छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने बिलासपुर के रतनपुर स्थित महामाया मंदिर परिसर के कुंड में कछुओं की मौत को लेकर DFO को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि DFO कौन हैं, कितना पढ़े हैं, IFS रैंक के अफसर हैं, उन्हें यह नहीं मालूम कि किस अपराध में क्या मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए।
दरअसल, हाईकोर्ट ने इस केस में गलत FIR दर्ज करने पर नाराजगी जताई। साथ ही मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष को अग्रिम जमानत देने का आदेश दिया। 24 मार्च को महामाया मंदिर परिसर स्थित कुंड में 23 कछुओं की मौत हो गई थी। दरअसल, महामाया मंदिर ट्रस्ट परिसर स्थित में कुंड में 23 कछुओं की मौत हो गई थी, जिस पर वन विभाग ने वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 9 के तहत मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष और पुजारी सतीश शर्मा को आरोपी बनाया है।
साथ ही मामले में दो लोगों की गिरफ्तारी भी की है। वहीं, वन विभाग की टीम सतीश शर्मा की तलाश कर रही है। इस पर सतीश शर्मा ने अपने वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है। इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वन विभाग से डायरी की मंगाई थी। साथ ही मामले में DFO को शपथपत्र प्रस्तुत करने कहा था।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने महामाया मंदिर परिसर में कछुओं की मौत के मामले में DFO को क्यों फटकार लगाई?
हाईकोर्ट ने DFO को इसलिए फटकार लगाई क्योंकि उन्होंने गलत धारा के तहत FIR दर्ज की थी और यह भी स्पष्ट नहीं कर पाए कि किस अपराध में कौन-सी धारा लगनी चाहिए। कोर्ट ने सवाल उठाया कि IFS अधिकारी होने के बावजूद उन्हें इतनी सामान्य बात की जानकारी क्यों नहीं है।
महामाया मंदिर परिसर में कितने कछुओं की मौत हुई और कब?
महामाया मंदिर परिसर के कुंड में 23 कछुओं की मौत 24 मार्च को हुई थी।
इस मामले में हाईकोर्ट ने मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सतीश शर्मा के लिए क्या निर्णय लिया?
हाईकोर्ट ने मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सतीश शर्मा को अग्रिम जमानत देने का आदेश दिया, क्योंकि उनके खिलाफ वन विभाग द्वारा दर्ज की गई FIR पर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी।
Bilaspur High Court | Bilaspur High Court big decision | Bilaspur High Court new order | bilaspur high court decision | छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला | छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के निर्देश