/sootr/media/media_files/2024/12/02/a0nNhORjvGQEoSIBxeci.jpg)
JABALPUR. निजी स्कूलों द्वारा अवैध रूप से फीस वृद्धि और स्कूली पाठ्यक्रमों में बदलाव कर पुस्तक माफिया के द्वारा लगातार लूट की जा रही थी। इसके संबंध में जिला जांच समिति के द्वारा लगातार स्कूलों की जांच कर स्कूलों के खिलाफ FIR दर्ज कर अवैध फीस वापसी की कार्यवाही की जा रही है। जिसके कारण कुछ निजी स्कूलों ने द्वारा वैधानिक कार्रवाई से बचने के लिए हाईकोर्ट की शरण ली गई। कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए याचिकाओं को खारिज कर अपना आदेश जारी किया।
जबलपुर में 10 से 15 प्रतिशत की फीस वृद्धि कर अवैध लाभ कमाने और पाठ्यक्रमों में 60 से 70 प्रतिशत तक बदलाव कर पुस्तक माफिया को लाभ पहुंचने के मामले में जिला जांच कमेटी के द्वारा जिले के सभी स्कूलों में जांच की जा रही है। जिसमें कुछ निजी स्कूलों के द्वारा इस कार्रवाई के दौरान IPC की धाराओं के अंतर्गत होने वाली दंडात्मक कार्रवाई को रोकने के लिए हाईकोर्ट से राहत के लिए याचिका दायर की गई। इन निजी स्कूलों के खिलाफ अभी सिर्फ जांच चल रही है। अब जांच के बाद FIR दर्ज होने और गिरफ्तारी से बचने के लिए 6 निजी स्कूल कोर्ट की शरण में गए थे।
निजी स्कूलों ने खुद को बताया पाक-साफ
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि जिला जांच कमेटी के द्वारा लगातार जिले में स्कूलों की जांच कर कार्रवाई की जा रही है, इसमें कुछ स्कूलों पर अपराधिक धाराओं में भी FIR दर्ज कर गिरफ्तारियां की गई है। साथ ही कुछ निजी स्कूलों पर 2-2 लाख रुपए के जुर्माने को भी लगाया गया है। उन्होंने बताया कि 10 प्रतिशत से कम की वृद्धि करने पर अनुमति लेने की जरूरत नहीं होती है। उसे सीधा पोर्टल पर अपलोड किया जाता है। 10 से 15 प्रतिशत की फीस वृद्धि पर जिला कमेटी से अनुमति लेनी पड़ती है। साथ ही 15 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि पर स्टेट कमेटी से अनुमति ली जाती है। लेकिन जांच कमेटी के द्वारा स्कूल के प्रिंसिपल और मैनेजर के ऊपर विभिन्न धाराओं में कार्यवाही करते हुए उसी दिन गिरफ्तार किया जा रहा है।
सभी स्कूलों पर नहीं हो रही है FIR
शासन की तरफ से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने बताया है कि जिले की 1017 स्कूलों में जांच की जानी है जिनमें से अभी तक 25 स्कूलों पर अवैध रूप से वसूल की गई फीस को वापस किए जाने के आदेश हुए जारी हुए हैं। लेकिन 25 स्कूलों में से 12 स्कूलों के खिलाफ पुख्ता सबूत मिलने पर उनके ऊपर FIR दर्ज की गई है साथ ही 5 निजी स्कूलों पर 2-2 लाख रुपए के जुर्माना लगाए गए हैं। सभी स्कूलों पर FIR दर्ज नहीं की जा रही है।
उन्होंने बताया कि अभी जांच जारी है। जांच पूरी होने के बाद प्रस्तुत की जाने वाली फाइनल रिपोर्ट के आधार पर यदि कोई आपराधिक मामला बनता है तब FIR दर्ज की जाएगी। और 10 प्रतिशत फीस वृद्धि में उन्होंने यह साफ किया कि 10 प्रतिशत फीस वृद्धि भी मनमाने तरीके से नहीं की जा सकती। यदि स्कूल को पूरे साल में होने वाला मुनाफा 15 प्रतिशत से कम है तो उसकी पूर्ति करने के लिए फीस बढ़ाई जा सकती है।
निजी स्कूलों को नहीं मिली बड़ी राहत
इस याचिका पर सुनवाई मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत (Chief Justice Suresh Kumar Kait ) और जस्टिस विवेक जैन (Justice Vivek Jain) की डबल बेंच में हुई जिसमें दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने पहले यह आदेश जारी किया कि कारण बताओ नोटिस के जवाब के आधार पर याचिकाकर्ताओं पर यदि FIR दर्ज करने की स्थिति बनती है तो उन्हें एक हफ्ते का कारण बताओ नोटिस दिया जाए। जिस पर शासकीय अधिवक्ता और पेरेंट्स एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता ने आपत्ति उठाई गई और इसे न्याय के विरुद्ध बताया। जिसके बाद कोर्ट ने अपने फैसले को बदलते हुए यह लिखा कि, जांच के बाद यदि स्कूल दोषी पाए जाते हैं और उनके खिलाफ FIR की जाती है तो FIR के बाद की कार्रवाई यानी गिरफ्तारी के लिए उन्हें एक हफ्ते का समय दिया जाए। साथ ही याचिका को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने FIR दर्ज करने पर नहीं लगाई रोक
पेरेंट्स एसोसिएशन के अधिवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने बताया कि निजी स्कूलों में यूनिफार्म और पुस्तकों को लेकर स्टेट कमेटी के द्वारा जांच की जा रही है। जिसमें FIR दर्ज हो रही है। इसके विरोध में 6 निजी स्कूलों ने FIR न किए जाने के लिए हाईकोर्ट से अपील की थी। उन्होंने बताया है कि एकल पीठ ने FIR को करने से नहीं रोके जाने के आदेश जारी किए थे। जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि हम FIR दर्ज करने के लिए मना नहीं कर सकते यह पुलिस का अपना स्तर है। पुलिस को किसी भी आपराधिक मामले में एफआईआर दर्ज करने की स्वतंत्रता है। साथ ही सुनवाई के दौरान निजी स्कूलों के द्वारा शो कॉज नोटिस के दिए जवाबों के आधार पर निराकरण करने का भी आदेश जारी किया गया और FIR होने की स्थिति में निजी स्कूलों को एक हफ्ते का समय दिया जाएगा।
2 लाख पेरेंट्स की मुहिम की जीत
पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिन गुप्ता ने बताया कि हाईकोर्ट के द्वारा अभिभावकों के पक्ष में फैसला देते हुए स्कूल एसोसिएशन के ग्रुप के द्वारा दायर की गई FIR न किए जाने की याचिका को खारिज कर दिया गया है। उन्होंने बताया है कि अवैध फीस वसूली और पुस्तक माफिया द्वारा लगातार लूट सामने आ रही थी। जिस पर जांच कमेटी के द्वारा जांच के बाद FIR दर्ज की जा रही थी। जिसके विरोध में कुछ निजी स्कूलों के द्वारा हाईकोर्ट से FIR न किए जाने की अपील की गई थी, लेकिन कोर्ट ने उनकी इस याचिका को एक तरह से खारिज कर दिया है। उन्होंने इसे मुहिम में शामिल हुए 2 लाख पेरेंट्स की जीत बताया है। साथ ही पेरेंट्स एसोसिएशन इस मुहिम में पेरेंट्स के साथ खड़ा है।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक