुपालन विभाग के डॉ. अनुज शर्मा मामले से खुला विवाद
यह मामला डॉ. अनुराधा गुप्ता द्वारा दायर याचिका से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने पशुपालन विभाग के डॉ. अनुज शर्मा की स्वास्थ्य अधिकारी के रूप में नियुक्ति पर सवाल उठाए। याचिका में कहा गया कि यह पद केवल एमबीबीएस डॉक्टर के लिए है, लेकिन डॉ. शर्मा को विधि विरुद्ध तरीके से इस पद पर नियुक्त किया गया था। कोर्ट ने मप्र शासन द्वारा दी गई जानकारी को भी असंतोषजनक पाया, और इस मामले में सख्त कार्रवाई की।
निगम में अफसरों की प्रतिनियुक्ति पर नाराजगी
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने ग्वालियर नगर निगम के वर्तमान कमिश्नर पर भी सवाल उठाया, जो खुद प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं, और कहा कि इससे पहले भी कई अधिकारी नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे थे। कोर्ट ने यह भी कहा कि ग्वालियर में आए दिन कुत्तों के हमलों से बच्चों की दर्दनाक तस्वीरें समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रही हैं, लेकिन नगर निगम और शासन इन मुद्दों पर कोई गंभीर कदम नहीं उठा रहे हैं।
कोर्ट का आदेश और टिप्पणी
हाईकोर्ट ने नगर निगम को आदेश दिया कि 9 अप्रैल से पहले वे अपने जवाब पेश करें और प्रतिनियुक्ति के अधिकारियों की पूरी सूची प्रस्तुत करें। कोर्ट ने नगर निगम की शब्दों की बाजीगरी पर भी तल्ख टिप्पणी की और कहा कि निगम ने कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की है, जिसे कोर्ट ने पूरी तरह नकार दिया।
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यह है पूरा मामला
डॉ. अनुराधा गुप्ता ने डॉ. अनुज शर्मा की नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उनका कहना था कि इस पद पर एमबीबीएस डॉक्टर की नियुक्ति हो सकती है, लेकिन इसे गलत तरीके से पशु चिकित्सक के रूप में नियुक्त किया गया था। कोर्ट ने इस मामले में सख्त कार्रवाई की और डॉ. शर्मा को उनके पद से रिलीव कर दिया।
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