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BHOPAL.मध्यप्रदेश के IAS अधिकारियों में पेंशन योजना को लेकर मतभेद सामने आए हैं। राज्य सरकार ने इन अधिकारियों के लिए पेंशन योजना का चुनाव 30 नवंबर 2025 तक करने का समय दिया है। अब तक, 256 अधिकारियों ने NPS अपनाया है। वहीं, 103 अधिकारियों ने OPS को चुना है। जो अधिकारी समय पर योजना का चुनाव नहीं करेंगे, उन्हें स्वतः NPS में शामिल कर लिया जाएगा।
पेंशन योजना का विकल्प: NPS या OPS?
वर्तमान में, पेंशन योजना के चुनाव में IAS अधिकारियों के बीच दो अहम विकल्प हैं- NPS और OPS। NPS में सरकार और कर्मचारी दोनों योगदान देते हैं। वहीं, OPS में पेंशन का एक निश्चित हिस्सा अंतिम वेतन पर आधारित होता है। इस विकल्प पर अधिकारियों के अलग-अलग नजरिए हैं। यह उनके सेवा अनुभव और भविष्य की योजनाओं पर निर्भर करता है।
क्या कहते हैं पेंशन विशेषज्ञ?
पेंशन योजनाओं के विशेषज्ञ स्पेशल डीजी अनिल कुमार का मानना है कि OPS हर लिहाज से ज्यादा सुरक्षित और फायदेमंद है। उनके मुताबिक, OPS में अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में तय किया जाता है। साथ ही, अधिकारी की मृत्यु के बाद 30% पेंशन राशि उनके आश्रितों (पति या पत्नी) को दी जाती है। वहीं, NPS में पेंशन की राशि निवेश के आधार पर बढ़ती-घटती रहती है।
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कौन से अधिकारी क्यों चुन रहे हैं NPS और OPS?
IAS अधिकारियों के लिए NPS और OPS का चयन अलग-अलग कारणों से हो रहा है-
33 साल से कम सेवा वाले और 75 वर्ष से अधिक उम्र तक जीवित रहने का अनुमान रखने वाले अधिकारियों ने OPS चुना।
वहीं, जिनकी सेवा 33 साल से अधिक है, उन्होंने NPS को प्राथमिकता दी।
अखिल भारतीय सेवा में पति-पत्नी दोनों IAS अधिकारी हों, तो एक ने NPS और दूसरे ने OPS का चुनाव किया।
NPS और OPS में अंतर क्या है?
NPS (National Pension Scheme)-
NPS में कर्मचारी 10% और सरकार 14% का योगदान देती है। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी अधिकारी का वेतन 50 हजार रुपए है, तो उनके वेतन का 24% यानी 12 हजार रुपए हर महीने जमा होते हैं। 33 साल की सेवा के बाद, उनका कुल फंड लगभग 3 करोड़ रुपए हो सकता है। इसमें से रिटायरमेंट के समय 60% रकम प्राप्त होगी। यदि वे 60 लाख रुपए की एन्यूटी (Annuity) लेते हैं, तो पेंशन लगभग 42 हजार रुपए प्रति माह होगी।
OPS (Old Pension Scheme)-
OPS में कर्मचारी और सरकार दोनों 10% योगदान करते हैं। 50 हजार रुपए के वेतन पर 10 हजार रुपए हर महीने जमा होते हैं। हालांकि, इसमें 8.5% राशि पेंशन पूल में जाती है, जो अधिकारी के अधिकार में नहीं होती। रिटायरमेंट के बाद, स्थायी पेंशन के रूप में अधिकारी को 50% अंतिम वेतन की राशि मिलती है। मृत्यु के बाद, आश्रितों को कार्पस राशि मिलने में असमंजस है, जो अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है।
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