रक्षा मंत्रालय की एक और फैक्ट्री में जोरदार धमाका, GIF में मचा हड़कंप

जबलपुर में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री ग्रे आयरन फाउंड्री (GIF) में धमाके के बाद अफरातफरी मच गई। धमाके में एक कर्मचारी घायल हुआ है। हादसे के बाद नाराज कर्मचारियों ने प्रबंधन से जांच की मांग की हैं।

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Neel Tiwari
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जबलपुर में ग्रे आयरन फाउंड्री (Grey Iron Foundry) ऑर्डिनेंस फैक्ट्री सोमवार को भीषण धमाके से दहल उठी। गनीमत रही कि हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई, एक कर्मचारी के घायल होने की खबर सामने आई है। यह धमका उस समय हुआ जब फैक्ट्री में ड्रम कटिंग का काम चल रहा था। धमाके की आवाज इतनी तेज थी कि आसपास के इलाकों तक सुनाई दी, और फैक्ट्री के भीतर अफरा-तफरी मच गई। इस हादसे में ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीम कर्मचारी अशोक कुमार मीणा नामक गंभीर रूप से घायल हैं। धमाके के बाद अन्य कर्मचारियों को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया गया और घायल कर्मचारी को तत्काल इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया गया। फिलहाल कर्मचारी की हालत स्थिर बनी हुई है।

ग्रे आयरन फाउंड्री में जोरदार धमाका

ग्रे आयरन फाउंड्री (GIF) भारतीय रक्षा मंत्रालय के तहत संचालित एक महत्वपूर्ण निर्माण इकाई है। यह फाउंड्री भारतीय सेना के लिए हथियारों, उपकरणों और वाहनों के कलपुर्जे बनाने का कार्य करती है। GIF भारतीय सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करती है। इस फैक्ट्री को पहले ग्रे आयरन फाउंड्री के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब यह खमरिया स्थित ऑर्डनेंस फैक्ट्री के अधीन काम करती है। यहां तैयार किए जाने वाले उत्पाद सेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, जिनमें घातक हथियारों और वाहनों के कलपुर्जे शामिल हैं।

ड्रम कटिंग के दौरान हुआ ब्लास्ट

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसा उस समय हुआ जब फैक्ट्री में ड्रम की कटिंग की जा रही थी। वेल्डर ट्रेड में काम करने वाली टीम जब कटिंग कर रही थी उसी दौरान एक तेज धमाका हुआ, जिससे आसपास काम कर रहे कर्मचारी घबरा गए। धमाके के कारण फैक्ट्री में भगदड़ जैसे हालात बन गए। घायल कर्मचारी अशोक कुमार मीणा इस दौरान ड्रम के पास काम कर रहे थे, जिसके चलते वे गंभीर रूप से घायल हो गए। अन्य कर्मचारियों ने उन्हें तुरंत बाहर निकाला और एंबुलेंस के जरिए फैक्टरी अस्पताल पहुंचाया, जहां से उन्हें निजी अस्पताल रेफर किया गया है। डॉक्टरों के अनुसार उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है।

22 अक्टूबर को भी हुआ था बड़ा हादसा

यह पहली बार नहीं है जब जबलपुर की रक्षा फैक्ट्रियों में ऐसा हादसा हुआ हो। 22 अक्टूबर को खमरिया स्थित ऑर्डनेंस फैक्ट्री में रशियन बम की बॉइलिंग के दौरान भीषण विस्फोट हुआ था। उस हादसे में 2 कर्मचारियों की मौत हुई थी। इस धमाके में 11 कर्मचारी घायल हो गए थे। इस घटना ने रक्षा उत्पादन में सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़े किए थे। लगातार हो रही इन दुर्घटनाओं ने कर्मचारियों और उनके परिवारों को गहरे आघात में डाल दिया है।

कर्मचारियों ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग

इस हादसे के बाद कर्मचारी संघ के नेता राकेश कुमार दुबे ने प्रबंधन की आलोचना की और घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की। उन्होंने कहा, "लगातार हो रहे इन हादसों से कर्मचारियों में डर का माहौल बन गया है। हमारी मांग है कि एक स्वतंत्र जांच कमेटी गठित कर इन घटनाओं के कारणों का पता लगाया जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इसके अलावा, कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त उपाय किए जाने चाहिए।" कर्मचारी नेताओं ने यह भी कहा कि यदि जल्द ही सुरक्षा प्रबंधों में सुधार नहीं किया गया, तो कर्मचारियों का धैर्य जवाब दे सकता है और वे बड़े आंदोलन पर मजबूर हो सकते हैं।

सुरक्षा प्रबंधों पर फिर उठे सवाल

इस हादसे ने रक्षा फैक्ट्रियों में लागू सुरक्षा प्रबंधों की पोल खोल दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि विस्फोटक सामग्री के साथ काम करते समय सख्त सुरक्षा मानकों का पालन करना अनिवार्य है। खासतौर पर ड्रम कटिंग जैसे कार्य, जिसमें विस्फोटक गैसें या अन्य खतरनाक तत्व हो सकते हैं, उन कामों को बेहद सावधानीपूर्वक अंजाम दिया जाना चाहिए। लेकिन बार-बार हो रही इन घटनाओं से ऐसा नजर आता है कि प्रबंधन इन नियमों का पालन करवाने में विफल हो रहा है।

प्रशासन और रक्षा मंत्रालय की प्रतिक्रिया का इंतजार

घटना की जानकारी स्थानीय प्रशासन और रक्षा मंत्रालय को दे दी गई है। हालांकि, अब तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही एक जांच कमेटी का गठन किया जाएगा, जो इस घटना के पीछे के कारणों की जांच करेगी। रक्षा मंत्रालय पर अब दबाव है कि वह कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कठोर कदम उठाए।

जबलपुर की ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों में लगातार हो रही दुर्घटनाएं न केवल कर्मचारियों की सुरक्षा बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा उत्पादन की प्रक्रियाओं पर भी सवाल खड़े करती हैं। ऐसे हादसे केवल जान-माल का नुकसान नहीं करते, बल्कि इनसे कर्मचारियों का मनोबल भी प्रभावित होता है। रक्षा मंत्रालय और संबंधित प्रबंधन को चाहिए कि वे सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन करवाएं और कर्मचारियों के लिए सुरक्षित कार्यस्थल उपलब्ध कराएं।

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