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MP News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने ड्यूटी पर शराब की गंध आने पर एक गार्ड को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के फैसले को उचित माना। यह मामला वर्ष 2007 का है। ग्वालियर में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के एक जज के सरकारी बंगले पर ड्यूटी कर रहे गार्ड को सोता पाया गया। जब गार्ड की मेडिकल जांच कराई गई, तो उसकी सांस में शराब की गंध पाई गई। हालांकि रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि वह नशे में नहीं था। गार्ड ने दावा किया कि उसने कफ सिरप पी थी, जिससे सांस में बदबू आ सकती है।
कोर्ट का निर्णय
जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकल पीठ ने कहा कि किसी व्यक्ति की सांस में शराब की गंध मिलना अपने आप में इस बात का प्रमाण है कि उसने शराब पी थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि शराब का असर धीरे-धीरे कम होता है और व्यक्ति होश में आना शुरू कर सकता है, लेकिन गंध की उपस्थिति शराब पीने का पुख्ता संकेत है। यह हो सकता है कि गार्ड ने शराब तीन-चार घंटे पी हो, इसलिए जांच के समय उसका असर कम हो गया था। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि डॉक्टर की रिपोर्ट में शराब की गंध का उल्लेख किया गया था, लेकिन इस पर याचिकाकर्ता की ओर से कोई सवाल नहीं उठाया गया। अतः यह निष्कर्ष बिना चुनौती के सही माना गया।
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गंभीर कदाचार की श्रेणी में आता है मामला
कोर्ट ने निर्णय में कहा कि एक गार्ड, जिसकी ड्यूटी सुरक्षा सुनिश्चित करना होती है, अगर शराब पीकर ड्यूटी करता है तो यह एक गंभीर कदाचार है। इसलिए उस पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सजा दी गई, जो कोर्ट के अनुसार उचित थी। रक्षा करने के लिए रखे गए व्यक्ति का शराब पीना बहुत बड़ी गलती है। गार्ड की तरफ से याचिका वकील प्रशांत शर्मा ने दायर की थी। जबकि राज्य की तरफ से वकील शैलेंद्र सिंह कुशवाह ने की थी।
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