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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर में डिवीजन बेंच में विजय शाह मामले की तीसरी बार सुनवाई आज 16 मई को तय थी, लेकिन यह सुनवाई एक बार फिर टल गई। हाईकोर्ट के सीनियर जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा मनोहर की डबल बेंच पीठ आज नहीं बैठी। जिससे यह मामला फिर लंबित हो गया है। उधर यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लिस्टेड है।
हाईकोर्ट में सुनवाई स्थगित होने के साथ ही अब इस मामले की अगली कड़ी सुप्रीम कोर्ट में जुड़ी है, जहां मामले की सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट में विजय शाह ने हाईकोर्ट के एफआईआर दर्ज करने के आदेश को चुनौती दी है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि शीर्ष अदालत इस मामले में क्या रुख अपनाती है।
पहले हाईकोर्ट लगा चुका फटकार
हाईकोर्ट में जस्टिस अतुल श्रीधर और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की डिविजनल बेंच ने इस एफआईआर को लेकर राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई थी। अदालत ने कहा था कि प्राथमिकी इस तरह से तैयार की गई है, जिससे आरोपी को ही लाभ होगा। एफआईआर में अपराध की कोई स्पष्ट व्याख्या नहीं की गई, न ही यह बताया गया कि किन धाराओं में और किस कृत्य के आधार पर मामला दर्ज हुआ है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि एफआईआर का पैरा-12 सिर्फ हाईकोर्ट के आदेश की ‘कॉपी-पेस्ट’ नकल है। “अगर सिर्फ आदेश ही लिखना था, तो पूरी एफआईआर उसी की फोटोकॉपी बना दी जाती,” अदालत ने तल्ख टिप्पणी की थी इसके साथ ही हाई कोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि अब इस मामले की जांच की निगरानी हाईकोर्ट करेगा और इसकी अगली सुनवाई आज शुक्रवार 16 मई को तय की गई थी जो डिविजनल बेंच उपलब्ध न होने के लिए कारण टल गई है।
सुप्रीम कोर्ट में जया ठाकुर ने खोला मोर्चा
मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस नेता डॉ. जया ठाकुर ने मोर्चा खोल दिया है। डॉ. ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट अर्जी दायर की है, जिसमें उन्होंने अनुरोध किया है कि भाजपा नेता विजय शाह की किसी भी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कोई भी आदेश सुनाए, उससे पहले उनका पक्ष अवश्य सुना जाए। यह कैविएट सुप्रीम कोर्ट की प्रक्रिया में एक अहम कदम होता है, जिससे संबंधित पक्ष बिना सुने निर्णय न हो सके।
कौन हैं जया ठाकुर
डॉ. जया ठाकुर पेशे से डॉक्टर और कांग्रेस की सक्रिय नेत्री हैं, जो सागर जिले के बांदा क्षेत्र की निवासी हैं और पूर्व में भी कई जनहित याचिकाओं के माध्यम से चर्चाओं में रह चुकी हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले चुनावी बांड को रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे एडीआर और सीपीआई (एम) के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित किया था।
इस बार भी उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर पैरवी करेंगे। विजय शाह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार 16 मई को सुनवाई प्रस्तावित है, जिससे पहले यह कैविएट और वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर का तर्क भी सुना जाएगा। इसमें जया ठाकुर की ओर से दिया जाने वाला पक्ष मंत्री विजय शाह के लिए मुसीबतें खड़ी कर सकता है।
सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन कहने पर विवाद
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब विजय शाह ने महू में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ऑपरेशन सिंदूर में शामिल रहीं कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन कह डाला। उनके इस बयान के बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। केस दर्ज होने के बाद मामला SC पहुंचा। जस्टिस सूर्यकांत और एनके सिंह की पीठ ने कहा जवाबदेह रहिए।
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विजय शाह ने दी SC में चुनौती
इस आदेश को चुनौती देने विजय शाह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, जहां उन्होंने गुरुवार को तत्काल सुनवाई की मांग की थी। मगर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि आप जिम्मेदार पद पर हैं, आपको जिम्मेदारी के साथ बयान देना चाहिए। आप हाईकोर्ट क्यों नहीं गए? हालात की गंभीरता को देखिए।
बयान पर माफी भी मांग चुके हैं मंत्री विजय शाह
विवाद गहराने के बाद विजय शाह ने अपने बयान पर माफी भी मांग ली थी। उन्होंने कहा था कि मैं सपने में भी कर्नल सोफिया के बारे में गलत नहीं सोच सकता। उन्होंने जाति और धर्म से ऊपर उठकर देश की सेवा की है। मैं उन्हें सलाम करता हूं। अगर जोश में मुझसे कोई गलती हुई हो, तो मैं माफी चाहता हूं।
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