JABALPUR. सुप्रीम कोर्ट के बार-बार दिए गए दिशा निर्देशों के बावजूद मध्य प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग और ट्राइबल विभाग ने मेरिट के आधार पर सिलेक्ट हुए आरक्षित वर्ग के कैंडिडेट्स को उनकी चुनी गई जगह के विपरीत ट्राइबल स्कूलों में पदस्थापना दी गई। जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) में इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत (Chief Justice Suresh Kumar Kait) और न्यायमूर्ति विवेक जैन (Justice Vivek Jain) की डबल बेंच में हुई। इसके बाद प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड और ट्राईबल वेलफेयर डिपार्मेंट सहित राज्य सरकार और अन्य को नोटिस जारी किए गए है।
18 हजार भर्तियों से जुड़ा मामला
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि मध्य प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के 18 हजार पदों की भर्ती के लिए एलिजिबिलिटी टेस्ट लिया गया था। जिसके बाद चयनित अभ्यार्थियों की स्कूल शिक्षा विभाग (School Education Department) और ट्राइबल डिपार्टमेंट (Tribal Department) के द्वारा संयुक्त काउंसलिंग की गई थी। इसके बाद चयनित अभ्यर्थियों में एसटी, एससी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के मेरिट लिस्ट पर टॉप करने वाले छात्रों को अनारक्षित केटेगरी में माइग्रेट कर प्राथमिक शिक्षकों के पदों पर पदस्थापना दी गई थी। भर्ती प्रक्रिया के दौरान अभ्यर्थियों द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग (SED) में पदस्थापना की चॉइस भरी गई थी, लेकिन उसके विपरीत उन्हें ट्राइबल डिपार्टमेंट द्वारा संचालित स्कूलों में पदस्थापना दी गई। जिसके विरुद्ध जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर के द्वारा अभ्यर्थियों के स्कोर कार्ड सहित अन्य दस्तावेज भी पेश किए गए।
मेरिट में आए अभ्यर्थियों को किया आरक्षण से वंचित
मामले की सुनवाई के दौरान शासन की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट को यह बताया कि आरक्षित कैटेगरी के छात्र जो मेरिट में थे उन्हें जब अनारक्षित कैटेगरी में माइग्रेट किया गया तो वह लिस्ट के टॉप में न होकर बॉटम में चले गए। जिसके कारण पदस्थापना के चयन में उनका नंबर आखिर में आया और उन्हें मनचाही जगह पर पोस्टिंग नहीं मिल सकी। जिस पर कोर्ट ने शासन के अधिवक्ता से यह पूछा कि आखिर किस नियम के तहत आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को आरक्षण के लाभ से विभाग ने वंचित कर दिया।
मेरिट में आना ही बन गया मुसीबत
आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को मेरिट लिस्ट में टॉप करना ही उनके लिए मुसीबत बन गया। लिस्ट में टॉप करने के कारण उन्हें अनारक्षित वर्ग में पदस्थापना दी गई और इस तरह से वह अनारक्षित वर्ग की मेरिट लिस्ट में सबसे ऊपर की जगह सबसे नीचे पहुंच गए। इस तरह पदस्थापना के समय उन्हें आरक्षण का लाभ ही नहीं मिला। इसी भेदभाव को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने अब स्कूल शिक्षा विभाग सहित ट्राइबल विभाग और अन्य से जवाब मांगा है।
स्कूल शिक्षा विभाग, ट्राइबल विभाग सहित सरकार को नोटिस
सोमवार 25 नवंबर को इस मामले की सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की डबल बेंच ने यह पाया कि शिक्षकों की पोस्टिंग के दौरान आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को आरक्षण का बिल्कुल भी लाभ नहीं मिला है। इसके बाद कोर्ट मध्य प्रदेश सरकार सहित ट्राईबल वेलफेयर डिपार्टमेंट के कमिश्नर, प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए 4 हफ्तों में काउंटर एफिडेविट (जवाब) प्रस्तुत करने के लिए आदेशित किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी 2025 को होगी।
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